रांची। राज्य सरकार ने छठ महापर्व को लेकर जारी गाइडलाइन में बदलाव का फैसला किया है। यह घोषणा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन स्थित मंत्रालय में मीडिया से बातचीत के दौरान की। उन्होंने कहा कि आस्था के महापर्व छठ में जन भावनाओं को देखकर सरकार ने निर्णय लिया है कि नदियों और तालाबों में सोशल डिस्टेंसिंग, सेनिटाइजिंग और मास्क के इस्तेमाल समेत दूसरी सावधानियों का पालन करते हुए इस त्योहार को मनाया जा सकता है। हालांकि सीएम ने दोहराया कि मेरा व्यक्तिगत आग्रह है कि लोग अपने-अपने घरों में ही छठ पर्व मनायें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार समय बहुत विपरीत है। आम जनजीवन के लिए, आम नागरिक के लिए सतर्कता बेहद जरूरी है। कोरोना का वायरस अब भी वातावरण में है। इसका खतरा बरकरार है। सबसे गंभीर बात यह है कि इस वायरस का कोई इलाज आज तक नहीं खोजा जा सका है। हम लोग इस हकीकत को जानते हैं। इसका एकमात्र इलाज इससे बचाव ही है और यह लोगों के हाथ में है। इसे ध्यान में रखते हुए अधिक से अधिक लोग इस पर्व को घरों में ही मनायें।
बता दें कि रविवार को आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देश में छठ महापर्व के दौरान किसी भी नदी, तालाब, लेक, डैम में किसी तरह के आयोजन की मनाही से संबंधित आदेश जारी किया गया था। इसके बाद सत्ताधारी झामुमो, कांग्रेस और विपक्षी भाजपा द्वारा इसमें बदलाव के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया गया था।
राजनीति कर रहे हैं भाजपा के लोग
सीएम ने मंगलवार को आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव और मंत्री के साथ बैठक कर इस आदेश को वापस लेने का निर्णय लिया। बैठक के बाद सीएम ने कहा कि लोक आस्था के इस पर्व पर भाजपा के लोग राजनीति कर रहे हैं। गाइडलाइन भारत सरकार के आदेश के अनुरूप था। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से भाजपा के लोगों ने आस्था के पर्व को राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया, सोशल मीडिया पर पूरे देश में विरोध फैलाया गया, वह दुखद है।
आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक
इससे पहले मुख्यमंत्री की उपस्थिति में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक हुई, जिसमें छठ महापर्व के आयोजन को लेकर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन मंत्री बन्ना गुप्ता भी उपस्थित थे। बैठक में कोविड-19 को देखते हुए छठ महापर्व के सुरक्षित आयोजन को लेकर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि छठ महापर्व लोक आस्था से जुड़ा हुआ है । चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। संध्याकालीन अर्घ्य और प्रात:कालीन अर्घ्य के लिए नदियों, तालाबों, डैम, झील और अन्य वाटर बॉडीज में श्रद्धालु जुटते हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण को देखते हुए यहां सतर्कता और सुरक्षित तरीके से छठ महापर्व के आयोजन को लेकर पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए। बैठक में बिहार समेत अन्य राज्यों द्वारा छठ महापर्व को लेकर जारी की गयी एडवाइजरी पर भी विचार-विमर्श किया गया।
बैठक में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी, वित्त विभाग की प्रधान सचिव हिमानी पांडेय, आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव अमिताभ कौशल और कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने भी अपनी राय रखी। इसके बाद ही छठ महापर्व के आयोजन को लेकर दिशा-निर्देशों में संशोधन करने पर सहमति बनी।
गाइडलाइन में आंशिक संशोधन : बन्ना गुप्ता
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि यह पर्व लोक आस्था के साथ जुड़ा हुआ है । झारखंड और बिहार में इस पर्व की अपनी अलग ही महत्ता है। ऐसे में जन भावनाओं का ख्याल रखते हुए पहले से जारी किये गये दिशा-निर्देशों में आंशिक संशोधन किया जाये। उन्होंने यह भी कहा कि इस आयोजन में कोरोना से बचाव को लेकर जारी अन्य दिशा-निर्देशों का पालन भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।