Author: azad sipahi desk
नई दिल्ली : भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने चंद्रयान- 2 की सफल लॉन्चिंग के साथ ही नया इतिहास रच दिया है। लॉन्चिंग के बाद अब इसे चांद की सतह पर उतारने के सबसे बड़े मिशन की भी शुरुआत हो गई है। चंद्रयान-2 श्री हरिकोटा के प्रक्षेपण स्थल से चांद तक के 3 लाख 84 हजार किलोमीटर के सफर पर निकल चुका है। चंद्रयान सिर्फ 16 मिनट बाद पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया। इसरो चीफ के सिवन ने चंद्रयान की सफल लॉन्चिंग की घोषणा करते हुए कहा कि इस मिशन की सोच से बेहतर शुरुआत हुई है। इसरो की…
नई दिल्ली : इसरो अध्यक्ष डॉ. के सिवन ने चंद्रयान 2 के सफल प्रक्षेपण पर संबंधित सभी टीमों को हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि विज्ञान एवं तकनीक के लिहाज से भारत के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। लॉन्चिंग की सफलता से गदगद इसरो चीफ ने रूंधे गले से सभी टीमों की प्रशंसा की और कहा, ‘आपने जिस तरह अपना घर-बार छोड़कर, अपने हित-अहित को नजरअंदाज कर रात-दिन एक कर दिया, उसके लिए मैं आपको दिल से सलाम करता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘आप पिछले सात दिनों से अपने परिवारों को भूलकर, अपने हितों का त्याग कर लगे हुए थे…
नई दिल्ली : चंद्रयान 2 की सफल लॉन्चिंग पर इसरो के साथ-साथ देशभर में जश्न का माहौल है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसरो और भारतीयों को बधाई संदेश दिया। इस मौके पर पीएम ने चंद्रयान 2 के फायदे भी गिनाए। मोदी ने ट्वीट के साथ-साथ कुछ तस्वीरें भी शेयर की हैं। इसमें मोदी खड़े होकर लॉन्च देख रहे हैं। तस्वीरें बताती हैं कि मोदी की मिशन पर पूरी नजर थी और वह भी मिशन के लिए आम भारतीय की तरह ही उत्साहित थे। इसरो के इस कारनामे का राज्यसभा और लोकसभा में भी जिक्र हुआ। पीएम…
New Delhi: चंद्रयान-2 को इसरो के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र के सेकेंड लॉन्च पैड से लॉन्च किया जाएगा। ये पल वैसे तो पूरे देश के लिए गर्व के पल होंगे, लेकिन झारखंड को गौरवान्वित होने की खास वजह है। दरअसल इस लॉन्च का अहम हिस्सा माने जा रहे एसएलपी का निर्माण रांची स्थित मेकॉन लिमिटेड ने किया गया। इतना ही नहीं इसके निर्माण के लिए कई जरूरी उपकरण भी रांची में ही स्थित (हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड) एचईसी में बने हैं।
वॉशिंगटन: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तीन दिवसीय दौरे पर अमेरिका में हैं। रविवार को अमेरिका पहुंचे इमरान की आज वहां के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मुलाकात होनी है। इससे पहले पाकिस्तान से लेकर अमेरिका तक, इमरान सरकार के आलोचकों का मुंह बंद करने की जीतोड़ कोशिश की जा रही है। पाकिस्तान में उन टीवी मीडिया संस्थानों के प्रति कड़ा रुख अपनाया जा रहा है जो सरकार की पसंदीदा बातें नहीं कर रहे हैं। वहीं, अमेरिका में अकैडमिक एवं थिंकटैंक्स में बैठे आलोचकों को ब्लैकलिस्ट किया जा रहा है। पाकिस्तान के अखबारों में संपादकीय का स्थान खाली छोड़ा जा रहा…
हैदराबाद: भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर शौचालय वाले बयान पर घिरी हुई हैं। तेलंगाना के हैदराबाद से एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रज्ञा ठाकुर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने अपने बयान से पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम को चैलेंज कर दिया है। ओवैसी ने यह भी कहा कि वह (प्रज्ञा) मानती हैं कि भारत में जाति भेदभाव को जारी रखना चाहिए। ओवैसी ने प्रज्ञा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘न ही मुझे इस पर आश्चर्य है और न ही मैं ऐसे अप्रिय बयान से हैरान हूं। उन्होंने ऐसा कहा कि क्योंकि यह उनके विचार…
सियासत में विरासत के प्रचलन का प्रमाण इतिहास के पुराने से पुराने किस्सों में दर्ज है। राजा का बेटा राजा की तर्ज पर मंत्री का बेटा मंत्री का फार्मूला लगभग हर पार्टी में दिख जाता है। मौजूदा राजनीति के दौर में एक पीढ़ी बुढ़ापे की दहलीज पर खड़ी है। धीरे-धीरे वह अपनी राजनीतिक विरासत अपनी नयी पीढ़ी को सौंप रही है। नयी पीढ़ी के सामने चुनौतियां नये तरीकों की भी आनेवाली हैं। उन्हें पिता द्वारा सौंपा गया जनता का विश्वास भी कायम रखना है और बदले हुए दौर में आधुनिकता के साथ खुद को स्थापित भी करना है। झारखंड में भी विरासत की छांव में सियासत खूब फलती-फूलती रही है। इस विधानसभा चुनाव में इसका नजारा देखने को मिलेगा। झारखंड के इतिहास के पन्ने को पलटें तो विरासत की सियासत के कई उदाहरण मिल जायेंगे। इतना ही नहीं, विरासत की सियासत को भी झारखंड के राज ‘पुत्रों’ ने बखूबी संभाला भी है। झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक फिजां बदलने लगी है। आबोहवा में विरासत की सियासत के रंग घुलने लगे हैं। आइये ऐसे कुछ वरिष्ठ नेताओं और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी के बारे में जानते हैं कि वे अपने पिता की दी हुई वैचारिक राजनीति को आगे ले जाने में कितना कामयाब हुए हैं। अपनी पिता की राजनीति से कितने प्रभावित हुए और खुद की पहचान बनाने में कितने कामयाब रहे। इस रिपोर्ट में राजीव यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि झारखंड की राजनीति को संभालने के लिए कैसे विरासत की पौध दस्तक रही है।