Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Thursday, June 19
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Breaking News»रूसी ड्रैगुनोव स्नाइपर राइफल्स भारत में ही ​होंगी अपग्रेड
    Breaking News

    रूसी ड्रैगुनोव स्नाइपर राइफल्स भारत में ही ​होंगी अपग्रेड

    sonu kumarBy sonu kumarOctober 10, 2020No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email
    भारतीय सशस्त्र बलों में डीएसआर के नाम से पहचानी जाने वाली रूसी ड्रैगुनोव स्नाइपर राइफल्स को अब जल्द ही ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत स्वदेशी तरीके से अपग्रेड किया जायेगा। बेंगलुरु की निजी कंपनी एसएसएस डिफेंस तीन दशक पुरानी राइफल्स को सेमी ऑटोमेटिक राइफल जैसा बनाएगी, जिससे लम्बी दूरी तक आसानी से एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सकेगा। अपग्रेड होने के बाद इन रायफल्स से नाइट फायरिंग भी हो सकेगी और इसके अलावा अन्य नई विशेषताएं होंगी।
     
    दरअसल 1950 के दशक के अंत में एक सोवियत हथियार डिजाइनर येवगेनी ने ड्रैगुनोव स्नाइपर राइफल को डिजाइन किया था। यह एक गैस संचालित शॉर्ट स्ट्रोक पिस्टन राइफल है। 1963 में पूर्व सोवियत सशस्त्र बलों ने इस्तेमाल करने से पहले व्यापक परीक्षण किया था। 1970 के दशक के अंत तक इनका इस्तेमाल महाद्वीपों के कई देशों में युद्ध में भी किया गया था। इसके बाद भारतीय सेना ने भी रूसी कंपनी कलाश्निकोव से इन राइफल्स की बड़े पैमाने पर खरीद की थी। पुराने जमाने की यह रूसी राइफल्स अब नई तकनीक के जमाने में कमजोर पड़ने लगी हैं, इसलिए इन्हें अपग्रेड किये जाने का प्रस्ताव सेना की तरफ से रक्षा मंत्रालय के सामने रखा गया।
    डीएसआर के सबसे बड़े उपयोगकर्ताओं में से एक भारतीय सेना के अधिकारी भी मानते हैं कि लगभग 800 मीटर तक की मारक क्षमता वाली इन राइफल्स के लिए समय के साथ मिशन के मापदंड और संचालन की प्रकृति बदल गई है। इसके बावजूद तीन दशक पुराने इन हथियारों का अब तक उन्नयन नहीं किया जा सका है। इन राइफल्स को रात के अंधेरे में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता क्योंकि वास्तव में इन डीएसआर में नाइट विजन माउंट जैसा कोई सिस्टम ही नहीं है। दिन में भी ज्यादा दूरी तक इस्तेमाल किये जाने की इनकी क्षमता नहीं है। तकनीक के मामले में पुरानी पड़ चुकी इन राइफल्स में लकड़ी के बटस्टॉक्स लगे हैं जिससे सटीकता के साथ निशाना लगाने में भी दिक्कत होती है।
     
    सूत्रों के अनुसार एक डीएसआर की बैरल आसानी से 7,000 राउंड तक फायर कर सकती है जबकि अधिकांश से अब तक 3,000 से अधिक फायर नहीं किये गए हैं। यानी इन राइफल से फायर करने के क्षमता अभी खत्म नहीं हुई है लेकिन इसके बावजूद मौजूदा समय में यह एक स्नाइपर हथियार नहीं हो सकता है। सेना को कम से कम 1.2 किमी और उससे अधिक के प्रभावी रेंज वाले घातक स्नाइपर हथियार चाहिए जिसको देखते हुए इनके बदले जाने या इनका अपग्रेड किया जाना बेहद जरूरी है। भारतीय सेना को इस समय लम्बी दूरी तक मार करने वाली आधुनिक स्नाइपर राइफल की जरूरत है। सीमा पर तैनात उच्च प्रशिक्षित स्नाइपर्स के हाथों में सिर्फ 500 से 800 मीटर तक मध्यम दूरी वाली राइफल्स देना उनके लिए एक अखरोट को फोड़ने के बराबर है।
    रूसी ड्रैगुनोव स्नाइपर राइफल (डीएसआर) को अपग्रेड करके पैदल सेना की मांग पूरी की जा सकती है, इसीलिए इनके उन्नयन कार्यक्रम का उल्लेख रक्षा मंत्रालय द्वारा अगस्त में रखी गई नकारात्मक आयात सूची में 58वें नंबर पर किया गया है लेकिन इसके लिए दिसम्बर, 2020 तक की अवधि निर्धारित की गई है। यानी दिसम्बर के बाद रूसी कंपनी से इनको अपग्रेड नहीं कराया जा सकता। इस बीच बेंगलुरु की कंपनी एसएसएस डिफेंस इन रूसी राइफल्स को स्वदेशी तरीके से अपग्रेड के लिए सामने आई है। सेना की उत्तरी कमान ने लगभग तीन दशक पुरानी 90 राइफल को अपग्रेड किये जाने का प्रस्ताव रखा है जबकि सेना का अनुमान है कि यह रायफल्स करीब 7,000 हैं।
     
    एसएसएस डिफेंस का कहना है कि हमारी दृष्टि भारत को विश्व स्तरीय मातृभूमि सुरक्षा प्रणालियों के साथ सक्षम बनाने की है। हम सेना की तीन दशक पुरानी रूसी स्नाइपर राइफल्स और कार्बाइन को ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत स्वदेश में ही अपग्रेड करने पर काम कर रहे हैं। उनकी टीम भारतीय सेना की पुरानी राइफल्स को एक नए सामरिक बटस्टॉक और मोनोपॉड के साथ युद्ध में इस्तेमाल करने लायक तैयार करेगी। इनमें ऊपर और नीचे लगे हैंड गार्ड्स बदले जायेंगे, जिससे पकड़ने और इस्तेमाल करने में आसानी होगी। इसके अलावा पिस्टल ग्रिप, मजल ब्रेक, ऑप्टिक माउंट, एडाप्टर लगाने के बाद यह सेमी ऑटोमेटिक राइफल हो जाएगी, जिससे लम्बी दूरी तक आसानी से एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सकेगा।
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Article83 साल के फादर स्टेन की गिरफ्तारी पर भड़के सोरेन, कहा- बीजेपी दबा रही विरोध की आवाज
    Next Article हेमकुंड साहिब के कपाट शीतकाल के लिए बंद हुए
    sonu kumar

      Related Posts

      पूर्व पार्षद सलाउद्दीन को हाई कोर्ट से मिली अग्रिम जमानत

      June 18, 2025

      झारखंड मंत्रिपरिषद् की बैठक 20 को

      June 18, 2025

      भारी वर्षा के मद्देनजर कक्षा एक से आठ तक के सभी स्कूल बंद

      June 18, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • फ्लाईओवर का नामकरण मदरा मुंडा के नाम पर करने की मांग
      • पूर्व पार्षद सलाउद्दीन को हाई कोर्ट से मिली अग्रिम जमानत
      • झारखंड मंत्रिपरिषद् की बैठक 20 को
      • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के साथ प्रशिक्षु अधिकारियों की शिष्टाचार भेंट
      • हिमाचल के लिए केंद्र से 2006 करोड़ रुपये की मंजूरी, जेपी नड्डा ने जताया आभार
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version