Author: azad sipahi desk
पंजाब से पैदल बिहार जा रहे मजदूरों को इस बात का इल्म भी नहीं था कि उनके कदम मौत को करीब ला रहे हैं। सपने एक दर्दनाक हकीकत में तब्दील होने वाले हैं, जो घर छोड़ते वक्त देखे थे। अपनों से मिलने की जल्दी थी तो दो रोटी के लिए रास्ते में कहीं रुकना मंजूर नहीं था। हाथ पर ही खाना रखकर खाते चले जा रहे थे।
एक तरफ श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं। राजधानी की तर्ज पर पटरियों पर स्पेशल एसी ट्रेनें फर्राटे मार रही हैं। विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने के लिए ‘वंदे भारत’ अभियान चल रहा है, हवाई जहाज उड़ान भर रहे हैं।
रांची. लॉकडाउन के दौरान नई दिल्ली स्टेशन से चलकर राजधानी एक्सप्रेस गुरुवार सुबह 10 बजे रांची स्टेशन पहुंची। स्टेशन पर उतरते ही यात्रियों के चेहरे पर खुशी की झलक दिखी। सभी यात्रियों को सोशल डिस्टेंस का पालन कराकर प्लेटफॉर्म से बाहर निकला गया।
लॉकडाउन में विभिन्न राज्यों में फंसे श्रमिकों की वापसी को लेकर ट्रेनों की आवाजाही अब तेज हो रही है। गुरुवार सुबह आंध्र प्रदेश के नागुलपल्ली से श्रमिक स्पेशल ट्रेन कोडरमा जंक्शन पहुंची। इस ट्रेन पर कुल 1550 श्रमिक सवार थे, जिनमें कोडरमा के 384 प्रवासी शामिल हैं। तीन दिनों के भीतर कोडरमा पहुंचने वाली यह तीसरी ट्रेन है।
कोरोना महामारी के दौर में भी चीन का अपने पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद को बढ़ावा एक सोची-समझी रणनीति के तहत कर रहा है। माना जा रहा है कि कोविड-19 महामारी में कमी आने के बाद चीन को निवेशकों के पड़ोसी देशों में पलायन का डर है और उसी से पेइचिंग बौखलाया हुआ है।
कोरोना वायरस ने कहर से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला राज्य महाराष्ट्र है क्योंकि वहां संक्रमितों का आंकड़ा सबसे ज्यादा है। कई लोगों ने अपनों को खोया है। कुछ ऐसी ही कहानी गोरेगांव ईस्ट के रहने वाले 11 साल के हर्षिल सिंह की है जिसके पिता की 13 अप्रैल को कोरोना वायरस पॉजिटिव होने के चलते मौत हो गई।
मनरेगा के काम में हजारों मजदूर जुट गए हैं। कुंआं तालाब के अलावा इस बार मनरेगा में बागवानी की योजनाओं पर प्रशासन का ज्यादा जोर है। इस वित्तीय वर्ष में मनरेगा में एक लाख 37 हजार मानव दिवस कार्य का सृजन हो चुका है और हर पंचायत में औसतन 138 लोगाें काे मनरेगा से मजदूरी मिली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को जब 54 दिन के दौरान पांचवीं बार देश को संबोधित करते हुए ‘लोकल के लिए वोकल’ बनने का मंत्र दिया, तो सहसा बहुत से लोगों को इसका निहितार्थ समझ में नहीं आया। हकीकत में इसके मायने बहुत व्यापक हैं।