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    Home»Top Story»लॉकडाउन के बावजूद सड़कों पर उमड़ रहे लोग
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    लॉकडाउन के बावजूद सड़कों पर उमड़ रहे लोग

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskMarch 24, 2020No Comments6 Mins Read
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    सरकार ने कोरोना महामारी को लेकर झारखंड में लॉकडाउन लागू कर दिया है। सोमवार से प्रभावी सरकार के इस आदेश की जिस तरह झारखंड के आम लोगों ने धज्जियां उड़ायीं, उससे साफ हो गया है कि लोग न केवल गैर-जिम्मेदार, बल्कि बेपरवाह भी हैं। राजधानी रांची के अलावा राज्य के दूसरे शहरों और कस्बों में लॉकडाउन पर अमल नहीं हो रहा। बाजारों में आम दिनों की तरह भीड़ हो रही है और तमाम गतिविधियां बदस्तूर जारी हैं। लोगों को शायद यह आभास भी नहीं है कि वे कितनी बड़ी आपदा को आमंत्रित कर रहे हैं। इटली के लोगों ने यही गलती की थी और आज इसकी कीमत वे चुका रहे हैं। झारखंड के लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि इटली एक विकसित देश है और झारखंड के मुकाबले वहां की स्वास्थ्य सेवाएं कितनी समृद्ध हैं। इसके बावजूद कोरोना ने इटली को तबाह कर दिया है, जबकि झारखंड के लोग इसे समझ नहीं रहे हैं या फिर समझ कर भी यह सोच रहे हैं कि उन्हें कुछ नहीं होगा। ऐसा सोच वे भारी गलती कर रहे हैं, क्योंकि कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है और केवल सजगता-सतर्कता से ही इससे बचा जा सकता है। झारखंड के लोगों को यह भी समझ लेना चाहिए कि एक दिन के जनता कर्फ्यू या पांच मिनट के ताली-थाली बजाने से कोरोना का संकट दूर नहीं हुआ है। आजाद सिपाही की टीम ने सोमवार को राज्य के विभिन्न शहरों का जायजा लिया। इस दौरान जो लापरवाही दिखी, उससे साफ हो गया है कि लोग कोरोना को लेकर तनिक भी चिंतित नहीं हैं। आज का विशेष इसी लापरवाही और उसके संभावित परिणामों पर केंद्रित है।

    पूरी दुनिया आज कोरोना के संक्रमण से कराह रही है। भारत का 90 प्रतिशत भूभाग इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आ चुका है। शहर दर शहर बंद हो रहे हैं। देश भर के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर रविवार को जनता कर्फ्यू लगाया और घरों में बंद रहे। जिस तरीके से लोग प्रधानमंत्री की बातों को मानते हैं, उसका पालन करते हैं, ये उनका करिश्मा ही है, जो इस संकट की घड़ी में देश को कोरोना के प्रति लड़ाई में एकजुट किये हुए है। लेकिन झारखंड के लोग सोमवार को कोरोना के प्रति लापरवाह दिखे। रांची, हजारीबाग, धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर, दुमका, देवघर समेत सभी शहरों में सोमवार की सुबह को जनजीवन आम दिनों की तरह था। बाजारों में लोगों की भारी भीड़ थी और सड़कों पर वाहनों की आवाजाही सामान्य थी। दुकानें भी खुली थीं या खुल रही थीं। यह वाकई खतरनाक स्थिति है। यह सही है कि झारखंड में अब तक इस खतरनाक बीमारी का प्रवेश नहीं हुआ है, लेकिन लोगों की बेपरवाही पूरे झारखंड के लिए आत्मघाती हो सकता है।
    झारखंड के लोगों को ऐसा लग रहा था कि सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन एक उत्सव है और इसको सेलिब्रेट करना चाहिए। हम शायद यह भी समझ रहे हैं कि सरकार के लॉकडाउन घोषित कर देने से कोरोना भी अपने घर में बंद हो जायेगा और हम दफ्तरों से छुट्टी पाकर मौज-मस्ती करने के लिए आजाद हैं। यह लापरवाही न केवल हमें, बल्कि उनके लिए भी खतरे की घंटी है, जो अपने घरों में बंद हैं। झारखंड क्या हमारे पूरे देश की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति ऐसी नहीं है कि यहां किसी महामारी को प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सके। हमें यह हकीकत समझनी होगी कि झारखंड में प्रत्येक दो हजार की आबादी के लिए केवल एक डॉक्टर है और हमारे पास अस्पतालों की बेहद कमी है। सरकार अपने स्तर से हरसंभव कदम उठा रही है। रविवार को जब हम अपने घरों में बंद थे, तब बाहर से रांची पहुंचे रेल यात्रियों को बिना किसी जांच के घर जाने दिया गया, क्योंकि प्रशासन के पास उतने संसाधन नहीं हैं। जहां किसी मरीज की जांच रिपोर्ट भी तीन से चार दिन में आ रही है, कल्पना कीजिए कि यदि एक साथ पांच सौ-हजार संदिग्ध किसी अस्पताल में पहुंच जायें, तो क्या स्थिति होगी।
    झारखंड के लोगों को इटली से सबक लेनी चाहिए। हमें यह भी समझना होगा कि इटली और झारखंड में बहुत फर्क है। हम जहां एक वर्ग किलोमीटर में 414 लोग रहते हैं, इटली में महज 193 लोग ही रहते हैं। हमारे पास पांच सौ की आबादी के लिए एक बेड उपलब्ध है, तो इटली में यह अनुपात महज 80 है। दुनिया में दूसरी सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य सुविधा इटली की ही है, जबकि भारत का स्थान 112वां है और झारखंड का स्थान भारत में 24वां है। इतनी संपन्न स्वास्थ्य सुविधाओं के बावजूद इटली कोरोना की मार से कराह रहा है। इसका एकमात्र कारण यह है कि शुरूआत में वहां की सरकार और आम लोगों ने इसके प्रति लापरवाही दिखायी। उन्हें लगा कि कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। इटली को छोड़ भी दें, तो अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस जैसे विकसित देश भी कोरोना से सहमे हुए हैं।
    ऐसे में यदि हम इसी तरह लापरवाह बने रहेंगे, सरकार के दिशा-निदेर्शों का खुल कर उल्लंघन करते रहेंगे, तो फिर हमें कोई भी ताकत इस महामारी से बचा नहीं सकती है। हमें यह समझ लेना चाहिए कि हमारी ऐसी गतिविधियां हमारे परिवार के लिए, पूरे समाज के लिए, राज्य के लिए और देश के साथ पूरी मानवता के लिए खतरा बन रही हैं। हमें इसे बदलना ही होगा और कोरोना से बचने के लिए फिलहाल यही एकमात्र रास्ता है। हम यदि समझ रहे हैं कि झारखंड में इस महामारी का प्रवेश नहीं होगा, तो हम पूरी तरह गलत हैं।
    यदि हम संयम नहीं बरतेंगे और विशेषज्ञों की सलाह नहीं मानेंगे, तो हम आज नहीं तो कल इससे प्रभावित हो जायेंगे और तब हमें कोई बचानेवाला भी नहीं रहेगा। इसलिए अब भी वक्त है। हम सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करें। अनावश्यक घरों से नहीं निकलें और न दूसरों को ऐसा करने दें। यदि हम ऐसा नहीं करेंगे, तो फिर प्रशासन को सख्ती बरतनी होगी। यदि सख्ती से लॉकडाउन का अनुपालन कराया जाने लगा, तो समाज में एक अतिरिक्त तनाव पैदा होगा।
    तब हमें अपने नागरिक अधिकारों की याद आयेगी, लेकिन आज जब अवसर है, हम अपने नागरिक होने के कर्तव्य को भूल रहे हैं या जानबूझ कर नजरअंदाज कर रहे हैं। आजाद सिपाही की आपसे अपील है कि कृपया लॉकडाउन की घोषणा का सख्ती से अनुपालन करें, अनावश्यक घर से नहीं निकलें, क्योंकि यह आपके और आपके परिवार की सुरक्षा के लिए है।

    Despite the lockdown people throng the streets
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