राजनीति केवल अवसरवादिता का खेल नहीं है। यदि ऐसा होता, तो राजनीतिक दलों के लिए अवसरों की कमी कभी नहीं रही, लेकिन बहुत से अवसर पर इसका लाभ उठाने की उन्होंने नहीं सोची, क्योंकि इसके दूरगामी परिणाम ठीक नहीं होते। झारखंड में भाजपा शायद राजनीति के इस गूढ़ मंत्र को भूल गयी है। तभी पार्टी ने अपने बाहुबली विधायक ढुल्लू महतो के पक्ष में बयान देकर पूरी पार्टी को नये विवाद में डाल दिया है। राज्यसभा चुनाव में पार्टी के विधायकों का अभी क्या महत्व है, इसे तो आसानी से समझा जा सकता है, लेकिन भाजपा ने एक ऐसा मुद्दा उठा दिया है, जो तात्कालिक रूप से पार्टी को लाभ भले पहुंचा दे, लेकिन इसका दूरगामी असर पार्टी के लिए बहुत अच्छा नहीं रहेगा। ढुल्लू महतो की छवि क्या है और वह क्या हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। यहां तक कि वह जिस आरोप में जेल में बंद हैं, वह भी मामूली नहीं है। हम आपको याद दिला दें कि पूर्व में उत्तरप्रदेश के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के पक्ष में भी पार्टी ऐसा ही बयान दे रही थी, लेकिन जब न्यायालय ने उन पर शिकंजा कस दिया और वे दोषी ठहरा दिये गये, तो उसके बाद भाजपा को मुंह छिपाने की जगह नहीं मिल रही थी। ढुल्लू महतो भी उसी राह पर हैं। ढुल्लू महतो को लेकर भाजपा के स्टैंड की पृष्ठभूमि में इसके संभावित असर पर आजाद सिपाही ब्यूरो की विशेष रिपोर्ट।
झारखंड की राजनीति में ढुल्लू महतो का नाम बेहद चर्चित है। बाघमारा के भाजपा विधायक ढुल्लू महतो इन दिनों जेल में बंद हैं। उन पर भाजपा की ही एक महिला नेत्री ने दुष्कर्म और यौन प्रताड़ना का आरोप लगाया है। अदालत से वारंट जारी होने के बाद वह फरार हो गये और दो महीने की लुका-छिपी के बाद सरेंडर किया। इसी ढुल्लू महतो को बेवजह परेशान करने का आरोप उनकी पार्टी ने लगाया है। अपनी पार्टी के विधायकों के पक्ष में खड़ा होना वैसे तो स्वाभाविक है, लेकिन जब बात दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी की हो और मामला यौन उत्पीड़न और रंगदारी से जुड़ा हो, एक बाहुबली तथा खुद को टाइगर कहनेवाले विधायक से जुड़ा हो, तो थोड़ा अटपटा जरूर लगता है।
थोड़ा पीछे चलते हैं। उत्तरप्रदेश में एक विधायक हुए कुलदीप सिंह सेंगर। उन्होंने अपने बाहुबल के अतिरेक में अपने पड़ोस की एक लड़की से जबरदस्ती की। लड़की और उसके परिवार को डराया-धमकाया, लेकिन बात नहीं बनी। पुलिस केस हुआ, लेकिन विधायक जी को पुलिस ने नहीं पकड़ा। मामला अदालत तक चला गया। भाजपा अपने विधायक को बचाने की कोशिश करती रही, लेकिन इंसाफ की जीत हुई। विधायक जी को सजा हो गयी और पार्टी की छवि खराब हुई। यानी सेंगर पार्टी के लिए भस्मासुर बन गये।
ढुल्लू महतो के साथ भी यही स्थिति है। अपने कारनामों के कारण चर्चित इस विधायक के खिलाफ करीब दो दर्जन मामले दर्ज हैं। रंगदारी वसूलने से लेकर मारपीट और अपहरण से लेकर दुष्कर्म तथा पुलिस हिरासत से आरोपी को छुड़ाने तक का मामला ढुल्लू के खिलाफ चल रहा है। बाघमारा के इलाके में ढुल्लू महतो का सिक्का चलता है, इस बात से भाजपा भी वाकिफ है और झारखंड के आम लोग भी। जब जी चाहे, किसी को भी उठवा लेना, मारपीट करना और लेवी वसूलना इनका रोजमर्रा का काम है। इतना ही नहीं, भाजपा के बड़े नेता इनके इलाके में इनके द्वारा रामराज स्थापित करने की बात सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं। पुलिस प्रशासन को अपनी जेब में रखने का दावा करनेवाले ढुल्लू महतो को प्रताड़ित करने की बात कहने से पहले भाजपा को इसके दूरगामी परिणाम के बारे में सोच लेना चाहिए था।
यह पहला मौका है, जब ढुल्लू महतो को परेशान करने का आरोप पार्टी ने लगाया है। पार्टी ने ऐसा क्यों कहा, इसे भी समझना जरूरी है। पार्टी को राज्यसभा चुनाव में एक सीट चाहिए। उसके लिए हर विधायक का वोट जरूरी है, इसलिए पार्टी पहले से ही अपने सभी विधायकों को एकजुट रखने की कोशिश में है, जो स्वाभाविक भी है। लेकिन भाजपा जिस तरह की राजनीति की बात करती है, उसमें ढुल्लू महतो की तरफदारी वाला स्टैंड आम लोगों के गले नहीं उतर रहा है। लोग कहने लगे हैं कि एक बाहुबली और अपनी ही पार्टी की नेता के साथ जबरदस्ती करनेवाले विधायक का इस तरह पक्ष लेना अच्छी बात नहीं है। यहां तक कि पार्टी के कुछ पुराने लोगों की भी यही राय है कि ढुल्लू महतो पार्टी के लिए एक बोझ ही बन गये हैं।
विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ढुल्लू महतो जब शपथ ग्रहण करने के लिए विधानसभा में पहुंचे थे, तब भी उन्हें पार्टी ने अलग-थलग ही रखा था। यहां तक कि उनके खिलाफ दर्ज होनेवाले मामलों पर भी पार्टी ने कभी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की थी। लेकिन पहली बार उनके समर्थन में पार्टी की टिप्पणी से हर कोई हैरान है। लोग कह रहे हैं कि चुनाव तो आते-जाते रहेंगे, लेकिन भाजपा को झारखंड में अपनी साख बचाने के लिए बड़े त्याग करने होंगे और ढुल्लू महतो जैसे लोगों से पीछा छुड़ाना ही होगा। उनके द्वारा स्थापित ‘रामराज’ कहीं से भी भाजपा के रामराज से मेल नहीं खाता है। इसलिए अब पार्टी को ऐसे लोगों को किनारे लगाना ही होगा।
कुछ लोग तो अब भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी से भी सवाल करने लगे हैं कि अभी कुछ दिनों पहले ही वह जब झाविमो में थे, तो पार्टी की एक कार्यकर्ता ने झाविमो के महासचिव और विधायक प्रदीप यादव पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। उस आरोप मात्र से बाबूलाल मरांडी विचलित हो गये थे और उन्होंने प्रदीप यादव को महासचिव पद से त्यागपत्र देने को कह दिया था। बाबूलाल मरांडी चूंकि अब भाजपा विधायक दल के नेता हैं, ऐसे में राजनीतिक शुचिता की बात करनेवाले लोग उनसे यह उम्मीद कर रहे हैं कि वह ढुल्लू महतो के मामले में मुखर होंगे और अपने दल के नेताओं को उनके पक्ष में खुलेआम खड़ा होने से रोकेंगे।
झारखंड में भाजपा अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त झेलने के बाद से उसके नेता और कार्यकर्ता हताश हो गये थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से वे पुराने फॉर्म में लौटते दिख रहे हैं। चुनावी हार का बोझ उनके सिर से हट गया लगता है, लेकिन पार्टी नेतृत्व को याद रखना होगा कि अभी उसे बहुत लंबा रास्ता तय करना है।
इस रास्ते में उसे ढुल्लू जैसे अवरोधों को सलीके से किनारे करना होगा, अन्यथा झारखंड में अपने पैरों के नीचे की जमीन को बचाये रखना उसके लिए असंभव होगा। राज्यसभा चुनाव में वह एक सीट भले ही जीत ले, लेकिन ढुल्लू महतो जैसे विधायकों का साथ उसे हमेशा एक परेशान करनेवाली स्थिति में रखेगा, यह बात पार्टी नेतृत्व को समझ लेनी चाहिए। इसलिए पार्टी के लिए भस्मासुर पैदा करने की बजाय भाजपा नेतृत्व के लिए एक साफ-सुथरी राजनीतिक राह को अपनाना ही श्रेयस्कर होगा और राजनीतिक रूप से फायदेमंद भी।