झारखंड की सत्ता पर काबिज होने के लिए छटपटा रहे झारखंड के सबसे बड़े क्षेत्रीय दल झामुमो अपने पहाड़ जैसे प्रतिद्वंद्वी के मुकाबले के लिए हर दांव अपना रहा है। लोकसभा चुनाव में अपने गढ़ संथाल की राजधानी दुमका से पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन की हार के बाद यह साफ हो गया कि झामुमो में दिशोम गुरु का युग अब अंतिम सांस ले रहा है। शिबू सोरेन के राजनीतिक उत्तराधिकारी और झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने पार्टी को नये सिरे से खड़ा करने की कवायद तेज भी कर दी है। इस क्रम में उन्होंने झारखंड के सबसे ताकतवर गैर-आदिवासी जातीय समूह कुर्मियों की पार्टी के प्रति नाराजगी दूर करने की कोशिश शुरू की है। इसके तहत उन्होंने जमशेदपुर के आस्तिक महतो को पार्टी का सचिव बना कर कुर्मी समाज को एक संदेश देने की कोशिश की है। आस्तिक की प्रोन्नति से इस धारणा को भी बल मिला है कि झामुमो में अभी गुरुजी का दौर पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। हेमंत सोरेन के इस कदम राजनीतिक असर का आकलन करती दयानंद राय की खास रिपोर्ट।