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    Home»बिजनेस»वर्क फ्रॉम होम करने वालों का कट सकता है वेतन
    बिजनेस

    वर्क फ्रॉम होम करने वालों का कट सकता है वेतन

    sonu kumarBy sonu kumarAugust 11, 2021No Comments3 Mins Read
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    कोरोना संक्रमण काल में पूरी दुनिया में वर्क फ्रॉम होम कल्चर को काफी बढ़ावा मिला है। दुनिया भर के देशों में जहां-जहां संभव हो सका है, वहां कर्मचारियों से घर में रहकर ही काम करने के लिए कहा जा रहा है, ताकि कोरोना के संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके। लेकिन अमेरिका में कई दिग्गज टेक कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम पैटर्न पर काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन में कटौती की शुरुआत कर दी है। माना जा रहा है कि जल्द ही इन बड़ी कंपनियों की तर्ज पर भारत समेत दुनिया के बाकी हिस्से में भी टेक कंपनियां वर्क फ्रॉम होम पैटर्न पर काम करने वाले अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर सकती हैं।

    कोरोना संक्रमण काल में भारत में भी कई कंपनियां कर्मचारियों से वर्क फ्रॉम होम पैटर्न पर ही काम ले रही हैं। लेकिन अमेरिका से आई वेतन कटौती की खबर ने प्राइवेट सेक्टर की कई कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों को चिंता में डाल दिया है। दरअसल अमेरिका की सिलिकॉन वैली की कई बड़ी कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम पैटर्न पर काम करने वाले अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती करने की शुरुआत कर दी है। ये कंपनियां अपने कर्मचारियों को उनके रेजिडेंशियल लोकेशन के आधार पर वेतन का भुगतान कर रही हैं। इसके मुताबिक टियर 1 (बड़े शहर) के शहरों में रहने वाले कर्मचारियों की तुलना में टियर 2, टियर 3 और टियर 4 के शहरों में रहने वाले कर्मचारियों का वेतन तुलनात्मक तौर पर कम होगा।

    अमेरिकन टेक कंपनी गूगल ने सबसे पहले रेजिडेंशियल लोकेशन के आधार पर कर्मचारियों के वेतन भुगतान में कटौती करना शुरू किया। गूगल की शुरुआत के बाद सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर और फेसबुक ने भी इसी तर्ज पर वेतन में कटौती की शुरुआत की। इन तीन दिग्गज टेक कंपनियों की देखा देखी अब अमेरिका की कुछ छोटी टेक कंपनियों ने भी रेजिडेंशियल लोकेशन के हिसाब से वेतन देने (कटौती करने) के मॉडल को अपना लिया है।

    माना जा रहा है कि इन अमेरिकी कंपनियों की तर्ज पर भारत समेत दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी कंपनियां वर्क फ्रॉम होम पैटर्न के लिए रेजिडेंशियल लोकेशन के आधार पर वेतन देने के मॉडल को अपना सकती हैं। बताया जा रहा है कि रेजिडेंशियल लोकेशन के आधार पर वेतन देने के लिए गूगल समेत दूसरी अमेरिकी कंपनियों ने एक लोकेशन पे कैलकुलेटर बनाया है। इसके जरिए कंपनी के कर्मचारी खुद भी अपने वेतन में होने वाली कटौती का कैलकुलेशन कर सकते हैं। इस पे कैलकुलेटर के कारण उन लोगों को काफी नुकसान होगा, जो लोग कोरोना संक्रमण काल में शहर को छोड़ कर ग्रामीण इलाकों में चले गए हैं।

    कोरोना संक्रमण काल में भारत में भी ज्यादातर टेक कंपनियां अपने कर्मचारियों से वर्क फ्रॉम होम मॉडल के हिसाब से काम ले रही हैं। ऐसे में दूरदराज के क्षेत्रों से महानगरों में आकर काम करने वाले ज्यादातर कर्मचारी अपने घर या गांव लौट गए हैं। ऐसे कर्मचारी अब अपने गांव या पैतृक शहर से ही वर्क फ्रॉम होम पैटर्न के तहत काम कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अगर भारत में भी रेजिडेंशियल लोकेशन के हिसाब से वेतन देने की शुरुआत की गई, तो ऐसे कर्मचारियों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

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    sonu kumar

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