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    Home»Top Story»चीन ने डोकलाम में चुपचाप अपनी गतिविधियां फिर शुरू कीं: US
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    चीन ने डोकलाम में चुपचाप अपनी गतिविधियां फिर शुरू कीं: US

    azad sipahiBy azad sipahiJuly 26, 2018Updated:July 27, 2018No Comments4 Mins Read
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    वॉशिंगटन। डोकलाम में पिछले साल 73 दिनों तक भारत के साथ चले गतिरोध के बावजूद चीन अपने मंसूबे को पूरा करने की फिराक में लगा हुआ है। अमेरिका के एक टॉप अधिकारी ने बताया है कि चीन ने डोकलाम क्षेत्र में चुपचाप अपनी गतिविधियां फिर से शुरू कर दी हैं और अभी तक न तो भूटान और न ही भारत ने उसे ऐसा करने से रोका है। अमेरिकी अधिकारी ने विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन के युद्धाभ्यास की तुलना इस हिमालयी क्षेत्र में उसकी गतिविधियों से की है। आपको बता दें कि चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता रहा है जबकि वियतनाम, मलयेशिया, फिलिपींस, ब्रुनेई और ताइवान इस दावे का विरोध करते हैं। दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर दोनों क्षेत्रों में चीन का कई देशों से विवाद है। क्षेत्र में चीन ने सैन्य मौजूदगी बढ़ाने के साथ ही कई कृत्रिम द्वीप का भी निर्माण किया है। दोनों ही इलाके मिनरल्स, तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न हैं। यह क्षेत्र वैश्विक व्यापार के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में यह हमेशा अमेरिका की नजर में रहता है। विदेश मंत्रालय के प्रमुख उपसहायक (दक्षिण और मध्य एशिया) एलीस जी वेल्स ने एक संसदीय सुनवाई के दौरान सांसदों से कहा, ‘मेरा आकलन है कि भारत मजबूती से अपनी उत्तरी सीमा का बचाव कर रहा है और ऐसे में यह भारत के लिए चिंता का विषय है।’ वेल्स से भारतीय सीमा के निकट सड़क बनाने को लेकर चीन की आक्रामक गतिविधियों के संबंध में सवाल पूछे गए थे। महिला सांसद एन वेगनर द्वारा पूछे गए एक सवाल पर वेल्स ने कहा कि भारत अगर सामरिक तौर पर स्थिर रहता है तो निश्चिततौर पर हम भारत के साथ अच्छी साझेदारी रख सकते हैं। गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच हिमालयी क्षेत्रों को लेकर लगातार विवाद होते रहे हैं। कुछ महीने पहले चीन और भारत के बीच विवादित डोकलाम क्षेत्र को लेकर गतिरोध पैदा हो गया था। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने डोकलाम में सड़क निर्माण का काम शुरू किया, जिस पर भारतीय सेनाओं ने आपत्ति जताई और इसके बाद 73 दिनों तक गतिरोध रहा।

    सर्दियों में भी डटे थे चीनी सैनिक

    आपको बता दें कि डोकलाम को लेकर हाल में कई तरह की खबरें आती रही हैं। जनवरी में डोकलाम को लेकर आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा था चीनी इलाके में सैनिकों की संख्या में भारी कमी आई है। बाद में इसी साल मार्च में खबर आई कि चीनी सैनिक सर्दियों में भी एक नई सड़क बनाने के लिए डटे हुए थे, जिससे वे दक्षिणी डोकलाम तक पहुंच सकें, जहां चीन और भूटान के बीच विवाद है।

    डोकलाम क्षेत्र पर अमेरिका की भी है नजर?

    महिला सांसद ने कहा, ‘वैसे दोनों देशों में गतिरोध खत्म हो गया था, पर अब चीन ने डोकलाम में फिर से अपनी गतिविधियां चुपचाप शुरू कर दी हैं लेकिन न तो भारत ने और न ही भूटान ने उसे ऐसा करने से रोका है। हिमालयी क्षेत्र में चीन की गतिविधियां मुझे उसके दक्षिण चीन सागर नीति की याद दिलाती हैं।’अमेरिकी अधिकारी वेल्स ने कहा कि दक्षिण चीन सागर के मद्देनजर ट्रंप प्रशासन के द्वारा हिंद-प्रशांत रणनीति अपनाई गई है। इस पर महिला सांसद वेगनर ने कहा, ‘हम समुद्री सुरक्षा देते हुए क्षेत्र को खुला कैसे रख सकते हैं और यहां सेना का दखल भी न हो क्योंकि इससे 70 फीसदी वैश्विक व्यापार खतरे में पड़ सकता है।’ वेल्स ने कहा, ‘हमें संप्रभु देशों को पूरा अधिकार देते हुए उन्हें यह विकल्प भी देना होगा कि वे जैसी चाहें पार्टनरशिप कर सकते हैं।’ एशिया और प्रशांत क्षेत्र पर विदेश मामलों की सब-कमिटी के चेयरमैन, सांसद टेड योहो ने दक्षिण एशिया में चीन के आक्रामक रवैये का मुद्दा उठाया। योहो ने कहा कि आपकी क्या राय है कि क्षेत्र में चीन का मुकाबला करने का सबसे बेहतर तरीका क्या है? वेल्स ने जवाब दिया कि अमेरिका को डॉलर प्रति डॉलर के हिसाब से चीन का मुकाबला नहीं करना चाहिए। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि अमेरिका और यहां की कंपनियां क्षेत्र में 850 अरब डॉलर से ज्यादा निवेश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि हम इस पर समान विचारधारा वाले देशों के साथ बेहतर समन्वय बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

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