रांची: लोगों को खुशी देने, गतिशील और तनावमुक्त जीवन के रहस्यों के बारे में आर्ट आॅफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर ने बताया। उन्होंने बताया कि कैसे तनाव और संघर्ष के क्षण में संतुलित रह सकें। इस दौरान उन्होंने शांति और सद्भाव का संदेश दिया। राजधानी के मोरहाबादी स्थित बिरसा मुंडा फुटबॉल मैदान में एक शाम दिव्यता के नाम महासत्संग कार्यक्रम में दिल को सुकून देनेवाली ऐसी छटा बिखरी, जो वास्तव में दर्शनीय थी।
कार्यक्रम में श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि लंबे समय बाद आया, लेकिन यहां से नाता कभी नहीं टूटा। हम सब एक सत्ता और एक शक्ति से जुड़े हैं। जब लगता है कि इससे नहीं जुड़े हैं, तभी हम कमजोर होते हैं। कहा कि यह प्रदेश बहुत संघर्ष से गुजरा है। 15-20 साल पहले लोग यहां आने से बचते थे, लेकिन आज यह स्थिति नहीं है। देश का पहला उद्योग झारखंड में लगा। जीवन में आध्यात्मिक प्रेरणा जरूरी है। विश्व की संस्था ने इसे प्रमाणित किया है। भारत में भौतिक, आध्यात्मिक और वैचारिक तीन तरह के विकास की जरूरत है। विश्व संस्था में आज बोलना था, मैंने अपने प्रतिनिधि को भेजा और कहा कि मैंने झारखंड से वादा कर दिया है, नहीं आ सकूंगा। इस मौके पर उन्होंने अपने विवि में झारखंड के लिए 20 सीट रिजर्व करने की बात कही।
योग गुरु बनो, रोजगार पाओ : श्रीश्री रविशंकर ने झारखंड के युवक-युवतियों से आह्वान किया कि आओ योग गुरु बनो और रोजगार पाओ। अच्छे योग गुरु के लिए काफी संख्या में रोजगार के अवसर हैं। योग और उद्योग से हरेक को काम मिल सकेगा। झारखंड में प्रतिभा की कमी नहीं है, बस जरूरत है इसे तराशने की।
गुरु दक्षिणा में मांगी चिंता, परेशानी, पीड़ा : कार्यक्रम के दौरान श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि गुरु दक्षिण की पुरानी परंपरा है। इस परंपरा को तोड़ना नहीं चाहता हूं। आपको चिंता है, परेशानी है, नाराजगी है, दु:ख और दर्द है, तो वह सब आप मुझे गुरु दक्षिणा में दे दो। वास्तव में सत्संग का मतलब भी आंसू पोंछना होता है।
बेटर झारखंड के लिए दें एक घंटा : श्रीश्री रविशंकर ने उपस्थित जनसमूह को संकल्प दिलाया कि स्वच्छ और शिक्षित झारखंड और सभ्य समाज के निर्माण के लिए हर कोई हर दिन एक घंटा समाज को दे। वोलंटियर आॅफ बेटर झारखंड के लिए यह जरूरी है। औद्योगिकीकरण जरूरी है, लेकिन पर्यावरण पर भी ध्यान देना होगा। पौधरोपण पर विशेष बल दें।
खुलें काउंसिलिंग सेंटर : श्रीश्री रविशंकर ने सरकार को सुझाव दिया कि दिल्ली की तर्ज पर झारखंड में काउंसिलिंग सेंटर खुले। इससे घरेलू और आपसी विवाद काफी हद तक खत्म हो जायेंगे। हाइकोर्ट के निर्देश पर दिल्ली में ऐसा किया गया है। झारखंड में ऐसा किया जा सकता है। ऐसा कर हम बेहतरीन समाज बच्चों को विरासत में दे सकते हैं।
झारखंड में भी हो नशाबंदी : कार्यक्रम के दौरान ही मंच से श्रीश्री ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से आग्रह किया कि झारखंड में भी नशाबंदी लागू हो। पड़ोसी राज्य बिहार में नशाबंदी है। झारखंड में भी नशाबंदी होनी चाहिए। कहा कि जब घर, परिवार, समाज और गांव नशामुक्त होगा, तभी विकास होगा। कहा कि गांव के लोग नशा छोड़ें और सत्संग में झूमें। नशाबंदी से आधी चिंता और गरीबी दूर हो जायेगी।