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हर भाषण का एक अर्थ होता है। और यदि भाषण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या फिर कांग्रेस के महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसी शख्सियत के हों, तो इसके अपने मायने होते हैं । दस दिसंबर को झरिया के जियलगोरा मानस मंदिर मैदान मेेंं जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी प्रत्याशी पूर्णिमा नीरज सिंह के पक्ष में प्रचार करते हुए कहा कि प्रदेश में महागठबंधन की सरकार बनी, तो झरिया खाली नहीं होगा, हां भाजपा को झरिया सीट खाली जरूर करनी पड़ेगी, तो प्रकारांतर से वह झरिया की जनता की नब्ज पर हाथ रख रहे थे। उनके भाषण के तीसरे दिन 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धनबाद के बरवाअड्डा मैदान में आयोजित सभा में गठबंधन के घटक दलों पर प्रहार करते हुए वोटरों को साधने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने देश में एक विचित्र राजनीतिक माहौल बनाया। इसकी वजह से देशवासियों का भरोसा ही घोषणापत्रों से उठ गया। लोगों को लगने लगा था कि नेता चुनाव के दौरान घोषणाएं करते हैं और फिर भूल जाते हैं। देश के अंदर ये भावनाएं भरनेवाली कांग्रेस के कारण यह स्थिति पैदा हुई। राजद, झामुमो और वामपंथियों ने भी यही किया। पर भाजपा ने छह महीने में दिखा दिया है कि संकल्प चाहे कितने भी बड़े हों, उन्हें पूरा करने में हम दिन रात एक कर देते हैं। इस सभा के जरिये जहां नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधा वहीं जनता से पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान करने की अपील भी की। जाहिर है कि चौथे चरण की पंद्रह सीटों में से कोयलांचल की नौ सीटें भाजपा और महागठबंधन दोनों के लिए बेहद महत्व की हैं और इन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए दोनों ओर से पार्टी के शीर्ष नेताओं ने पूरा जोर लगा दिया है। इन सीटों पर बाहुबलियों और मजदूर नेताओं की राजनीतिक लड़ाई पर प्रकाश डालती दयानंद राय की रिपोर्ट।