अजय शर्मा
रांची। देवघर में जमीन घोटाले के नये-नये तरीके सामने आ रहे हैं। पुलिस अधिकारी भले ही यह कहते रहें कि जमीन के मामलों में वे नहीं पड़ते, लेकिन देवघर में तो पुलिस ही जमीन कब्जा कर रही है। कोलकाता निवासी स्वाधीनता सेनानी गीता मोहन घोष के पुत्र असीम मोहन घोष अब न्याय के लिए दर-बदर हो रहे हैं। उनकी अरबों की जमीन पर माफियाओं के अलावा कुछ पुलिसकर्मियों की भी नजर है।
घोष बाड़ी में बने कुछ आवास पर देवघर पुलिस एसोसिएशन से जुड़े एक सदस्य अमरेंद्र सिंह ने कब्जा करने का नया तरीका अख्तियार किया। उन्होंने वहां पुलिस एसोसिएशन क्लब का बड़ा बोर्ड लगा दिया। 1994 में कुछ पुलिसवाले उन आवासों में जबरन घुस गये। वे वहां रहने लगे। इसकी जानकारी उस समय एसपी को दे दी गयी थी। तब यह कहा गया था कि संपत्ति का रख-रखाव पुलिसकर्मी करेंगे।
आरोप है कि देवघर पुलिस एसोसिएशन के सदस्य अमरेंद्र सिंह कुछ लोगों के साथ मिल कर जमीन हड़पने की कोशिश कर रहे हैं। उसमें राजकमल होटल के मालिक रामचंद्र प्रसाद, सुशील कुमार, राकेश झा, महादेव सिंह और अन्य शामिल हैं। इनमें से कुछ तो जमीन घोटाले के मामले में सीबीआइ के रडार पर हैं।
आजाद हिंद फौज से जुड़ीं स्वाधीनता सेनानी गीता मोहन घोष 1974 में देवघर आयी थीं। उसके बाद से नहीं आयीं। जमीन माफियाओं ने फर्जी दस्तावेज भी बना लिया है, जिसमें स्वाधीनता सेनानी का नाम गलत है और उन्हें नि:संतान बता दिया गया है। जमीन के मालिक असीम मोहन घोष ने आरोप लगाया है कि अमरेंद्र सिंह जमीन खाली करने के एवज में पांच लाख रुपये मांग रहे थे। चार लाख रुपये में सौदा तय हुआ। इसमें से दो लाख रुपये नगद दिये गये और दो लाख रुपये उनके नजदीकी रिश्तेदार आनंद सिंह के भारतीय स्टेट बैंक की औरंगाबाद (महाराष्ट्र) स्थित शाखा (आइएफएससी कोड एसबीआइएन 0012576) के खाता संख्या 33678598287 में जमा कराये गये। यह खाता मोबाइल नंबर 8340385192 से जुड़ा है, जो अमरेंद्र सिंह का बताया जाता है। असीम मोहन घोष ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और डीजीपी एमवी राव को पूरी जानकारी देते हुए इसकी जांच एसीबी से कराने का अनुरोध किया है।