रांची: जमशेदपुर के दिवंगत झामुमो सांसद सुनील महतो की हत्या का मुख्य आरोपी और हार्डकोर नक्सली राहुल ने भले ही बंगाल में सरेंडर कर दिया हो, लेकिन इस हत्याकांड के असली गुनहगारों तक अब भी पुलिस और सीबीआइ नहीं पहुंच पायी हैं। दिवंगत सुनील महतो की पत्नी और पूर्व सांसद सुमन महतो को यह तर्क बिल्कुल नहीं पच रहा है कि नागरिक सुरक्षा समिति (नासुस) को संरक्षण देने की वजह से नक्सलियों ने उनके पति की हत्या की। शायद यही कारण है कि वह एक बार पति के हत्यारे से मिलना चाहती हैं। सुमन राहुल से मिलकर सिर्फ यह जानना चाहती हैं कि किसके इशारे पर यह खेल हुआ।
झामुमो पर लगाया उपेक्षा का आरोप
सुमन ने कहा कि सुनील महतो हत्याकांड के राज को बाहर लाने में न तो सरकार को कोई दिलचस्पी है और न ही खुद उस पार्टी को, जिसके वे सक्रिय कार्यकर्ता थे।
उन्होंने झामुमो पर आरोप लगाया कि पार्टी ने उन्हें अब किनारे कर दिया है। इसका उन्हें बहुत अफसोस है। उनके पति ने पार्टी और राज्य को अपनी पूरी जिंदगी दी। उन्होंने झारखंड सरकार से यह भी पूछा है कि आत्मसमर्पण करनेवाले नक्सलियों को इतनी सुविधाएं मिल रही हैं और नक्सली हिंसा के शिकार परिवार को कोई पूछ भी क्यों नहीं रहा।
10 साल पहले होली के दिन हुई सांसद की हत्या
4 मार्च 2007 को शाम होने को थी। वह होली का दिन था। उस वक्त घाटशिला के बाघुड़िया गांव में फुटबॉल मैच चल रहा था। मैच के बीच मुख्य अतिथि बनाकर लाये गये जमशेदपुर के तत्कालीन सांसद सुनील महतो की अचानक नक्सलियों ने ताबड़तोड़ गोली चला कर हत्या कर दी थी। स्थानीय झामुमो नेता प्रभाकर महतो के ही दबाव पर न चाहने के बावजूद सांसद वहां होली के दिन पहुंचे थे। अब जब जनवरी, 2017 में राहुल के बंगाल में सरेंडर करने की खबर आयी, तब सुमन को उम्मीद बंधी कि हत्या का राज सामने आयेगा। अब वह उम्मीदें भी धूमिल होने लगी हैं। राहुल ने पूछताछ में सांसद की हत्या के पीछे नासुस (नागरिक सुरक्षा समिति) को बढ़ावा देने को वजह बताया है। इससे सुमन महतो को यकीन हो गया है कि इस मामले की लीपापोती करके असली वजह सामने नहीं लाने दी जायेगी।