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    Home»Top Story»कभी बंदूक से खेलने वाले बच्चे अब नेतरहाट में भी कराते हैं नामांकन
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    कभी बंदूक से खेलने वाले बच्चे अब नेतरहाट में भी कराते हैं नामांकन

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJuly 31, 2019Updated:July 31, 2019No Comments3 Mins Read
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    तांतनगर से अजय शर्मा
    चाईबासा का छोटा सा ब्लॉक तांतनगर में जैसे सरकार ने अपना सब कुछ उड़ेल दिया हो। अंचल कार्यालय सरकार के किसी बड़े विभाग के आॅफिस जैसा दिखता है। तीन साल से यहां तैनात बीडीओ नागेंद्र तिवारी विकास योजनाओं को लागू करने में जुटे हैं। वह इलाके के गरीब बच्चों को पढ़ाते भी हैं। यहां के दो बच्चों का नामांकन नेतरहाट विद्यालय में हुआ है। यह गौरव की बात है। तीन बच्चे नवोदय विद्यालय में और पांच बच्चियां इंदिरा गांधी बालिका विद्यालय में गयी हैं। बीडीओ के प्रयास से ब्लॉक आॅफिस में एक लाइब्रेरी बनायी गयी है। यहां कक्षा एक से लेकर प्रतियोगिता परीक्षाओं की पुस्तकें हैं। आसपास के इलाके के बच्चे यहां पढ़ने आते हैं। बीडीओ अपनी ड्यूटी के बाद बच्चों को पढ़ाते हैं। वह कहते हैं कि उन्हें इसमें बहुत आनंद आता है। पिछले दो साल से वह यह काम कर रहे हैं।
    तांतनगर जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर है। कुल 10 पंचायतों की 70 हजार की आबादी के लिए करीब एक सौ स्कूल हैं। आसपास के इलाके के लोग अशिक्षित हैं। हाल के दिनों में सरकार और प्रशासन के सहयोग से शिक्षा की अलख जगायी जा रही है। तांतनगर की तर्ज पर दूसरे प्रखंडों में भी लाइब्रेरी बन रही है। जिला प्रशासन के इस प्रयास की सराहना अभी हाल ही में नीति आयोग ने भी की थी। उसने तांतनगर प्रशासन के प्रयास पर ट्वीट भी किया था। मंगलवार तीसरे पहर करीब दो सौ बच्चे लाइब्रेरी में थे।
    चाईबासा उग्रवाद प्रभावित जिलों में शामिल है। यहां के स्कूल भवन नक्सलियों के निशाने पर होते थे। वे बच्चों के हाथों में बंदूक थमाया करते थे। अब यहां के बच्चों ने किताबों से दोस्ती कर ली है। अधिकारी बताते हैं कि जब यहां की लाइब्रेरी के फायदे सामने आये, तो सरकार ने हर ब्लॉक मुख्यालय में ग्राम महुआ (लाइब्रेरी) बनाने का फैसला किया। नौवीं में पढ़नेवाली पोंचो गांव की किटी बारी ने कहा कि लाइब्रेरी नहीं होती, तो उसकी पढ़ाई अधूरी रह सकती थी। सुनीता कुमारी ने बताया कि वह स्कूल के बाद सीधे लाइब्रेरी आती है। कोकचो की चांदनी तीन किलोमीटर दूर से यहां पढ़ने आती है। बीडीओ बताते हैं कि लाइब्रेरी तो हाल में बनी। वह इससे पहले से ही बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
    मोबाइल प्रयोगशाला
    चाईबासा में मोबाइल प्रयोगशाला भी है, जो स्कूलों में जाकर बच्चों को प्रयोगशाला का ज्ञान देता है। इसके फायदे भी अब सामने आने लगे हैं। यह प्रयोगशाला एक वैन में है। इन्हें स्कूलों में आवश्यकतानुसार भेजा जाता है।
    वरदान बने आयुष्मान भारत के तहत संचालित स्वास्थ्य केंद्र
    चाईबासा सदर ब्लाक मैं पंपड़ा एक गांव है। आयुष्मान भारत योजना के तहत यहां एक स्वास्थ्य केंद्र संचालित है। आधुनिक सुविधाओं से लैस इस स्वास्थ्य केंद्र में 50 से अधिक मरीजों का इलाज हर दिन होता है। गंभीर बीमारी वाले रोगियों को प्राथमिक उपचार के बाद दूसरी जगह पर भेज दिया जाता है। यहां एंबुलेंस भी है। कुछ ही दिन पहले मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसके भवन का उद्घाटन किया था। पहले यहां के मरीजों को परिजन जिला मुख्यालय ले जाते थे। अब तो आसपास के इलाके के मरीज भी आते हैं और स्वस्थ होकर जाते हैं। मंगलवार को भी कई महिला मरीजों का यहां इलाज हुआ। डीपीआरओ उर्वशी पांडेय ने बताया कि इस तरह के स्वास्थ्य उपकेंद्र 35 जगह खोले जा चुके हैं। सरकार चाहती है कि इसी तरह के स्वास्थ्य उपकेंद्र तेजी से खोले जायें।

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