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    Home»Top Story»सोहराय भवन बना हेमंत सोरेन के गले की फांस
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    सोहराय भवन बना हेमंत सोरेन के गले की फांस

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJune 27, 2019No Comments6 Mins Read
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    कार्रवाई के आदेश के बाद राजनीतिक भूचाल, महाधिवक्ता से राय लेकर सरकार ने दिया कार्रवाई का आदेश

    झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हरमू रोड स्थित सोहराय भवन निर्माण के मामले में सरकार ने कार्रवाई का आदेश दिया है। 20 मई 2019 को राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने रांची कमिश्नर को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि जांच रिपोर्ट और महाधिवक्ता की राय संलग्न कर भेजी जा रही है। जांच रिपोर्ट और महाधिवक्ता की राय के आधार पर जरूरी कार्रवाई कर विभाग को सूचित करें। जानकारी के मुताबिक, सोहराय भवन जिस जमीन पर बना है, उसकी डीड हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के नाम से है।
    यह जमीन किसी आदिवासी की थी। इसे कोई बाहर का व्यक्ति नहीं खरीद सकता है। बाद में उसी जमीन पर सोहराय भवन का निर्माण किया गया। एडवोकेट जनरल अजीत कुमार ने बताया कि सरकार के द्वारा इस संदर्भ में मंतव्य मांगा गया था। इस पर सरकार को सुझाव दिया गया है। कहा गया है कि सोहराय भवन की जमीन की गलत तरीके से रजिस्ट्री हुई है। कारण नियम के अनुसार कोई भी आदिवासी अपनी जमीन दूसरे आदिवासी को तभी बेच सकता है, जब वह उसी थाना का निवासी हो और इसमें डीसी का परमिशन भी जरूरी है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है।
    राजनीतिक तौर पर बड़ा कदम
    हेमंत सोरेन अभी विधानसभा में विपक्षी दल के नेता हैं। झामुमो झारखंड में सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण विपक्षी पार्टी है। भाजपा के बाद झामुमो ही वह राजनीतिक दल है, जिसका जनाधार सबसे अधिक है। माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का सीधा मुकाबला झामुमो से ही होगा। इस लिहाज से सरकार द्वारा सोहराय भवन के मामले में कार्रवाई किया जाना राजनीतिक तौर पर भी बड़ा कदम है।
    जमीन खरीद की शिकायत की गयी थी
    नियमों का उल्लंघन करके आदिवासी जमीन खरीदने और आदिवासी जमीन पर सोहराय भवन का निर्माण करने की शिकायत सरकार के पास की गयी थी। भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष रामकुमार पाहन और अन्य के द्वारा शिकायत की गयी थी कि सोहराय भवन का निर्माण आदिवासी जमीन पर हुआ है। जमीन की खरीद में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है। इसलिए सोहराय भवन के मालिक पर कार्रवाई की जाये।
    दाने दाने को मोहताज राजू का परिवार
    सोहराय भवन जिस जमीन पर बना है, वह पहले राजू उरांव की थी। उसने ही हेमंत की पत्नी कल्पना मुर्मू के हाथों इस जमीन को बेचा था। बाकायदा इसकी रजिस्ट्री भी हुई। लेकिन आज उसी राजू उरांव क के परिवार का कहना है कि परिवार दाने-दाने का मोहताज हो गया है। अरगोड़ा ढेला टोली में रहनेवाले राजू उरांव के परिवार ने कहा कि जमीन बेचने के बाद वे पछता रहे हं। बता दें कि राजू उरांव के परिवार ने पहले भी आरोप लगाया था कि शिबू सोरेन के मुख्यमंत्री रहते वक्त हेमंत ने उनकी अरगोड़ा स्थित 48 डिसमिल जमीन बहला-फुसला कर कौड़ी के भाव ले ली। हेमंत ने जमीन को अपनी पत्नी कल्पना मुर्मू, पिता अंपा मांझी के नाम पर रजिस्ट्री करा ली। इसके बदले जमीन के असली मालिक राजू उरांव और उसके परिवार के लोगों को मात्र दस से पंद्रह लाख रुपये दिये गये, जबकि जमीन की मौजूदा कीमत लगभग दस करोड़ रुपये है।
    10 करोड़ की थी जमीन और मिले 10 लाख रुपये
    राजू उरांव ने 2016 में जमीन के कागजात भी दिखाये। उससे यह स्पष्ट है कि जमीन 48 डिसमिल है। जमीन की कीमत कम से कम 20 लाख रुपये प्रति डिसमिल है। व्यावसायिक उपयोग के लिए इससे अच्छी जमीन कोई हो ही नहीं सकती। ऐसे में उस क्षेत्र में जहां 30 लाख रुपये में जमीन मिलना संभव नहीं था, वहां हेमंत सोरेन ने पूरे परिवार को 20 लाख रुपये प्रति डिसमिल देने की बात कही थी।
    राजू उरांव ने कहा था कि कुल मिलाकर जमीन की पूरी कीमत 9 करोड़ 60 लाख होती थी, लेकिन कब्जा करने के बाद मोरहाबादी स्थित शिबू सोरेन के आवास पर बुलाया गया। वहां हेमंत सोरेन के लोगों ने दिखाया कि जमीन के संबंध में तुमने पहले से करीब 10 लाख रुपये ले रखे हैं। पूछताछ करने पर उन लोगों ने उन कागजात को भी राजू के सामने रख दिया, जिस पर राजू से अंगूठा लगवाये थे। लेकिन राजू का कहना है कि मुझे इतने पैसे दिये ही नहीं गये थे। हो सकता है दलालों ने खा लिये हों।
    जमीन की कागजी हकीकत
    पूरी जमीन राजू उरांव के दादा शीतल उरांव की थी। शीतल के चार बेटे थे। बड़ा बेटा महादेव उरांव, सहदेव, मदरू और सबसे छोटा महली उरांव। इसमें दोनों मझले बेटे सहदेव और मदरू की मौत हो चुकी है। जमीन महादेव और महली के नाम पर थी। इसमें महादेव के पांच बेटे हैं। बिरसा उरांव, लालू गाड़ी, महेश उरांव, मोतून गाड़ी और शीतल गाड़ी है। वहीं दूसरे भाई महली गाड़ी के दो बेटे हैं, जिनमें राजू उरांव और राजन गाड़ी शामिल हैं। हेमंत सोरेन ने राजू उरांव और उसके तमाम चचेरे भाइयोें को समझा बुझा कर पूरी जमीन को अपनी पत्नी कल्पना के नाम पर रजिस्ट्री करवा ली थी। इसमें राजू उरांव को जमीन के हिस्से के 4 करोड़ 80 लाख रुपये और उसके पांच चचेरे भाइयों को 4 करोड़ 80 लाख रुपये मिलने थे।
    भूखंड पर बना मैरेज हॉल
    जहां एक ओर राजू उरांव का परिवार भिखारियों की जिंदगी जी रहा है, वहीं उसके बाप दादा की जमीन पर आलीशान मैरेज हॉल बन गया है। कंस्ट्रक्शन का काम भी पूरा हो गया है। करीब 50 कमरों के बने मैरेज हॉल में तमाम सुविधाएं हैं। राजू उरांव और उसका पूरा परिवार रोजाना उक्त मैरेज हॉल को देखकर खून के आंसू रोता है, लेकिन उनकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है। सोहराय भवन के सामने आते ही राजू उरांव की आंखें भर आती हैं।
    बहरहाल देखना होगा कि आखिरकार विधानसभा चुनाव नजदीक है। ऐसे में इसे राजनीतिक रंग देना शुरू हो गया है। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी जारी है। अब इस सीएनटी-एसपीटी को लेकर क्या कुछ सामने आता है देखना दिलचस्प होगा।

    देवाशीष गुप्ता की रिपोर्ट जारी हो : झामुमो
    झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि विधानसभा चुनाव है, इसलिए सरकार इस तरह के गलत हथकंडे अपना रही है। सरकार देवाशीष गुप्ता की रिपोर्ट, जिसका गठन इसी सरकार ने किया, को सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की पत्नी इसी मोहल्ले की निवासी हैं। उन्होंने सरकार पर गलत भावना से इस तरह के हथकंडे अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और साथ ही एसआइटी की जांच रिपोर्ट पर भी समुचित कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एसआइटी की रिपोर्ट में भाजपा के कई नेताओं, मसलन दिनेश उरांव, हेमलाल मुर्मू, जेबी तुबिद, लुइस मरांडी और अन्य के नाम हैं। यदि ईमानदारी से मामले की जांच करायी जाये, तो भाजपा नेताओं के चेहरे भी बेनकाब हो जायेंगे। पांडेय ने मांग की कि राज्य सरकार देवाशीष गुप्ता की रिपोर्ट को सार्वजनिक करे और उसमें जिनके भी नाम आये हैं, उन पर इमानदारी से कार्रवाई करे। आखिर सरकार उस रिपोर्ट को लागू क्यों नहीं कर रही।

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