झारखंड की राजनीति में अटूट गठबंधन माने जानेवाले आजसू और भाजपा का रिश्ता भले ही टूट चुका हो और दोनों फ्रेंडली फाइट में उतर गये हैं, लेकिन अब तक का मुकाबला यही बता रहा है कि दोनों दल एक ही लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं और दोनों एक-दूसरे को कठघरे में खड़ा करने से बच रहे हैं। राजनीति और चुनाव में अक्सर फ्रेंडली फाइट को बड़े ही कौतूहल भरी नजर से देखा जाता है और पूछा जाता है कि जब फाइट होगी, तो वह फ्रेंडली कैसे हो सकती है। इस बार झारखंड में भाजपा और आजसू इस फ्रेंडली फाइट का मतलब समझाने में लगी हैं। दोनों दल जहां एक-दूसरे के खिलाफ बोलने से बच रहे हैं, वहीं दोनों अपनी ताकत बढ़ाने में लगे हुए हैं। भाजपा और आजसू के बीच दोस्ताना संघर्ष के बारे में दयानंद राय की खास रिपोर्ट।