Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, June 8
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Jharkhand Top News»लोकतंत्र की जगह अदालत तंत्र कर रहा काम
    Jharkhand Top News

    लोकतंत्र की जगह अदालत तंत्र कर रहा काम

    bhanu priyaBy bhanu priyaMay 5, 2021No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    प्रशांत झा
    रांची (आजाद सिपाही)। कोरोना संक्रमण पर विशेषज्ञों की चेतावनी के बाद भी पिछले एक साल में देश में तैयारी नहीं करना और उनकी बातों को नजरअंदाज करने का नतीजा आज हम सभी के सामने है। कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में पूरा भारत आ चुका है। हर राज्य इससे जूझ रहा है। अब संकट के समय इससे बचाव के लिए ठोस निर्णय और कदम उठाये जाने की जरूरत है, पर स्थिति इसके विपरीत दिख रही है। महामारी से पैदा हुए हालात में केंद्र और राज्य सरकारों की भूमिका कम से कम जनकल्याणकारी तो नहीं ही दिख रही हैं। यह वक्त आपस में लड़ने या रजनीति करने का नहीं, बल्कि एकजुट होकर महामारी से निपटने का है। वह नहीं हो रहा है। इसी का नतीजा है कि आज अदालतों को आगे आना पड़ रहा है। जो निर्णय केंद्र और राज्य सरकारों को लेना चाहिए था, वह निर्णय अदालत के रास्ते निकल कर सामने आ रहा है।
    लोकतंत्र में मीडिया समेत चार स्तंभ का जिक्र आता है। हालांकि संविधान में यानी लिखित रूप से केवल तीन ही स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका हैं। चौथा स्तंभ लिखित नहीं है इसे मान लिया गया है। इतिहास गवाह है कि जब-जब किसी मुद्दे पर लोकतांत्रिक व्यवस्था के पहले दो स्तंभ यानी विधायिका और कार्यपालिका अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभाती है, तो तीसरे स्तंभ यानी न्यायपालिका को मुखर होना पड़ता है। ऐसा ही कुछ कोरोना संक्रमण के इस दौर में हो रहा है। इस वक्त मेडिकल इमरजेंसी जैसे हालात बन गये हैं। इस संकट काल में मरीजों के लिए बेड की व्यवस्था, आॅक्सीजन, रेमडेसिविर इंजेक्शन, वैक्सीनेशन, लॉकडाउन समेत कोरोना से जुड़े हर मामले में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उठाये जा रहे कदम कितने कारगर हैं, यह सुप्रीम कोर्ट से लेकर विभिन्न राज्यों के हाइकोर्ट की टिप्पणी अपने आपमें सब कुछ बयान करने के लिए काफी हैं।
    कोरोना संक्रमण की स्थिति चिंताजनक है। विशेषज्ञ और जानकार जो बता रहे, उसके अनुसार अभी दूसरी लहर का पीक आना बाकी है। यह मई अंतिम सप्ताह तक चलेगा, इसके बाद जून से कम होने की उम्मीद है। इस बीच अक्तूबर नवंबर से तीसरी लहर की चेतावनी भी मिलने लगी है। ऐसे में कम से कम आम लोग केंद्र और राज्य सरकार से हर चीज को छोड़ कर पहले स्वास्थ्य सेवा को दुरुस्त करने और पूरा पैसा उस मद में लगा कर लोगों की जान बचाने की उम्मीद तो रखते ही हं।

    सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां, सवाल और निर्णय
    अस्पतालों में भर्ती: केंद्र हॉस्पिटल में भर्ती के लिए राष्ट्रीय नीति बनाये और राज्य सरकारें उसका अनुसरण करें। देश के नागरिक को किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में अस्पताल में भर्ती करने, दवाई देने से इसलिए इंकार नहीं किया जा सकता। उससे उस राज्य का आधार कार्ड नहीं मांगा जाना चाहिए।
    आॅक्सीजन और दवा की किल्लत: यह मेडिकल इमरजेंसी नहीं तो और क्या है। आॅक्सीजन का बफर स्टॉक बनायें, ताकि अप्रत्याशित परिस्थितियों में इसकी कमी न हो और आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। आॅक्सीजन आपूर्ति करने या फिर न करने की जिम्मेदारी एक दूसरे पर थोपने की कोशिश में आम लोगों की जिÞंदगियों को खतरे में नहीं डाला जा सकता।
    दवा की कालाबाजारी: कोर्ट ने रेमडेसिविर और टोकिलीजूमैब जैसी दवाओं की कालाबाजारी पर कहा कि कालाबाजारियों के खिलाफ कदम उठाने के लिए सरकार एक स्पेशल टीम बनाये। कोविड-19 की दवाएं महंगी दरों पर बेचने और फर्जी दवाएं या सामान बेचनेवालों के खिलाफ कदम उठायें।
    वैक्सीन खरीद: केंद्र सरकार वैक्सीन खरीद नीति को फिर से रिवाइज करे। अगर ऐसा नहीं किया गया तो सार्वजनिक स्वास्थ्य के अधिकार में बाधा उत्पन्न होगी। केंद्र सरकार खुद वैक्सीन खरीदे और राज्यों को दे।
    लॉकडाइन: कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बढ़ रहे खतरे को देखते हुए देशभर में लॉकडाउन लगाये जाने पर विचार किया जाये।

     

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleकोरोना संक्रमित हुईं अभिनेत्री दीपिका पादुकोण
    Next Article झारखंड में बढ़ेगा लॉकडाउन, आज होगा फैसला
    bhanu priya

      Related Posts

      झारखंड में आदिवासी लड़कियों के साथ छेड़छाड़, बाबूलाल ने उठाए सवाल

      June 7, 2025

      पूर्व मुख्यमंत्री ने दुमका में राज्य सरकार पर साधा निशाना, झारखंड को नागालैंड-मिजोरम बनने में देर नहीं : रघुवर दास

      June 7, 2025

      गुरुजी से गुरूर, हेमंत से हिम्मत, बसंत से बहार- झामुमो के पोस्टर में दिखी नयी ऊर्जा

      June 7, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • झारखंड में आदिवासी लड़कियों के साथ छेड़छाड़, बाबूलाल ने उठाए सवाल
      • पूर्व मुख्यमंत्री ने दुमका में राज्य सरकार पर साधा निशाना, झारखंड को नागालैंड-मिजोरम बनने में देर नहीं : रघुवर दास
      • गुरुजी से गुरूर, हेमंत से हिम्मत, बसंत से बहार- झामुमो के पोस्टर में दिखी नयी ऊर्जा
      • अब गरीब कैदियों को केंद्रीय कोष से जमानत या रिहाई पाने में मिलेगी मदद
      • विकसित खेती और समृद्ध किसान ही हमारा संकल्प : शिवराज सिंह
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version