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    Home»ताजा खबरें»सिब्बल के खिलाफ प्रदर्शन पर चिदंबरम ने तोड़ी चुप्पी, कहा- ‘असहाय महसूस कर रहा हूं’, इन दिग्गज नेताओं का भी मिला साथ
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    सिब्बल के खिलाफ प्रदर्शन पर चिदंबरम ने तोड़ी चुप्पी, कहा- ‘असहाय महसूस कर रहा हूं’, इन दिग्गज नेताओं का भी मिला साथ

    sonu kumarBy sonu kumarOctober 1, 2021No Comments5 Mins Read
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    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के निवास के बाहर पर प्रदर्शन करने की आलोचना करने वालों में अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा है कि कपिल सिब्बल के घर के बाहर लोगों को नारे लगाते हुए देखकर उन्हें पीड़ा हुई। उन्होंने कहा है कि उन्होंने ख़ुद को असहाय महसूस किया।

    पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘जब हम पार्टी मंचों के भीतर सार्थक बातचीत शुरू नहीं कर सकते तो मैं असहाय महसूस करता हूँ। जब मैं अपने एक सहयोगी और सांसद के आवास के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा नारे लगाते हुए तसवीरें देखता हूँ तो मैं भी आहत और असहाय महसूस करता हूँ। लगता है कि किसी के लिए सबसे सुरक्षित जगह जो हो सकती है वह मौन है।’

    बता दें कि इस मामले में चिदंबरम उन लोगों के साथ खड़े दिखाई दिए जो पार्टी में सुधारों की मांग करते रहे हैं और जिन्हें असंतुष्ट और अनौपचारिक तौर पर जी-23 कहा जाता रहा है।

    सिब्बल के समर्थन में चिदंबरम के अलावा, शशि थरूर, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा जैसे कई वरिष्ठ नेता आ चुके हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा समेत ‘जी-23’ समूह के कई नेताओं ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के आवास के बाहर हुए पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन की निंदा करते हुए कहा कि इस ‘सुनियोजित उपद्रव’ में शामिल लोगों के खिलाफ पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

    राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष आजाद ने ट्वीट किया, ”मैं कपिल सिब्बल के घर के बाहर बीती रात हुए सुनियोजित उपद्रव की कड़ी निंदा करता हूं। वह एक वफादार कांग्रेसी हैं जो संसद के बाहर और भीतर पार्टी के लिए लड़ रहे हैं। किसी भी जगह से आने वाले सुझाव का स्वागत होना चाहिए, उसे दबाना नहीं चाहिए। उपद्रव अस्वीकार्य है।”

    वहीं आनन्द शर्मा ने ट्वीट किया, ”कपिल सिब्बल के घर पर हमला और उपद्रव के बारे में सुनकर स्तब्ध और आहत हूं। इस निंदनीय कृत्य से पार्टी की बदनामी होती है। इसकी कड़ी भर्त्सना की जानी चाहिए।” राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि मतभिन्नता लोकतंत्र का हिस्सा है। उन्होंने कहा, ”कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से आग्रह है कि वह कड़ी कार्रवाई करें।”

    चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ”मैं असहाय महसूस करता हूं जब हम पार्टी के भीतर सार्थक संवाद आरंभ नहीं कर सकते। मैं उस वक्त भी आहत और असहाय महसूस करता हूं जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा अपने एक साथी और सांसद के आवास के बाहर नारेबाजी किए जाने की तस्वीर देखता हूं। लगता है कि भलाई इसी में है कि व्यक्ति चुप्पी साध कर रखे।”

    शशि थरूर ने ट्वीट किया, “यह शर्मनाक है। हम कपिल सिब्बल को पक्के कांग्रेसी के रूप में जानते हैं जिन्होंने कांग्रेस की ओर से अदालत में कई केस लड़े हैं। एक लोकतांत्रिक पार्टी के रूप में हमें यह सुनने की आवश्यकता है कि वह क्या कहते हैं, अगर आपको लगता है तो अवश्य असहमत हों, लेकिन इस तरह से नहीं। हमारी प्राथमिकता बीजेपी से मुक़ाबला करने के लिए स्वयं को मज़बूत करना है!’

    हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, ”कपिल सिब्बल के आवास के बाहर बीती रात हुए सुनियोजित उपद्रव कांग्रेस की संस्कृति नहीं है। अगर किसी की अलग राय है तो उसे पार्टी के मंच पर लाना चाहिए और चर्चा करनी चाहिए।”

    कांग्रेस के लोकसभा सदस्य मनीष तिवारी ने ट्वीट किया, ”कपिल सिब्बल के आवास के बाहर कल रात हुए सुनियोजित उपद्रव की निंदा करता हूं। इस हमले के जो सूत्रधार हैं उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि वह (सिब्बल) कांग्रेस के लिए अदालत के बाहर और भीतर दोनों जगह लड़ते हैं। आप उनके विचारों से असहज जरूर हो सकते हैं, लेकिन इन विचारों को हिंसा से नहीं दबाया जा सकता।” उन्होंने कहा, ”जो लोग पिछली रात की हरकत का बचाव कर रहे हैं, वो देख लें, कि क्या हुआ है। उन लोगों (प्रदर्शनकारियों) ने कार को क्षतिग्रस्त कर दिया। कार पर खड़े हो गए। घर के भीतर और बाहर टमाटर फेंके। अगर यह उपद्रव नहीं है तो फिर क्या है?”

    वहीं तिवारी के ट्वीट के जवाब में ‘जी-23’ के एक अन्य सदस्य विवेक तन्खा ने कहा, ” उस व्यक्ति (सिब्बल) के साथ ऐसा कभी नहीं होना चाहिए जिसने (अदालती प्रक्रिया से) कांग्रेस की कई सरकारों एवं व्यक्तियों को बचाया और विपक्ष की सरकारों को हटवाया। लोग उनसे असहमत हो सकते हैं। प्रदर्शन करिये, लेकिन उनकी कार को नुकसान मत पहुंचाइए। अपने जीवन में मैंने कभी भी उपद्रव को प्रोत्साहित नहीं किया।”

    गौरतलब है कि आजाद, सिब्बल, शर्मा, हुड्डा, तिवारी और तन्खा उन 23 प्रमुख नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने पिछले वर्ष कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस में संगठन चुनाव करवाने की मांग की थी। इस समूह के एक नेता जितिन प्रसाद अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

    उल्लेखनीय है कि सिब्बल की ओर से पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़ा किये जाने के बाद पार्टी के कई कार्यकर्ताओं ने बुधवार को उनके आवास के बाहर प्रदर्शन किया और उनके विरुद्ध नारेबाजी की।सिब्बल के आवास के बाहर पहुंचे कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं जिन पर ‘गेट वेल सून सिब्बल’ (सिब्बल आप जल्द स्वस्थ हों) लिखा हुआ था। उन्होंने ‘गद्दारों को पार्टी से बाहर निकालो’ के नारे भी लगाए।

    दरअसल, सिब्बल ने पार्टी की पंजाब इकाई में मचे घमासान और कांग्रेस की हालिया स्थिति को लेकर बुधवार को पार्टी नेतृत्व पर प्रश्न खड़े किए और कहा था कि कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक बुलाकर इस स्थिति पर चर्चा होनी चाहिए तथा संगठनात्मक चुनाव कराये जाने चाहिए। उन्होंने कई नेताओं के पार्टी छोड़ने का उल्लेख करते हुए गांधी परिवार पर इशारों-इशारों में कटाक्ष किया कि ”जो लोग इनके खासमखास थे वो छोड़कर चले गए, लेकिन जिन्हें वे खासमखास नहीं मानते वे आज भी इनके साथ खड़े हैं।”

    सिब्बल ने जोर देकर कहा, ”हम ‘जी हुजूर 23’ नहीं हैं। हम अपनी बात रखते रहेंगे।”

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