वाटरलू की लड़ाई वर्ष 1815 में लड़ी गयी थी। इसमें एक तरफ फ्रांस था तो दूसरी ओर ब्रिटेन, रूस, प्रशा, आॅस्ट्रिया और हंगरी की सेना थी। इस लड़ाई में मिली हार ने नेपोलियन का चैप्टर हमेशा के लिए क्लोज कर दिया था। इस लड़ाई की तरह झारखंड विधानसभा चुनाव में पहले चरण की 13 सीटों मेें से कई सीटें ऐसी हैं, जिनमें मुकाबला कमोबेश वाटरलू की लड़ाई की तरह ही है। इन सीटों में लोहरदगा, विश्रामपुर और भवनाथपुर जैसी सीटें शामिल हैं। इन सीटों पर मिलनेवाली हार-जीत कई प्रत्याशियों का राजनीतिक भविष्य तय करेगी। इस चुनाव का नतीजा भविष्य के गर्भ में है और यह देखना दिलचस्प होगा कि मुकाबले में किसकी नियति में नेपोलियन बनना लिखा है और किसके हिस्से में विजयश्री। झारखंड विधानसभा की 13 सीटों में से मुख्य सीटों पर कड़े मुकाबले और उनके संभावित असर पर नजर डालती दयानंद राय की रिपोर्ट।