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    Home»Breaking News»पूर्वांचल एक्सप्रेस वे, यानी यूपी के विकास की नयी गाथा
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    पूर्वांचल एक्सप्रेस वे, यानी यूपी के विकास की नयी गाथा

    azad sipahiBy azad sipahiNovember 17, 2021No Comments10 Mins Read
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    सौगात : जब मिराज, सुखोई और राफेल ने उड़ान भरी, तो भारतीयों का सीना हुआ गर्व से चौड़ा

    देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार 16 नवंबर को बड़ी सौगात दी है। यूपी के विकास की नयी गाथा लिखनेवाला छह लेन का यह एक्सप्रेस वे केवल यूपी ही नहीं, बल्कि पड़ोसी बिहार के कई जिलों के लिए भी लाभकारी बनेगा। इस सड़क की गुणवत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस पर लड़ाकू विमान भी उतर सकते हैं। प्रधानमंत्री की उपस्थिति में जब भारत के युद्धक विमान मिराज, सुखोई और राफेल ने यहां से उड़ान भरी, तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। यह पहला अवसर था, जब सड़क से युद्धक विमान ने उड़ान भरी। पूर्वांचल को लखनऊ और फिर दिल्ली को जोड़नेवाली यह सड़क अब आम लोगों के इस्तेमाल के लिए खुल गयी है, तो अब यूपी के इस अपेक्षित रूप से पिछड़े इलाके को विकास की नयी रोशनी देखने को मिलेगी। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी की भाजपा सरकार की ऐसी उपलब्धि है, जिसे कभी कम नहीं किया जा सकता है। इस ऐतिहासिक सड़क के महत्व को रेखांकित करती आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह की खास रिपोर्ट।

    भारत में जब भी सड़कों के विकास की बात होती थी, तो एक नाम ही लोगों के जेहन में आता था और वह था शेरशाह सूरी का। उसने कोलकाता से पेशावर तक जीटी रोड का निर्माण कर पूरी दुनिया में अपने नाम का डंका बजवा लिया था। आज भी उस जीटी रोड से देश का बच्चा-बच्चा वाकिफ है। बहुत कम लोग हैं, जो इसे अब एनएच के नाम से जानते हैं। पहले के लोग आज भी इसे जीटी रोड ही कहते हैं। लेकिन आज के भारत की तसवीर अब बदल रही है। इस बदलाव की परिकल्पना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने पांच साल के शासन काल में की थी। उन्होंने स्वर्णिम चतुर्भुज योजना को मूर्त रूप देने के लिए मन में ठाना था। अपने कार्यकाल में उन्होंने कोलकाता से लेकर दिल्ली तक फोर लेन बनवा दी। उसे अन्य राज्यों से जोड़ना बाकी रह गया था। वाजपेयी जी की सरकार जाने के बाद ये योजनाएं एक तरह से ठप पड़ गयी थीं। लेकिन जैसे ही केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी, सभी जरूरी और पुरानी योजनाओं को मूर्त रूप दिया जाने लगा। इसी क्रम में दिल्ली से लखनऊ एक्सप्रेस वे जनता के लिए खोला गया। हालांकि इस योजना की नींव यूपी में अखिलेश यादव की सरकार ने रखी थी। यूपी की मौजूदा योगी आदित्यनाथ की सरकार ने लखनऊ से पूर्वी उत्तररप्रदेश के गाजीपुर एक्सप्रेस वे का सपना देखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजमगढ़ में 2018 में इसकी आधारशिला रखी और मंगलवार यानी 16 नवंबर 2021 को उन्होंने सुल्तानपुर में इस एक्सप्रेस वे को जनता के नाम कर दिया। जैसे ही इसके उद्घाटन के लिए वे भारत के महाबली विमान हरक्यूलियस से आसमान से इस सड़क पर उतरे, पूरा उत्तरप्रदेश नयी अंगड़ाई लेने लगा। इस एक्सप्रेस वे के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तरप्रदेश के विकास की नयी गाथा लिख दी। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सड़क को जनता के लिए समर्पित कर रहे थे, उस समय उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सीना गर्व से चौड़ा हुआ जा रहा था। देश के जनसमूह को अपने देश के विकास पर नाज हो रहा था। जगह-जगह गगनभेदी नारे लगाये जा रहे थे। जनता प्रधानमंत्री का स्वागत कर रही थी। दरअसल नरेंद्र मोदी जनता के इस सम्मान के हकदार भी हैं। यह सब उसी उत्तरप्रदेश में सच साबित हो रहा था, जहां कभी 50 किलोमीटर सड़क बनाने में भी ठेकेदारों के पसीने छूट जाते थे। वे पूरी तरह से माफियाओं के रहमोकरम पर आश्रित थे। अगर आपने 35 परसेंट रंगदारी दी, तो सड़क आसानी से बना लीजिए, वरना हर समय आपको अपनी जान हथेली पर लेकर चलना पड़ता था। इस एक्सप्रेस वे के साथ ही यूसुफपुर-मोहम्मदाबाद से करीमुद्दीनपुर के बीच की वह 18 किलोमीटर सड़क भी बनने लगी है, जिसे माफियाओं ने 15 साल से रोक रखा था। जाहिर है, जिस समय आप एक्सप्रेस वे पर चल रहे होंगे, आपकी आंखें एकटक इस सड़क को निहार रही होंगी और आपकी गाड़ी 120 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवा से बात कर रही होगी। दिल्ली से लखनऊ और फिर वहां से गाजीपुर तक लगभग एक हजार किलोमीटर लंबी इस सड़क को आप महज 10 से 11 घंटे में नाप चुके होंगे। यानी आज के भारत में सड़कों का विकास एक दिवास्वप्न नहीं, बल्कि हकीकत है, जिसे देश के लोग अपनी आंखों से देख रहे हैं। एक समय था, जब गाजीपुर से लखनऊ लगभग 340 किलोमीटर की दूरी तय करने में पूरी रात लग जाती थी, सड़क मार्ग से यह दूरी बारह घंटे में पूरी होती थी, अब महज साढ़े तीन घंटे में आप लखनऊ में होंगे, यह अब हकीकत है। इस एक्सप्रेस वे के साथ ही देश के अन्य राज्यों से भी लिंक रोड की योजना पर काम हो रहा है और रिकॉर्ड समय में ये काम पूरे भी हो जायेंगे। यानी अब भारत का सैर सड़क मार्ग से भी किया जा सकेगा, जो पहले रेलवे के बिना अधूरा था।
    पूर्वांचल एक्सप्रेस वे सिर्फ छह लेन का रोड नहीं, यह उत्तरप्रदेश के लोगों के लिए नयी उड़ान का पंख है। आज तक उत्तरप्रदेश जिस प्रकार से सड़कों के मामले में जिल्लत और किल्लत एक साथ झेल रहा था, वहीं अब योगी राज में उत्तरप्रदेश की सड़कों पर आधुनिक लड़ाकू विमान राफेल लैंड कर रहा है। इसके लिए सुल्तानपुर में 3.2 किमी लंबी और 34 मीटर चौड़ी हवाई पट्टी भी तैयार की गयी है। जरूरत पड़ने पर वायुसेना इस एक्सप्रेस-वे का इस्तेमाल लैंडिंग और उड़ान भरने के लिए कर सकती है। अब उत्तरप्रदेश के लिए दिल्ली भी दूर नहीं। राजनीति में कहते हैं न, जिसने उत्तरप्रदेश जीत लिया, उसने केंद्र की राजनीति की आधी लड़ाई जीत ली। उसी प्रकार से पूर्वांचल एक्सप्रेस वे बनने से अब देश की राजधानी दिल्ली तक का सफर भी सुगम हो चला है। अब पूर्वी उत्तरप्रदेश के लोग भी दिल्ली से आसानी से जुड़ सकेंगे। नये-नये व्यापार के रास्ते खुलेंगे, उद्योग धंधे लगेंगे। पूर्वांचल एक्सप्रेस वाली पंख से अब पूर्वी उत्तरप्रदेश यानी बलिया, गाजीपुर, मऊ और आजमगढ़ आदि जगहों के लोग भी अपने सपनों की उड़ान भर सकेंगे। गाजीपुर से बलिया की लिंक रोड भी बन रही है, जिससे बलिया भी इस सड़क के माध्यम से ऊंची उड़ान भरने लगेगा।
    उत्तरप्रदेश के नौ जिलों को जोड़नेवाले पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का सुल्तानपुर के कूरेभार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार 16 नवंबर 2021 को उद्घाटन कर दिया। इसके साथ ही पूर्वांचल को विकास के पंख लग गये। एक्सप्रेस-वे के नजदीकी क्षेत्रों में उद्योगों के विकास के साथ शैक्षणिक और स्वास्थ्य संस्थान, वाणिज्यिक केंद्र खुलने से विकास के साथ रोजगार की नयी राहें भी आकार लेने लगीं।
    341 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस-वे पूर्वी और पश्चिमी यूपी को जोड़ेगा। इसे बनाने में 22 हजार 497 करोड़ रुपये का खर्चा आया है। ये एक्सप्रेस-वे नौ जिलों लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, अयोध्या, सुल्तानपुर, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर से होकर निकलेगा। इसकी आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2018 में आजमगढ़ में रखी थी। 19 माह के कोरोना काल के बाद भी 341 किमी लंबा यह एक्सप्रेस-वे महज 36 माह में बन कर तैयार हुआ है।
    पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे लखनऊ के चांद सराय गांव से शुरू होगा जो गाजीपुर के हैदरिया गांव में खत्म होगा। ये गांव यूपी-बिहार बॉर्डर से 18 किलोमीटर पहले पड़ता है। ये एक्सप्रेस-वे अभी 6 लेन का बनाया गया है, जिसे भविष्य में 8 लेन भी किया जा सकता है। इस एक्सप्रेस-वे से गाजीपुर से दिल्ली पहुंचने में करीब 10 घंटे का समय लगेगा। नोएडा से आगरा- 2 से 2.30 घंटे, आगरा से लखनऊ-3 से 3.30 घंटे, लखनऊ से गाजीपुर-4 से 4.30 घंटे। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर 341 किलोमीटर का सफर तय करने में करीब चार घंटे का वक्त लगेगा। इस एक्सप्रेस-वे से सरकार को टोल से 202 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा। अभी फिलहाल लोगों को टोल टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
    पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की खास बात यह है कि इस पर 3.41 मीटर की एयर स्ट्रिप भी बनायी गयी है। इस एक्सप्रेस-वे पर 18 फ्लाईओवर, 7 रेलवे ओवरब्रिज, 7 दीर्घ सेतु, 104 लघु सेतु, 13 इंटरचेंज, 5 रैंप प्लाजा, 271 अंडरपासेज और 525 पुलियों का निर्माण कराया गया है।
    पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से खेती-किसानी के लिए कारोबार के नये रास्ते खुलेंगे। राजधानी लखनऊ से पूर्वांचल के आखिरी छोर तक सीधी कनेक्टिविटी हो जायेगी, जिससे रोजगार के नये साधन भी खुलेंगे। फिलहाल एक्सप्रेस-वे को 6 लेन का बनाया गया है, जिसका विस्तार आठ लेन तक किया जा सकता है। एक्सप्रेस-वे पर चलनेवाले यात्रियों की सुरक्षा के लिए हर पैकेज पर 112 की गाड़ियां मौजूद रहेंगी। साथ ही हर पैकेज पर दो ऐंबुलेंस भी तैनात रहेंगी। इसके अलावा पुलिस चौकी का निर्माण भी एक्सप्रेस-वे पर किया जायेगा। हर पुलिस चौकी के पास हेलीपैड भी बनाये जायेंगे। इसके अलावा एक्सप्रेस-वे पर 8 पेट्रोल पंप शुरू किये जायेंगे। साथ ही सीएनजी स्टेशन भी लगाया जायेगा।
    यूपी एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) के सीईओ अवनीश अवस्थी ने बताया कि एक्सप्रेस-वे के किनारे इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए रिचार्ज स्टेशन मतलब बैटरी चार्जिंग स्टेशन भी बनाया जायेगा। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के आसपास बसे कई जिलों के लिए औद्योगिक विकास का रास्ता खुलेगा। इनमें बाराबंकी, अमेठी, सुलतानपुर, जौनपुर, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, अयोध्या, संतकबीर नगर, गोरखपुर, अंबेडकरनगर और बलिया जैसे कई जिले शामिल हंै। बलिया लिंक एक्सप्रेस वे गाजीपुर के कासिमाबाद स्थित पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से शुरू होकर बलिया तक जायेगी। इसके बन जाने से पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के जरिये बलिया के लोगों के लिए लखनऊ और साथ ही दिल्ली तक का सफर आसान तो होगा ही, और समय भी आधा हो जायेगा। इसी तरह काशी और अन्य प्रमुख शहरों में जाना सुगम हो जायेगा। चार लेनवाले बलिया लिंक एक्सप्रेस वे के निर्माण में करीब पंद्रह सौ करोड़ रुपये की लागत आयेगी। इसका एलाइनमेंट का काम पूरा हो चुका है। यह एक्सप्रेस वे सिर्फ आने-जाने का माध्यम ही नहीं, इससे लोगों के भविष्य के द्वार भी खुलेंगे। रोजी-रोजगार के अवसर विकसित होंगे। बाराबंकी में खाद्य उत्पाद, लकड़ी और दवा उद्योग के विकास से लिए 735 हेक्टेयर जमीन चिह्नित कर ली गयी है। इसी प्रकार से अमेठी, सुलतानपुर, आजमगढ़, मऊ और संतकबीरनगर में फूड प्रॉडक्ट्स इंडस्ट्री विकसित करने की योजना बनायी गयी है। जौनपुर और अंबेडकरनगर में टेक्सटाइल, अयोध्या और गोरखपुर में मेडिकल उपकरण और बलिया में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री विकसित करने की योजना है। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के आसपास पांच इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स बनाने की योजना है। इससे बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। एक्सप्रेस वे के आसपास खाद्य उत्पाद एवं प्रोसेसिंग, वेबरेज, रिफाइंड, पेट्रोलियम उत्पाद, केमिकल उत्पाद, नॉन मेटालिक मिनरल प्रॉडक्ट्स, इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट, मेडिकल और डेंटल इक्विपमेंट्स से संबंधित इंडस्ट्री लगायी जायेगी। इसके लिए 9,197 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की गयी है। यहां इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी खोले जायेंगे। उत्तरप्रदेश एक्सप्रेस वे डेवलपमेंट अथॉरिटी ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के आसपास के जिलों को चिह्नित कर लिया है। अब पूर्वांचल के कई जिलों को विकास पथ पर चलने की ताकत मिल चुकी है। सचमुच में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे विकास की वह सीढ़ी है, जिससे देश आत्मनिर्भरता के मामले में ऊंची उड़ान भर सकता है। यह एक्सप्रेस वे आज के भारत की जरूरत थी। पहले दिल्ली से आगरा, फिर दिल्ली से लखनऊ और अब लखनऊ से गाजीपुर एक्सप्रेस वे बदलते भारत की सुनहरी तसवीर है।

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