वाराणसी। लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे और लोगों का आभार जताया। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को अपनी जीत का श्रेय देते हुए कई नसीहतें भी दीं। उन्होंने राजनीतिक पंडितों से कहा कि अब वे चुनाव के अंकगणित के साथ सामाजिक केमिस्ट्री का भी अध्ययन करें, क्योंकि इस बार का चुनाव केवल अंकगणित नहीं था, बल्कि उसमें समाज की केमिस्ट्री भी थी, जिसे दुनिया भर के राजनीतिक पंडित आंक नहीं सके।
‘हर-हर महादेव’ से शुरू किया संबोधन
पीएम मोदी ने अपना संबोधन ‘हर-हर महादेव’ से शुरू किया। उन्होंने कहा कि भाजपा की जीत गुणा-भाग, गणित से अलग केमिस्ट्री है। पीएम ने जातिवादी राजनीति करने के लिए विपक्षी पार्टियों को आड़े हाथ लिया। पीएम ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि देश की राजनीति में हमें अछूत समझा जाता है, जबकि हकीकत यह है कि पूरे देश में हमारा वोट प्रतिशत बढ़ रहा है।
ऐसा चुनाव सदियों तक याद किया जायेगा
उन्होंने कहा, जो स्नेह और शक्ति मुझे काशी ने दी है, वैसा सौभाग्य शायद ही किसी को मिला हो। यहां लोगों ने एक प्रकार से चुनाव को लोकोत्सव बना दिया। यहां अपनत्व का भाव बहुत ज्यादा था। दूसरे दलों के जो साथी मैदान में थे, उनका भी आभार व्यक्त करता हूं। मैं सार्वजनिक रूप से अन्य उम्मीदवारों को धन्यवाद करूंगा। मैं मीडिया जगत के साथियों का भी हृदय से अभिनंदन करता हूं। यहां जब कार्यकर्ताओं से मिलना हुआ था, तो मैंने कहा था कि भले ही नामांकन एक नरेंद्र मोदी का हुआ होगा, लेकिन चुनाव लड़ने का काम हर घर के नरेंद्र मोदी ने किया। इस पूरे चुनाव अभियान को आपने बेहतर ढंग से चलाया। इस प्रकार का चुनाव होता है, तो लगता है कि अब तो जीतने ही वाले हैं। मैं कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने इस चुनाव को जय-पराजय से नहीं तोला और इसे लोक शिक्षा का पर्व माना।
राजनीतिक पंडितों की सोच 21वीं सदी वाली नहीं
पीएम ने बताया, यहां की बेटियों ने जो स्कूटी मार्च निकाला, उसकी सारे देश में चर्चा है। यहां की बेटियों ने पूरी काशी को अपने सिर पर ले लिया था। आज कोई रोड शो नहीं था, लेकिन फिर भी लोग सड़कों पर अपना आशीर्वाद देने पहुंचे। आज मैं भले ही काशी से बोल रहा हूं, लेकिन पूरा उत्तर प्रदेश अभिनंदन का अधिकारी है। आज यूपी लोकतंत्र की नींव को और मजबूत कर रहा है। यूपी ने 1977 में सभी बंधन तोड़कर देश को दिशा दी थी। लेकिन 2014, 2017 और 2019 की हैट्रिक छोटी नहीं है। यहां के लोग भारत के भविष्य की दिशा तय भी करते हैं। यूपी के 14, 17 और 19 के चुनावों ने देश को व्यवस्था में बदलाव के दर्शन कराये हैं। अब भी राजनीतिक पंडितों की आंख नहीं खुलती है, तो इसका मतलब है कि उनकी सोच 21वीं सदी की नहीं, बल्कि पुरानी की सदी की है।
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