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    Home»Jharkhand Top News»मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्वास्थ्य विभाग के टेंडर में हुई अनियमितता की कराएं उच्चस्तरीय जांच : बाबूलाल मरांडी
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    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्वास्थ्य विभाग के टेंडर में हुई अनियमितता की कराएं उच्चस्तरीय जांच : बाबूलाल मरांडी

    shivam kumarBy shivam kumarSeptember 24, 2025No Comments4 Mins Read
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    रांची। झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष और विधानसभा में विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी लगातार राज्य सरकार को निशाने पर ले रहे हैं। बुधवार को भी उन्होंने स्वास्थ्य विभाग में टेंडर प्रक्रिया में हुई अनियमितता को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है।

    बाबूलाल मरांडी ने अपने पत्र में कहा है कि स्वास्थ्य विभाग की टेंडर प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं के साक्ष्य मिले हैं। उपलब्ध रिकॉर्ड और सार्वजनिक दस्तावेजों से यह स्पष्ट होता है कि सुनियोजित ढंग से प्रतिस्पर्धा को सीमित कर कुछ खास चुनिंदा लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। यह मामला केवल वित्तीय अनियमितता का नहीं, बल्कि शासन की पारदर्शिता और संवैधानिक सिद्धांतों पर भी गहरा सवाल खड़ा करता है। इसलिए इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और समयबद्ध जांच आवश्यक है।

    एक ही परिवार की तीन कंपनियांनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि एक ही परिवार ने एक ही पते पर तीन कंपनियां बनाकर पूरे घोटाले को अंजाम दिया। पूरे झारखंड में 11 जिलों के 11 टेंडरों को मैनेज करना केवल तभी संभव है, जब यह पूरा खेल स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के संरक्षण में हुआ हो। उन्होंने कहा कि जेम पोर्टल की प्रक्रिया के क्लाउज 29 के अनुसार यदि एक व्यक्ति दो या उससे अधिक कंपनियां बनाकर बिडिंग में हिस्सा लेता है, तो तकनीकी जांच के दौरान ही उसका टेंडर स्वतः निरस्त कर दिया जाना चाहिए, लेकिन यहां तो नियमों को उलटकर अयोग्य कंपनियों को ही योग्य घोषित कर भारी संख्या में टेंडर अवार्ड कर दिया गया। इतने बड़े पैमाने पर यह गोरखधंधा बिना मंत्री के संरक्षण के संभव ही नहीं है। मंत्री इरफान अंसारी ने न केवल अपने विभाग में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया, बल्कि जानबूझकर अपने खास लोगों को टेंडर बांटे।

    उन्होंने कहा कि उपरोक्त तीनों कंपनियां मात्र शेल कंपनियां हैं, जो सिर्फ दिखावे के लिए बनाई गई हैं। वास्तविक लाभार्थी स्वास्थ्य मंत्री से सीधे जुड़े कुछ दूसरे प्रभावशाली लोग हैं। ऐसे में प्राथमिक सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) करा कर मुख्यमंत्री पूरे प्रकरण की उच्च-स्तरीय निष्पक्ष जांच कराएं और दोषी पाये जाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करें।

    बाबूलाल मरांडी ने इन ग्यारह (11) टेंडरों का दिया हवाला

    -जीईएम /2024/B/5748485 (सिविल सर्जन- दुमका)

    -जीईएम/2024/B/5758754 (सिविल सर्जन- रांची)

    -जीईएम/2025/B/5895644 (सिविल सर्जन- जामताड़ा)

    -जीईएम/2025/B/5919778 (सिविल सर्जन-जामताड़ा)

    -जीईएम/2025/B/5920544 (सिविल सर्जन- बोकारो)

    -जीईएम/2025/B/6012458 (सिविल सर्जन- बोकारो)

    -जीईएम/2025/B/6012441 (सिविल सर्जन- बोकारो)

    -जीईएम/2025/B/6013926 (सिविल सर्जन-दुमका)

    -जीईएम/2025/B/6017607 (सिविल सर्जन-देवघर)

    -जीईएम/2025/B/6021839 (सिविल सर्जन- सरायकेला खरसावां)

    -जीईएम/2025/B/6022047 (सिविल सर्जन-जामताड़ा)

    बाबूलाल मरांडी ने गिनाईं अनियमितताएंबाबूलाल मरांडी ने कहा कि सभी 11 के 11 टेंडर सिर्फ तीन कंपनियों को दिए गए हैं, जिनके नाम हैंड इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, एमएस भारत आर्ट एंड सप्लायर और एमएस ग्लोबल आर्ट एंड सप्लायर है। टेंडर बस चुनिंदा कंपनियों को देना कोई संयोग नहीं, बल्कि हेर-फेर करने का एक सुनियोजित प्रयोग है। इन तीनों कंपनियों का पता एक ही है। इरगु रोड पहाड़ी टोला, रांची, जो इनकी मिलीभगत और फर्जीवाड़े की ओर इशारा करता है। तीनों कंपनियों के निदेशक/प्रोप्राइटर एक ही परिवार के सदस्य हैं। ख्वाजा अब्दुल गुदिर अहमद बट, ख्वाजा मोहसिन अहमद और फरहान अहमद बट है। इनमें से ख्वाजा मोहसिन अहमद एक ही समय में दो कंपनियों के निदेशक-प्रोप्राइटर के रूप में दर्ज हैं, जो सभी टेंडरों को रद्द करने का सबसे बड़ा आधार हो सकता था, लेकिन चूंकि पूरा हेरफेर स्वास्थ्य मंत्री के संरक्षण में हुआ। इसलिए इन कंपनियों को हर बार ‘टेक्निकली क्वालीफाई’ घोषित कर दिया गया।

    उन्होंने अनियमितताएं गिनाते हुए आगे कहा कि सभी टेंडरों में इन कंपनियों की बोलियों (रेट्स) में केवल कुछ हजार का अंतर पाया गया, जिससे स्पष्ट है कि दरें एक ही जगह से तय की गईं। जब भी किसी चौथी कंपनी ने भाग लेने की कोशिश की, उसे तकनीकी आधार पर अयोग्य घोषित कर बाहर कर दिया गया। जो कंपनियां इस आपराधिक षड्यंत्र का हिस्सा ना रहीं हो, उन्हें किसी भी तरह से पूरे चयन प्रक्रिया से ही बाहर कर दिया गया।

    मरांडी ने कहा कि मेडिकल क्षेत्र के जानकारों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कंपनियों को किए गए भुगतान बाजार में उपलब्ध समान और सुविधाओं की वास्तविक कीमत से कहीं अधिक हैं। पूरी प्रक्रिया में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा की अनदेखी कर सरकारी धन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग और बंदरबांट किया गया। साथ ही पूरी प्रक्रिया में जेम पोर्टल की नियमावली एवं प्रावधान का खुला उल्लंघन हुआ, जिसके अनुसार एक ही व्यक्ति- समूह से जुड़ी कंपनियों की बोलियां तकनीकी स्तर पर निरस्त होनी चाहिए थीं, लेकिन यहां उल्टा इन्हें योग्य घोषित किया गया।

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