रांची: शनिवार को झारखंड विधानसभा के अंदर उस वक्त सन्नाटा पसर गया, जब मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव को खुली चुनौती दे डाली। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुंह मत खुलवाइए, मुझे सब पता है कि किसने क्या-क्या किया है। आपने मंत्री रहते कंबल ओढ़कर खूब घी पीया है। इस पर विधायक प्रदीप यादव भी बिदक गये, पर मुख्यमंत्री इतने में ही चुप नहीं हुए। उन्होंने कहा कि 1995 के बाद किसने कितनी संपत्ति बनायी, जांच करा लें। किसने कितनी जमीन खरीदी है, इसकी भी जांच करा ली जाये, दूध का दूध, पानी का पानी हो जायेगा। मुख्यमंत्री बजट पर चर्चा के दौरान प्रदीप यादव की टिप्पणी से काफी नाराज दिखे। शनिवार को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान दूसरी पाली में मुख्यमंत्री रघुवर दास बजट परिचर्चा के दौरान बजट के समर्थन में अपनी बातें रख रहे थे। इसी बीच में प्रदीप यादव ने टिप्पणी कर डाली थी। इसके बाद ही भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर दोनों के बीच तीखी नोकझोंक हो गयी।

सदन के अंदर के आचरण का चुनाव पर पड़ता है असर
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायकों को सदन की कार्यवाही को गंभीरता से लेना चाहिए। उन्हें सदन की गरिमा का भी ख्याल रखना चाहिए। कभी-कभार उत्तेजना ठीक है, लेकिन बार-बार सदन को बाधित करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि सदन की बातें जनता के बीच जाती हैं। जनता को यह नहीं लगना चाहिए कि उनके चुने हुए प्रतिनिधि अच्छा काम नहीं कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन के अंदर विधायकों के आचरण का असर चुनाव परिणाम पर भी पड़ता है। जनता सदन में अपने प्रतिनिधियों का व्यवहार भी देखती है। शायद यही कारण है कि हर बार चुनाव में कई सिटिंग विधायक चुनाव हार जाते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि दावे के साथ कह सकता हूं कि दो साल में कोई अधिकारी भ्रष्टाचार में नहीं लिप्त हुआ है। सरकार ने आइटी का प्रयोग कर बिचौलिया और भ्रष्टाचार को दूर करने का काम किया है।

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