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    Home»Breaking News»चीनी सेना को फिंगर-4 से पीछे भेजना होगी बड़ी चुनौती
    Breaking News

    चीनी सेना को फिंगर-4 से पीछे भेजना होगी बड़ी चुनौती

    azad sipahiBy azad sipahiJune 24, 2020No Comments3 Mins Read
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    – भारतीय सेना के पूर्व वरिष्ठ अफसरों ने दी चीन की चालबाजियों से सावधान रहने की सलाह
    – शांति वार्ता के बीच गलवान घाटी में अपने निर्माणों को बढ़ता जा रहा है चीन
    नई दिल्ली, 24 जून (हि.स.)। एक तरफ चीन के साथ सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास डी-एस्केलेशन के लिए बातचीत चल रही है तो दूसरी तरफ पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) विवादित क्षेत्र में ही अपने निर्माणों को भी बढ़ाती जा रही है। इसीलिए भारतीय सेना में रहकर तमाम तरह के अनुभव लेने के बाद अब वर्दी उतार उतार चुके पूर्व वरिष्ठ अफसर चीन की चालबाजियों से सावधान रहने और उस पर ज्यादा भरोसा न करने की सलाह दे रहे हैं। इन जानकारों का कहना है कि भले ही भारत के साथ वार्ता में चीन ने एलएसी से पीछे हटने की सहमति जताई हो लेकिन फिंगर फोर से फिंगर आठ तक कब्ज़ा जमाये बैठे चीनी सेना पीएलए को यहां से वापस पीछे भेजना आसान नहीं बल्कि भारतीय सेना के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
    पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने पिछले 2 दिनों में पैंगोंग त्सो में अपने गश्ती बेड़े में 16 और त्वरित हमले वाली नौकाओं को जोड़ा है। ये नावें अग्नि शस्त्रों से सुसज्जित हैं। इसी तरह पीएलए ने फिंगर 5 के पास 2 और बंकरों का निर्माण किया है। अब यहां चीन के कुल 6 बंकर हो गए हैं। चीन से शांति वार्ता के बीच गलवान घाटी में अपने निर्माणों को बढ़ता जा रहा है। कोर कमांडर स्तर की बैठक में सहमति होने के बावजूद आज चीन ने दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में भारत की पेट्रोलिंग रोकने की कोशिश की है। चीनी इलाके के ​देपसांग इलाके में भी चीन के सैनिकों की भी हलचल बढ़ने की खबर है। सेटेलाइट की ली गई तस्वीरें भी पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन के कई नए निर्माण होने की गवाही दे रही हैं।
    ​पूर्व सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर ने कहा​ कि ​​विशेष रूप से पैंगोंग त्सो में ​​सेना के निचले निचले स्तर पर विश्वास के साथ​ संघर्ष बढ़ने की बहुत संभावना है लेकिन भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार है। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया भी गलवान घाटी के फिंगर एरिया से पीएलए को हटाना बड़ी चुनौती मानते हैं। ​​रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा कहते हैं कि कोर कमांडर स्तर की वार्ता में सहमति बनने के बावजूद चीनी सेना पीएलए को फिंगर फोर से फिंगर आठ तक वापस लाना आसान नहीं होगा बल्कि भारतीय सेना के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। वह यह भी आशंका जताते हैं कि चीन यहां से हटने के बाद सीमा क्षेत्र में ही नई जगहों पर सैन्य तैनाती और नए निर्माण कर सकता है। रिटायर्ड हुड्डा कहते हैं कि यह मामला सिर्फ फिंगर एरिया तक सीमित नहीं है। आप अगली बार पीएलए को अपनी सीमा के अंदर पूर्वी क्षेत्र के ​​देपसांग, चुमार, डेमचोक और क्षेत्रों में भारत के खिलाफ एक नई स्थिति बनाते हुए देख सकते हैं।
    पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन का कहना है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि चीन के साथ भारत के संबंध अधिक प्रतिकूल हो गए हैं लेकिन फिर भी भारत सरकार को राजनैतिक, कूटनीतिक, आर्थिक और सैन्य उपायों के जरिए सावधान रहना होगा। चीन के साथ वार्ता जारी रहनी चाहिए लेकिन इसकी शर्तों को बदले हुए संदर्भ को प्रतिबिंबित करना चाहिए। अब पहले से कहीं अधिक हमें अपने सभी आयामों में अपनी राष्ट्रीय रणनीति पर वापस जाने और पुनर्विचार करने की आवश्यकता है जिसे भारत ने लंबे समय तक ‘अलमारी’ मेें बंद करके रखा है।

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