रांची। मॉब लीचिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद डीजीपी डीके पांडेय ने आदेश जारी किया है। जारी आदेश में डीजीपी ने कहा है कि पिछले पांच सालों में झारखंड में मॉब लीचिंग की जो घटनाएं हुई हैं, उसके आंकड़े जुटाये जायें, जिसके आधार पर संबंधित इलाके और समूहों को चिह्नित किया जाये। यह काम दो सप्ताह के भीतर पूरा कर लिया जाये। इसमें शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाये। साथ ही चिह्नित इलाकों में भयमुक्त वातावरण बनाने के लिए प्रभावशाली कदम उठाया जाये।
इंस्पेक्टर रैंक के नीचे के अफसर अनुसंधानक नहीं
जारी आदेश में डीजीपी ने कहा है कि मॉब लीचिंग की घटनाओं को लेकर जो प्राथमिकी दर्ज की जायेगी, उसकी जांच का जिम्मा इंस्पेक्टर रैंक से नीचे के अफसर को नहीं दिया जाना चाहिए। जांच की प्रगति पर एसपी खुद नजर रखेंगे। साथ ही यह भी सुनिश्चित करेंगे कि मॉब लीचिंग के मामलों का स्पीडी ट्रायल हो और गवाहों को सुरक्षित न्यायालय में उपस्थित कराया जाये।
सुप्रीम कोर्ट का क्या था आदेश
17 जुलाई को मॉब लीचिंग के मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारों को इसके लिए कानून बनाने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को इसके लिए निर्देश जारी करते हुए कहा था कि 4 सप्ताह के भीतर मॉब लीचिंग पर दिशा-निर्देश जारी करें। सर्वोच्च न्यायालय ने सख्ती के साथ कहा था कि गोरक्षा के नाम पर कोई भी शख्स कानून को हाथ में नहीं ले सकता है। केंद्र और राज्य सरकार को गाइडलाइन जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा के लिए कानून व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है।