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चंद्रपुरा। एनडीए के प्रतिनिधियों द्वारा आवाज उठाने पर हेमंत सरकार सरना कोड को लेकर सजग हुई है। राज्य सरकार अब तक पूरी तरह से विफल साबित हुई है। पिछले दस महीने में राज्य सरकार किसी भी मामले पर केंद्र सरकार से बात नहीं की। इस उपचुनाव के परिणाम के बाद सरकार गिरे या नहीं, लेकिन सरकार का मनोबल गिरना तय है।

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण से ठीक पहले आरक्षण का जिन्न प्रकट हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण देने की वकालत कर जिस राजनीतिक ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया है, वह उन्हें चुनावी लाभ तो दिला सकता है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम बेहद खतरनाक हो सकते हैं। भारत में, खास कर हिंदी पट्टी के राज्यों में आर

झारखंड के आदिवासियों के हित में बड़े फैसले लेने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को एक और बड़ा फैसला लिया। उन्होंने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि राज्य सरकार सरना कोड को लागू करने की सिफारिश केंद्र सरकार से करेगी। इसके लिए राज्य स्थापना दिवस के पहले विशेष सत्र बुलाकर इसे विधानसभा में पारित करेगी और केंद्र को अपनी अनुशंसा भेज देगी।

जिले के सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित सेरेंगदाग थाना से महज आधा किलोमीटर की दूरी पर शुक्रवार को दिन-दहाड़े पुलिस और माओवादियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई। इस दौरान माओवादियों ने आइइडी ब्लास्ट कर दिया। इसमें तीन जवान घायल हो गये। इनको बेहतर इलाज के लिए रांची के मेडिका में भर्ती कराया गया है।
एसडीपीओ जितेंद्र कुमार सिंह ने घटना की पुष्टि

यह चुनाव भाजपा से ज्यादा आजसू के लिये चुनौतीपूर्ण है। गठबंधन सरकार में बीते दस महीने में कोई काम नहीं हुआ। यह बातें आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने शुक्रवार को कहीं। वे बोकारो थर्मल स्थित झारखंड चौक और कथारा में आयोजित जनसभा में बोल रहे थे। श्री महतो ने कहा कि कांग्रेस के लोग एनडीए प्रत्याशी से दस वर्ष के कार्यकाल का हिसाब मांग रहे हैं,

झारखंड की उप राजधानी दुमका और कोयला क्षेत्र की प्रमुख सीट बेरमो में हो रहे उप चुनाव में अब चार दिन बाकी रह गये हैं। इसलिए इन दोनों क्षेत्रों में चुनाव प्रचार अभियान चरम पर पहुंच गया है। इन दोनों सीटों पर प्रचार का शोर एक नवंबर की शाम को थमेगा, लेकिन अभी चल रहे प्रचार ने साबित कर दिया है कि झारखंड की राजनीति के लिए इन दोनों सीटों की क्या अहमियत है। सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से दुमका में झामुमो के बसंत सोरेन और बेरमो में कांग्रेस के कुमार जयमंगल उर्फ अनुप सिं

दुमका उपचुनाव को लेकर राजनीतिक तापमान चरम पर है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों एक-दूसरे पर जम कर आरोप लगा रहे हैं। दोनों आम लोगों को भरोसा दे रहे हैं कि अगर उनका उम्मीदवार जीता, तो इलाके का कायाकल्प हो जायेगा। गुरुवार को दुमका से 25 किलोमीटर दूर भुरकुंडा पंचायत के गुढ़ियारी गांव के फुटबॉल मैदान में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केंद्र सरकार और राज्य में पूर्व की सरकार पर जम कर बरसे। हेमंत ने कहा कि अलग राज्य

दुमका और बेरमो में होनेवाले उपचुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर है। इस टक्कर में एनडीए की चुनावी रणनीति को धार देने की कमान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के जिम्मे है। 25 फरवरी को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी संभालनेवाले दीपक प्रकाश ने न सिर्फ पार्टी को संगठनात्मक स्तर पर मजबूती दी है बल्कि एनडीए को भी मजबूत करने में एड़ी-चोटी एक कर रहे हैं।

विधानसभा के उपचुनाव में नेताओं का मेला लगा है। सत्ता और विपक्ष के उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं और दोनों अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। फैसला तो 10 नवंबर को आयेगा, लेकिन उसके पहले सभी दांव पेंच अपनाये जा रहे हैं। जनता कह रही है कि इवीएम सब कुछ बतायेगी। यहां झामुमो से दिशोम गुरु के छोटे पुत्र बसंत सोरेन उम्मीदवार हैं। वहीं भाज

बेरमो विधानसभा उप चुनाव को लेकर भी कांग्रेस ने अपनी ताकत झोंक दी है। इसी कड़ी में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता क्षेत्र की मतदाताओं से रूबरू होते हुए कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में वोट करने की अपील की। वहीं मोदी सरकार की गलत नीतियों से लोगों को हो रहे नुकसान के बारे में बताया और राजेंद्र सिंह के कार्यों को भी याद दिलाया। उन्होंने कहा कि लोगों का रुझान कांग्रेस

हेमंत सरकार गरीब-गुरबों की सरकार है। पूर्व की भाजपा के शासनकाल में राज्य की जनता त्रस्त थी। आमलोगों से जुड़ा कोई काम नहीं हो रहा था। लोग नौकरी और रोजगार के लिए तरस रहे थे। इसी वजह से बहुमत से राज्य में महागठबंधन की सरकार बनाने का काम राज्य की जनता ने किया। गुरुवार को कांग्रेस प्रत्याशी कुमार जयमंगल उर्फ अनुप सिंह के पक्ष