लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ समाजवादी पार्टी (सपा) के औपचारिक रुप से दो फाड होने की इबारत लिखी जा चुकी है। ‘यादव परिवार’ में करीब सात महीने से चल रहे घमासान के बाद सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव आज दोपहर अचानक पार्टी के राज्य मुख्यालय पहुंचे जहां मीडियाकर्मियों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री बेटे अखिलेश यादव तथा भाई रामगोपाल यादव के खिलाफ सार्वजनिक रुप से जमकर भडास निकाली। कार्यकर्ताओं से साथ निभाने की भावपूर्ण अपील करते हुए उन्होंने कहा, “ केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के डर से रामगोपाल सपा को तोड रहा है।
श्री मुलायम सिंह यादव ने कहा, “ अखिलेश रामगोपाल की ही मान रहा है। उन्हीं की सुन रहा है और वह पार्टी तोड रहा है। हम पार्टी को एक रखना चाहते हैं। साइकिल भी रखना चाहते हैं। मैने अखिलेश से कहा तू इसके चक्कर में क्यों है। विवाद में मत पड। तुझे विवाद में नहीं पडना चाहिये।” उन्होंने कहा, “ हम किसी कीमत पर पार्टी की एकता चाहते हैं। किसी को अलग नहीं करना चाहते। मैं चाहता हूं आप (कार्यकर्ता) हमारा समर्थन करें ताकि हमारी सपा और हमारी साइकिल बची रहे। मेरा सहयोग करना। विश्वास करना।”
इससे पहले सपा में चल रहे घमासान को समाप्त करने के लिए पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके मुख्यमंत्री पुत्र अखिलेश यादव की कल करीब डेढ घंटे बात हुई थी। दोनों की मुलाकात के बाद ही विधान परिषद के द्विवार्षिक चुनाव के लिए अखिलेश खेमे द्वारा प्रत्याशियों की एकतरफा घोषणा से ही साफ हो गया था कि बातचीत फेल हो गयी । पिता-पुत्र के बीच कल करीब 90 मिनट तक बेरोकटोक बातचीत हुई थी । इस बातचीत में कोई अन्य शामिल नहीं था। अखिलेश को यहां एक जनवरी को संपन्न आपातकालीन अधिवेशन में पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किये जाने के बाद पिता-पुत्र के बीच यह दूसरी बैठक थी। पार्टी को टूट से बचाने के लिये पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव ने सोमवार की शाम नयी दिल्ली से यहां पहुंचते ही राज्य विधानसभा चुनाव मे पार्टी के सत्ता में आने पर अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाये जाने का एलान कर दिया था, फिर भी बात नहीं बनी।
कौएद विलय का सख्ती से विरोध करते हुए मुख्यमंत्री ने इसके सूत्रधार रहे माध्यमिक शिक्षामंत्री बलराम यादव को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। आनन-फानन में 25 जून को संसदीय बोर्ड की बैठक बुलायी गयी। संसदीय बोर्ड ने बलराम यादव का मंत्रिमंडल में बहाली और कौएद का पार्टी में विलय नकार दिया। दो महीने तक मामला ठीक चला। इसी बीच सितम्बर में मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को हटाकर शिवपाल सिंह यादव को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। इसे अपनी तौहीन समझते हुए मुख्यमंत्री ने मंत्री शिवपाल के सभी महत्वपूर्ण विभाग छीन लिए, लेकिन मुलायम के दबाव में लोक निर्माण विभाग के अलावा सभी विभाग वापस कर दिये, हालांकि इससे पहले शिवपाल सिंह यादव ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे मुख्यमंत्री ने नामंजूर कर दिया था।
यह विवाद दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में चरम पर पहुंच गया, जब पार्टी से अखिलेश यादव और राम गोपाल यादव को छह वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित करने की घोषणा की गयी। विवाद के दौरान ही राम गोपाल यादव को पहले भी निकाला गया था, लेकिन इटावा में प्रेस कान्फ्रेन्स के दौरान रो पड़ने की वजह से मुलायम सिंह यादव ने उन्हें पुन: पार्टी में शामिल कर लिया था। मुख्यमंत्री और रामगोपाल यादव के पार्टी से निष्कासन के दूसरे दिन ही पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खां के हस्तक्षेप से दोनों की पार्टी में वापसी हो गयी। इसके तुरन्त बाद 31 दिसम्बर को राम गोपाल यादव ने एक जनवरी को पार्टी का राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुला लिया। सम्मेलन में मुलायम सिंह यादव को हटाकर अखिलेश यादव को पार्टी का अध्यक्ष घोषित कर दिया गया और मुलायम सिंह यादव को पार्टी का मार्गदर्शक बना दिया गया।