करीब दो साल पहले असंवैधानिक पत्थलगड़ी से चर्चा में आये खूंटी का माहौल एक बार फिर बिगड़ने लगा है। सोमवार की रात भाजपा नेता और उनके दो परिजनों की हत्या के बाद से यह सवाल उठने लगा है कि खूंटी में नक्सली-अपराधी गठजोड़ के आतंक के बीच लोग कब तक कराहते रहेंगे। पूरे झारखंड में खूंटी सत्ताधारी भाजपा का मजबूत गढ़ है। यहां के सांसद और विधायक केंद्र और राज्य में मंत्री हैं। फिर भी यहां नक्सली-अपराधी बेखौफ हैं। अफीम की खेती और पत्थलगड़ी जैसे गैर-कानूनी काम आज भी इलाके में बदस्तूर जारी हैं। पुलिस प्रशासन की तमाम सख्ती के बावजूद खूंटी में आपराधिक वारदातें हो रही हैं, राजनीतिक लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। खूंटी की यह हालत पूरी व्यवस्था के लिए, प्रशासन के लिए खुली चुनौती है। अब समय आ गया है कि भगवान बिरसा की जन्मभूमि पर शांति का माहौल कायम किया जाये। इसके लिए जन प्रतिनिधियों के साथ समाज के पहरुओं को भी आगे आना होगा। खूंटी में कानून-व्यवस्था की खराब होती स्थिति और इसकी पृष्ठभूमि पर आजाद सिपाही टीम की खास पेशकश।