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    Home»Jharkhand Top News»विपक्ष के साथ बैठक करे केंद्र : हेमंत
    Jharkhand Top News

    विपक्ष के साथ बैठक करे केंद्र : हेमंत

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskMay 23, 2020No Comments5 Mins Read
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    रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि केंद्र सरकार को कोरोना संकट से निबटने के लिए विपक्ष के साथ बैठक कर ठोस रणनीति बनानी चाहिए। इससे कोरोना के खिलाफ जंग के लिए संयुक्त और ठोस एजेंडा बनाने में मदद मिलेगी। शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई विपक्षी दलों की बैठक में झारखंड का पक्ष रखते हुए उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि झारखंड की समस्या दूसरे प्रदेशों से अलग है। यहां बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक लौट रहे हैं। उनके स्वास्थ्य की जांच के साथ उनके लिए रोजगार की व्यवस्था करनी है। साथ ही कोरोना का संक्रमण नहीं फैले, इस पर भी ध्यान देना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संकट के दौरान ही अम्फान तूफान भी आया और ओलावृष्टि भी हुई, जिससे झारखंड के किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। इसकी भरपाई भी जरूरी है।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को वापस लाने के लिए की गयी विशेष ट्रेन के परिचालन के नये नियम बनाये हैं। झारखंड उसका पूरी तरह पालन करेगा। उन्होंने कहा कि झारखंड की अर्थव्यवस्था पूरी तरह केंद्र पर निर्भर है। राज्य सरकार संकट के इस दौर में अपनी पूरी ताकत से काम कर रही है।
    बैठक से बाहर निकलने के बाद मीडिया से बातचीत में हेमंत सोरेन ने कहा कि विपक्षी दलों ने कोरोना संकट के दौरान पैदा हुई विभिन्न समस्याएं उठायीं। इस बारे में एक विस्तृत कार्य योजना केंद्रीय स्तर पर तैयार करने का फैसला किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बैठक सकारात्मक रही। इस महामारी और साइक्लोन, अतिवृष्टि, ओलावृष्टि जैसी आपदा पर चिंता जतायी गयी। इन सभी विषयों पर एक मसौदा तैयार हुआ है, जिसे दिल्ली से रखा जायेगा। उन्होंने कहा कि विपक्ष की चिंताएं हैं। राजनीति को किनारे रखकर इस महामारी में सभी को साथ आना चाहिए। सभी नेताओं ने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री के साथ भी वीडियो कांफ्रेंसिंग होनी चाहिए और उनकी सलाह और सुझाव लेने चाहिए। इससे इस संक्रमण काल में एक अच्छा रास्ता निकल सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान, मजदूर और मंझोले व्यवसायियों को और कितनी सुविधाएं मिलनी चाहिए, इस पर सभी लोगों ने सुझाव दिये। मुख्यमंत्री ने रेलवे द्वारा जारी नयी गाइडलाइन की बाबत कहा कि इस गाइडलाइन के चलते अब तक राज्य में 90 से एक सौ ट्रेनें आ चुकी थीं और इतनी ही ट्रेनें और आनी थीं, लेकिन इस गाइडलाइन के चलते अब रेल मंत्रालय द्वारा ही ट्रेनों का परिचालन किया जायेगा। सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार से बात करेंगे कि ट्रेनों के परिचालन में राज्य सरकार की भी भूमिका हो। इस पर केंद्र सरकार को फिर से कोई एक नयी एडवाइजरी जारी करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को लेकर एक ट्रेन महाराष्ट्र से झारखंड के लिए चली है, लेकिन व्यवस्थागत खामियों के कारण वह शुक्रवार को आठ घंटे से रुकी हुई है। ट्रेन में सवार प्रवासी श्रमिकों के सामने भोजन और पानी का संकट पैदा हो गया है, लेकिन अधिकारी उन पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। सीएम ने कहा कि वह शनिवार को इस बारे में रेल मंत्री से बात करेंगे।

    ये नेता हुए शामिल
    बैठक में देश के 22 विपक्षी दलों ने हिस्सा लिया है। रणदीप सुरजेवाला ने एक और ट्वीट में बताया कि बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, माकपा नेता सीताराम येचुरी और द्रमुक नेता एमके स्तालिन, राजद नेता तेजस्वी यादव, नेकां के उमर अब्दुल्ला आदि विपक्षी नेता शामिल हुए।

    बैठक में केंद्र सरकार पर बरसीं सोनिया
    वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर जम कर निशाना साधा। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर प्रवासी श्रमिकों से जुड़े इस संकट से निपटने में विफल रहने का आरोप लगाया। देश में कोरोना वायरस महामारी के चलते प्रवासी मजदूरों के पलायन और गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस ने यह बैठक बुलायी थी। कोरोना महामारी आने के बाद यह पूरे विपक्ष को साथ करने की पहली कोशिश है। बैठक की शुरुआत विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा बंगाल और ओड़िशा में चक्रवात अम्फान से पीड़ित लोगों के प्रति शोक जता कर हुई। बैठक में सोनिया गांधी ने कहा, भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आने से पहले ही देश की अर्थव्यवस्था संकट में थी। नोटबंदी और त्रुटिपूर्ण जीएसटी इसके प्रमुख कारण थे। आर्थिक गिरावट 2017-18 से शुरू हुई। सात तिमाही तक अर्थव्यवस्था का लगातार गिरना सामान्य नहीं था। फिर भी सरकार गलत नीतियों के साथ आगे बढ़ती रही। उन्होंने कहा, सरकार लॉकडाउन के मानदंडों को लेकर भी निश्चित नहीं थी और न ही सरकार के पास इसे खत्म करने की कोई योजना है। कोरोना जांच और जांच किट के आयात के मोर्चे पर पर भी सरकार फेल रही है। सोनिया गांधी ने कहा, अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद खराब है। हर बड़े अर्थशास्त्री ने यही सलाह दी है कि राजकीय प्रोत्साहन की तत्काल आवश्यकता है। 12 मई को प्रधानमंत्री की बड़े 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा और वित्त मंत्री द्वारा पांच दिनों तक उसकी जानकारियां देते रहना इस देश के लिए एक क्रूर मजाक बन गया है। सोनिया ने कहा, इस महामारी की असल तस्वीर सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रहे लाखों प्रवासी मजदूर और उनके बच्चे बयां कर रहे हैं, जो बिना पैसे, भोजन या दवाओं के चल रहे हैं और सिर्फ अपने घर जाना चाहते हैं। सोनिया ने कहा, प्रवासियों, 13 करोड़ परिवारों की सरकार ने बड़ी क्रूरता से अनदेखी की है।

    केजरीवाल, मायावती और अखिलेश ने किया किनारा
    केंद्र को घेरने की इस कोशिश में कुछ बड़े विपक्षी दलों ने शामिल होने से इनकार भी किया। उत्तर प्रदेश की सियासत के दो प्रमुख चेहरों बसपा प्रमुख मायावती और सपा मुखिया अखिलेश यादव बैठक में शामिल नहीं हुए, तो दूसरी ओर दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी ने भी इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया।

    Center to meet with opposition: Hemant
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