मिशन 65 प्लस का लक्ष्य हासिल करने के लिए झामुमो और अन्य विपक्षी दलों को कमजोर करना जरूरी
विधानसभा चुनावों में मिशन 65 प्लस का टारगेट लेकर चली भाजपा के निशाने पर इस बार मुख्य रूप से झामुमो है। 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने झाविमो को निशाना बनाया था चुनाव के पहले बड़े नेताओं, विधायकों को टिकट देकर और चुनावों के बाद झाविमो के छह विधायकों का पार्टी में विलय कराकर बाबूलाल मरांडी को अलग-थलग कर दिया था। इस बार पार्टी यही हश्र झामुमो का करना चाहती है। झारखंड में झामुमो को कमजोर करने में जुटी भाजपा संथाल और कोल्हान में उसके परंपरागत आदिवासी वोट बैंक में सेंधमारी कर चुकी है। अब वह झामुमो और दूसरे विपक्षी दलों के ऐसे विधायकों और नेताओं को अपने पाले में करने में जुटी है, जो उसे यह लक्ष्य हासिल करने में कारगर साबित हो सकते हैं। ऐसे नेताओं में कुणाल षाडंÞगी, प्रदीप यादव, दशरथ गगराई, पौलुस सुरीन, शिवपूजन मेहता, भानु प्रताप शाही, बिट्टू सिंह, प्रकाश राम सहित 11 विधायक शामिल हैं।
दो तरह से झामुमो को कमजोर करेगी भाजपा
झारखंड में झामुमो को कमजोर करने के लिए भाजपा दो प्लान पर अमल कर रही है। इसमें पहला दीर्घकालिक प्लान और दूसरा अल्पकालिक प्लान है। दीर्घकालिक प्लान के तहत भाजपा संथाल और कोल्हान में पार्टी का जनाधार कमजोर करने में जुटी है। लोकसभा चुनावों में इसकी बानगी दिखी भी, जब झामुमो को केवल एक सीट पर जीत हासिल हुई। झामुमो छोड़कर भाजपा में आये हेमलाल मुर्मू समेत दूसरे नेता इसके लिए काम कर रहे हैं। इस प्लान के तहत भाजपा संथाल और कोल्हान में योजनाओं की गंगा बहा रही है। इसके साथ ही भाजपा यह प्रचारित करने में जुटी हुई है कि झामुमो आदिवासियों को पिछड़ा रखना चाहता है। इसलिए इस क्षेत्र में विकास का काम करने में पार्टी की रुचि नहीं है। भाजपा का यह प्लान कामयाब रहा है। इसकी बानगी इससे मिलती है कि झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में दो सीटों पर खड़ा होना पड़ा और एक सीट पर वह चुनाव हार गये थे। बरहेट सीट पर मिली जीत ने किसी तरह उनकी प्रतिष्ठा बचायी थी। अल्पकालिक प्लान के तहत भाजपा झामुमो और अन्य विपक्षी दलों के विधायकों को चुनाव से पहले और चुनाव में जीत कर आने के बाद अपने पाले में करने की कोशिश करेगी। इसके लिए पार्टी वही तरीका अपनायेगी, जो उसने 2014 के विधानसभा चुनावों में आजमाया था।
ऐसे 65 प्लस का आंकड़ा जुटायेगी भाजपा
2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा का जो गेम प्लान है, उसके अनुसार पार्टी ऐसे 65 प्लस का आंकड़ा जुटायेगी। इसके लिए भाजपा पहले ऐसे विधायकों का टिकट काटेगी, जिनका फीडबैक बेहतर नहीं है। इसके बदले उन लोगों को टिकट देगी, जो चुनाव जीतने की क्षमता रखते हैं और बीते विधानसभा चुनावों में नंबर दो पर रहे थे। 2014 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 37 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा की सहयोगी आजसू ने पांच सीटें जीती थीं और झाविमो से छह विधायक भाजपा में आये थे। जोड़ने पर एनडीए के विधायकों का यह आंकड़ा 48 हो जाता है। इसी संख्या बल के कारण भाजपा की सरकार झारखंड में टिकाऊ बनी रही। 2019 के विधानसभा चुनावों में 65 प्लस का लक्ष्य हासिल करने के लिए एनडीए को और 22 से अधिक विधायकों की जरूरत होगी। ये विधायक झामुमो और अन्य विपक्षी दलों के विधायकों को अपने पाले में कर भाजपा हासिल करेगी। इसके लिए भी भाजपा के पास दो प्लान हैं, जिनमें एक पार्टी चुनाव से पहले और दूसरा चुनाव के बाद इंप्लीमेंट करेगी। विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा झाविमो का भी बाबूलाल समेत पार्टी में विलय कराने की कोशिश करेगी।
ए-वाइ समीकरण पर कर रही काम
झारखंड में विपक्ष को प्राणहीन करने में जुटी भाजपा ए-वाइ समीकरण पर काम कर रही है। ए से आदिवासी और वाइ से यादव समाज के नेताओं को पार्टी अपने साथ लाना चाहती है। ये वैसे नेता हैं, जिनका यादव और आदिवासी समाज में बड़ा जनाधार है। भाजपा जानती है कि संथाल में आदिवासी नेतृत्व ही आदिवासी समुदाय का मत हासिल कर सकता है और आदिवासियों के कारण ही झामुमो का संथाल में गढ़ अभेद्य रहा था। इसलिए संथाल और कोल्हान में कद्दावर आदिवासी नेताओं को भाजपा अपने साथ लाना चाहती है। झारखंड के ऐसे कई जिले हैं, जहां यादवों की जनसंख्या बहुत है। ऐसे जिलों के लिए यादव नेताओं की भी भाजपा को जरूरत है। राज्य की 28 एसटी सीटों में से अधिक से अधिक सीटें जीतने पर भाजपा काम कर रही है। इसके अलावा जिन सीटों पर बीते विधानसभा चुनावों में पार्टी दूसरे स्थान पर रही, उस पर भी विशेष फोकस है।
संगठन मजबूत करने में जुटी है पार्टी
65 प्लस सीटें हासिल करने के लिए भाजपा संगठन को मजबूत करने के लिए काम कर रही है। संगठन के स्तर पर पन्ना प्रमुख सबसे निचला स्तर है। पन्ना प्रमुख से लेकर शक्ति केंद्र तक हर स्तर पर पार्टी काम कर रही है। पार्टी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने बताया कि आसन्न विधानसभा चुनावों में पार्टी आराम से 65 प्लस का आंकड़ा हासिल करेगी। इसकी वजह ये है कि एक तो भाजपा के पक्ष में झारखंड में माहौल है। सरकार ने जो काम किये हैं, उनसे जनता खुश है। संथाल और कोल्हान में झामुमो कमजोर हो चुका है। सबसे अच्छी बात यह है कि झारखंड में विपक्ष बिखरा हुआ है और भाजपा चुनाव के लिए न सिर्फ तैयार है, बल्कि इस पर काम भी कर रही है।
ये है भाजपा का 65 प्लस का मास्टर प्लान
दूसरे दलों के विधायकों और कद्दावर नेताओं को पार्टी में लाना
सामाजिक संगठनों के प्रमुख नेताओं को अपने साथ जोड़ना
नये सदस्य बनाकर चुनाव में वोटिंग का प्रतिशत बढ़ाना। बीते चुनाव में भाजपा को 31.3 फीसदी वोट मिले थे, इसे पार्टी बढ़ाकर पचास फीसदी करना चाहती है
संगठन को मजबूत करना और जनता के बीच केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का प्रचार
खराब फीडबैक वाले विधायकों को टिकट से वंचित करना
2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी दूसरे स्थान पर रहीं उनमें जीत हासिल करना। बीते विधानसभा चुनावों में पार्टी बहरागोड़ा, बरहेट, बरही, बड़कागांव, भवनाथपुर, बिशुनपुर, चाईबासा, चक्रधरपुर, डाल्टनगंज, धनवार, डुमरी, गोमिया, हुसैनाबाद, जगरनाथपुर, जरमुंडी, खरसावां, कोलेबिरा, लातेहार, लिट्टीपाड़ा, महेशुपर, मझगांव, मांडू, मनोहरपुर , नाला, निरसा, पाकुड़, पांकी, पोड़ैयाहाट, सरायकेला और शिकारीपाड़ा इन तीस सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी।