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    Home»झारखंड»हक नहीं मिला, तो सपरिवार आत्मदाह : पट्टाधारी
    झारखंड

    हक नहीं मिला, तो सपरिवार आत्मदाह : पट्टाधारी

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskMay 12, 2020No Comments3 Mins Read
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    सुनील कुमार
    लातेहार। जिला प्रशासन द्वारा वनवासियों को दस साल पहले दिये गये पट्टे को वन विभाग नहीं मान रहा है। जिले के महुआडांड़ अनुमंडल के तंबोली ग्राम में पिछले दो दिनों से वन पट्टा को लेकर तनाव है। एक ओर वनवासी वन पट्टा वाली भूमि पर खेती वर्षों से कर रहे हैं, तो दूसरी ओर वन विभाग उक्त भूमि पर जबरन वनरोपण करने को लेकर आमादा है। वनवासियों का कहना है कि बीते रविवार को वे लोग वनकर्मियों द्वारा उनकीभूमि पर किये जा रहे गड्ढे को रोकने गये, तो वनकर्मियों ने हमला बोल दिया। पुन: जब सोमवार को कागजात लेकर गये, तो उल्टे उन्हें जेल भेज देने की धमकियां देकर उक्त भूमि से हटा दिया गया।

    बताते चलें कि अधिभोग के अधीन वन भूमि के लिए हक का दावाकर्ता अनुसूचित जनजाति परिवार के प्रमोद कुजुर, दूलो कुजूर, कमिल कुजूर एवं सेलवेस्टर कुजूर पिछले 10 वर्षों से वन पट्टा धारी होने के बावजूद अपने हक के लिए वन विभाग के साथ जद्दोजहद कर रहे हैं। दवाप्राप्त कर्ता तंबोली ग्राम के नवा टोली ग्राम स्थित खाता 203/74 प्लॉट 916 कुल रकबा एक एकड़ 96 डिसमिल, दूलो कुजूर खाता 203/74 प्लॉट 916/3 कुल रकबा एक एकड़ 50 डिसमिल , कमिल कुजूर ,खाता 17/6 प्लॉट 45 रकबा कुल 70 डिसमिल एवं सिल्वेस्टर कुजूर खाता 17/6 प्लॉट 49/2 कुल रकबा 90 डिसमिल के हकदारी पट्टाधारी रैयत हैं। उन्हें विगत 12 अगस्त 2010 को लातेहार जिला मुख्यालय में आयोजित पट्टा वितरण शिविर में समाहर्ता सह उपायुक्त लातेहार, वन संरक्षक बफर कोर एरिया व्याघ्र परियोजना पलामू एवं जिला कल्याण पदाधिकारी लातेहार के संयुक्त हस्ताक्षर से पट्टा (मालिकाना हक) निर्गत किया गया है। अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी नियम 2008 के उपनियम 8 (अ) के तहत भारत सरकार के जनजाति कार्य मंत्रालय के आदेश पर उन्हें पूर्व की जोतकोड़ वाली भूमि को मालिकाना हक प्रदान किया गया है।

    इस भूमि पर वनवासियों ने वर्ष 2015 तक शांतिपूर्वक खेती की, लेकिन वर्ष 2016 से वन विभाग द्वारा उन्हें उक्त भूमि से हटाने का लगातार प्रयास किया जाता रहा है। इन वनवासियों का कहना है कि बी तिवारी नामक गार्ड दर्जनों लोगों को हरवे हथियार से लैस होकर उनकी भूमि पर पहुंचता है और उन्हें बेदखल करने का प्रयास करता है। इन वनवासियों पर बफर कोर एरिया के वनपाल के द्वारा वर्ष 2016 में सीएफ वाद संख्या 316/16 वर्ष 2017 में सीएफ वाद संख्या 256/17 एवं 217/17 दायर करा कर उन्हें जेल भी भेजा जा चुका है। वन विभाग की इस कार्रवाई से वनवासियों में जिला प्रशासन के प्रति क्षोभ व्याप्त है।
    उनका कहना है कि एक ओर सरकार उन्हें मालिकाना हक का कागजात सौंपती है, तो दूसरी ओर सरकार का ही दूसरा महकमा उनसे अपराधियों के जैसा सलूक करता है। उनका कहना है कि उनसे जमीन भी लूटी जा रही है और उन्हें जेल भी भेजा जा रहा है, फिर भी प्रशासन मौन है। वनवासियों का यह भी कहना है कि यदि उन्हें उक्त जमीन से बेदखल किया गया, तो वे सपरिवार आत्मदाह कर लेंगे।
    क्या कहते हैं उपायुक्त
    उपायुक्त जीशान कमर से जब इस बाबत आजाद सिपाही ने पूछा, तो उनका कहना है कि वनवासियों की ओर से उन्हें कोई आवेदन नहीं मिला है, फिर भी मामले की जांच करा कर समाधान करेंगे।

    Family self-immolation if rights are not granted: Pattadhari
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