1947 में मिली आजादी के बाद से ही भारत में विकास की अवधारणा को राजनीति से जोड़ दिया गया। तब से लेकर आज तक किसी इलाके के विकास की पूरी जिम्मेवारी राजनीतिक नेताओं के कंधों पर ही है। यह एक हद तक सही भी है, क्योंकि इलाके के विकास के लिए आवाज उठाने की क्षमता और ताकत राजनीतिक लोगों में ही होती है। यदि किसी इलाके के राजनीतिक लोग वहां के विकास के लिए आवाज नहीं उठाते हैं, तो