लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी :सपा: में हुए परोक्ष तख्तापलट के बाद अब उसके आधिकारिक चुनाव चिहन ‘साइकिल’ को लेकर शुरू हुई लड़ाई चुनाव आयोग की अदालत में पहुंच गयी है।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके भ्राता शिवपाल सिंह यादव, वहीं दूसरी ओर अखिलेश की ओर से सपा के ‘बर्खास्त ’ महासचिव रामगोपाल यादव चुनाव आयोग के सामने अपने-अपने दावे पेश करने के लिये दिल्ली पहुँच चुके हैं। आयोग दोनों के दावों को परखेगा। अब सारा दारोमदार उसी पर है।
सपा के विवादित राष्ट्रीय अधिवेशन में परोक्ष तख्तापलट के बाद शुरू हुए शह-मात के नये खेल के बीच मुलायम ने कहा, ‘‘कोई भी व्यक्ति मुझ पर आरोप नहीं लगा सकता कि मैंने गलत किया है। मैंने ना तो कोई भ्रष्टाचार किया है और ना ही किसी को धोखा दिया है। साइकिल चुनाव निशान हमारा है।’’ दूसरी ओर, अखिलेश खेमे द्वारा कल आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में सपा प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये गये शिवपाल ने कहा कि मुलायम अब भी राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और आगे भी रहेंगे। मैं मरते दम तक नेताजी :मुलायम: के साथ रहूंगा।
इस बीच, मुखिया मुलायम सिंह यादव ने आगामी पांच जनवरी को बुलाया गया पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन फिलहाल स्थगित कर दिया है।
शिवपाल ने ट्वीट कर कहा कि नेताजी :मुलायम: के आदेशानुसार समाजवादी पार्टी का पांच जनवरी का अधिवेशन फिलहाल स्थगित किया जाता है। उन्होंने कहा कि सभी नेता और कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्र में चुनाव की तैयारियों में जुटें और जीत हासिल करने के लिए जी-जान से मेहनत करें।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खेमे द्वारा बुलाए गए पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन तथा उसमें लिये गये तमाम फैसलों को असंवैधानिक करार देते हुए इसकी वजह से पैदा हुए भ्रम को दूर करने के लिए आगामी पांच जनवरी को पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया था। इस बीच, रविवार को अधिवेशन में शामिल होने पर मुलायम द्वारा सपा से निष्कासित किये गये पार्टी राज्यसभा सदस्य किरणमय नंदा ने कहा कि मुलायम अब भी सभी समाजवादियों के नेता हैं लेकिन आगामी विधानसभा का चुनाव पार्टी के नये अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। अमर सिंह के बारे में उन्होंने कहा कि अमर नेताजी का दिल तोड़ना चाहते हैं। शिवपाल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘वह क्या कर सकते हैं। वह नेताजी के साथ हैं। हम सब भी नेताजी के साथ हैं।’’
सपा के रविवार को हुए विवादित राष्ट्रीय अधिवेशन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था जबकि मुलायम को पार्टी का संरक्षक बना दिया गया था। इसके अलावा परिवार में झगड़े की जड़ माने जा रहे पार्टी महासचिव अमर सिंह को निष्कासित करने और शिवपाल को सपा प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला किया गया था। इस अधिवेशन में सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा, महासचिव नरेश अग्रवाल, कभी सपा मुखिया के बेहद विश्वासपात्र रहे कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी, मंत्री रामगोविंद चौधरी, अहमद हसन, वरिष्ठ नेता रेवती रमण सिंह इत्यादि ऐसे नेता शामिल हुए थे जो कभी मुलायम के साथ खड़े रहते थे। इससे नाराज सपा मुखिया ने संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई थी जिसमें सम्मेलन में हुए तमाम फैसलों को अवैध घोषित किया गया था। इसके अलावा मुलायम ने अधिवेशन में शिरकत करने वाले राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा तथा पार्टी महासचिव नरेश अग्रवाल को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।