कहा जाता है कि जब आप बेहद गुस्से में हों या बहुत खुश हों, तो किसी से कोई वादा न करें। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में राजनेताओं के लिए यह बात सबसे जरूरी होती है। झारखंड में हेमंत सोरेन यह बात अच्छी तरह से आत्मसात कर चुके हैं। विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने के बाद हेमंत सोरेन ने जिस शालीनता का परिचय दिया है और हर रोज दे रहे हैं, वह सामान्य बात नहीं है। पिछले पांच साल से लगातार राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर रहे हेमंत के लिए धैर्य और हिम्मत बनाये रखना बेहद मुश्किल काम था, लेकिन उन्होंने कभी न खुद को और न ही अपनी पार्टी को भटकने दिया। इसी शालीनता से उन्हें देश की राजनीति के फलक पर लाकर खड़ा कर दिया है। पिछले एक सप्ताह के दौरान हेमंत सोरेन के इस बदलाव पर पेश है आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की खास रिपोर्ट।