आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। पुलिस से अब गैरजरूरी कामों का बोझ हट सकता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय इस पर विचार कर रहा है। पुलिस के कुछ काम उससे अलग किये जायेंगे। उसमें से कुछ निजी हाथों को सौंपा जा सकता है। संबंधित विभाग इस पर तेजी से विचार कर रहा है। केंद्र और राज्य के बीच समन्वय बना रहे इस लिहाज से देश के सभी सूबों के पुलिस प्रमुखों से उनकी राय मांगी गयी है। गृह विभाग का मानना है कि पुलिस कुछ ऐसे कामों के बोझ से दबी हुई है, जो उनके खाते में नहीं रहना चाहिए। कम से कम 12 वैसे काम, जो पुलिस से अलग किये जा सकते हैं उसमें डाक बांटना, परीक्षा केंद्रों की सुरक्षा भी शामिल है। केंद्र चाहता है कि पुलिस अपना काम इमानदारी से करे। पुलिस सुधार के लिए ब्यूरो आॅफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट की बैठकें होती रही हैं। इसी में तय हुआ है कि कुछ काम आउटसोर्स के जरिये कराया जाये या निजी हाथों को सौंपा जाये।
क्या देखा गया प्रयोग में
पाया यह गया है कि यातायात नियम का पालन कराने की कोशिश जब-जब ट्रैफिक पुलिस करती है, तब-तब सीनियर पुलिस अधिकारी इस नियम को तोड़ देते हैं। इससे सरकार को राजस्व की हानि होती है। पैसेवाले पैरवी कराकर दंड नहीं देते, जिनकी कोई पहुंच नहीं, पैसा उन्हीं से वसूला जाता है। पासपोर्ट की जांच में भी यही स्थिति है। पुलिस विभाग में नाई, धोबी, कुक और जलवाहक की भी जरूरत महसूस नहीं की जा रही है। ये सारे काम पुलिस से हटा कर निजी हाथों को सौंपा जा सकता है।
इन्हें आउटसोर्स या निजी हाथों में देने पर विचार
डाक पहुंचाना, सीसीटीवी कंट्रोल रूम, धोबी, नाई, रसोइया, पासपोर्ट की जांच, ट्रैफिक व्यवस्था, स्कूल-कॉलेज की सुरक्षा, परीक्षा केंद्रों की सुरक्षा और टैक्स वसूली से मुक्त किया जा सकता है।