Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Friday, May 9
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»रोचक पोस्ट»साड़ी पहनने के पीछे है यह इतिहास
    रोचक पोस्ट

    साड़ी पहनने के पीछे है यह इतिहास

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीJanuary 15, 2017No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    भारतीय संस्कृति में साड़ी ऐसा परिधान है, जो भारत के अधिकांश राज्यों में भिन्न तरह से ओढ़ा जाता है।

    चाहे वह दक्षिण में तमिलनाडु हो या पश्चिम का गुजरात या हो बनारसी साड़ी या फिर बंगाल की धोती; साड़ी को इन सभी राज्यों में उनके पर्व या त्योहारों के दिन पहना जाता है। इसे पारंपरिक वेशभूषा भी कहा जा सकता है ।

    देखा जाए, साड़ी भारतीयता का सूचक है जिसका अपना अलग इतिहास है। तो जानते है कि भारत में साड़ी का इतिहास क्या है ।

    साड़ी का इतिहास –

    1 – साड़ी का उल्लेख वेदों में मिलता है। यजुर्वेद में साड़ी शब्द का सबसे पहले उल्लेख मिलता है। दुसरी तरफ ऋग्वेद की संहिता के अनुसार यज्ञ या हवन के समय स्त्री को साड़ी पहनने का विधान भी है।

    2 – साड़ी विश्व की सबसे लंबी और पुराने परिधानों में एक है। इसकी लंबाई सभी परिधानों से अधिक है

    3 – भारतीय साड़ी का उल्लेख पौराणिक ग्रंथ महाभारत में भी मिलता है जहां, साड़ी को आत्मरक्षा का प्रतीक माना गया था। महाभारत के अनुसार जब दुर्योधन ने द्रौपदी को जीतकर उसकी अस्मिता को सार्वजनिक चुनौती दी थी। तब श्रीकृष्ण ने साड़ी की लंबाई बढ़ाकर द्रौपदी की रक्षी की थी।

    4 – यदि देखें साड़ी प्राचीन काल से चली आ रही है। जिसमें रीति रिवाज के अनुसार साड़ी पहनी जाती है। विवाहित महिला जहां रंगीन साड़ी पहनती है वहीं विधवा महिलाएं सफेद रंग की साड़ी पहनती हैं। इसके अलावा साड़ी मे समय के अनुसार परिवर्तन हुए हैं। जो अब डिजाइनर साड़ी में देख सकते हैं। अब विवाहित महिला डिजाइनर साड़ी पहनती हैं वहीं सफेद रंग के डिजाइनर साड़ियों से मार्किट भरा है।

    5 – साड़ी की संस्कृती के साथ ही इसको पहनने के भी कई तरीके हैं। या कहें भौगोलिकता के अनुसार साड़ी को भिन्न तरीके से पहना जाता है। उत्तरभारत मे साड़ी का पल्ला पीछे व आगे से लिया जाता है। वहीं गुजरात में साड़ी का पल्ली आगे से लिया जाता है। दक्षिण में साड़ी का एक अलग तरीका देखा जाता है। वहां महिलाएं लंबी स्कर्ट रूपी वस्त्र पहनकर साथ ही चुन्नी ओढ़ती है। साथ ही महाराष्ट्र में धोती की रूप मे साड़ी को पहना जाता है।

    6 – साडियों के भौगोलिक स्थिति के अलावा, भारत के हर राज्य में साड़ी को अलग नाम से पहचाना जाता है। जिसमें मध्य प्रदेश की चंदेरी, महेश्वरी, मधुबनी छपाई, असम की मूंगा रशम, उड़ीसा की बोमकई, राजस्थान की बंधेज, गुजरात की गठोडा, पटौला, बिहार की तसर, काथा, छत्तीसगढ़ी कोसा रशम, दिल्ली की रशमी साड़ियां, झारखंडी कोसा रशम, महाराष्ट्र की पैथानी, तमिलनाडु की कांजीवरम, बनारसी साड़ियां, उत्तर प्रदेश की तांची, जामदानी, जामवर एवं पश्चिम बंगाल की बालूछरी एवं कांथा टंगैल आदि प्रसिद्ध साड़ियाँ हैं।

    ये है साड़ी का इतिहास – इस तरह से देखा जाए, भारत में साड़ी का इतिहास अलग ही है, जिसमें भारतीय संस्कृति व परंपरा का संगम देखा जा सकता है और यह संगम पौरणिक काल से वर्तमान समय तक बना हुआ है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleहाई प्रोफाइल: होटल में पहुंची पुलिस तो देख कर दंग रह गई !
    Next Article पटना नाव हादसा : रेसक्यू ऑपरेशन खत्म, 24 की मौत
    आजाद सिपाही
    • Website
    • Facebook

    Related Posts

    मंगलवार शाम आसमान में दिखेगा अद्भुत नजारा, दो ग्रहों-दो तारों के साथ होगा चांद का मिलन

    May 22, 2023

    44000 kmph से ज्यादा स्पीड पर धरती के पास आ रहा 31 फीट का चट्टानी गोला

    May 11, 2023

    (रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की पुण्यतिथि पर विशेष) सिंहासन खाली करो कि जनता आती है…

    April 23, 2023
    Add A Comment

    Comments are closed.

    Recent Posts
    • मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला हालात का जायजा लेने जम्मू पहुंचे
    • सांबा जिले में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर एक बड़ी घुसपैठ की कोशिश नाकाम
    • अमृतसर से जम्मू, पठानकोट से भुज तक पाकिस्तान के हमलों को नाकाम किया ‘सुदर्शन चक्र’ ने
    • दिल्ली में इंडिया गेट को खाली कराया गया, सुरक्षा को लेकर लिया गया फैसला
    • पाकिस्तान का जम्मू, राजस्थान और पंजाब पर हमला:सुसाइड ड्रोन्स और मिसाइलें दागीं, S-400 ने सभी को मार गिराया; बॉर्डर इलाकों में ब्लैकआउट
    Read ePaper

    City Edition

    Follow up on twitter
    Tweets by azad_sipahi
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Go to mobile version