रांची: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि कांग्रेस, झाविमो सहित अन्य विपक्षी दल सदन चलाना चाहते हैं, लेकिन झामुमो नहीं चाहता है कि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चले। झामुमो ने सदन को राजनीति का अखाड़ा बना कर रख दिया है। मुख्यमंत्री सोमवार को विधानसभा परिसर में लगे स्वास्थ्य कैंप का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे।
हिंसा फैलाने की साजिश रची गयी
सीएम ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी और स्थानीयता के मुद्दे पर झामुमो ने दो बार राज्य में बंदी कराकर अशांति फैलाने का काम किया है। दुमका और रांची में इस बात को बखूबी देखा गया कि किस प्रकार अहिंसा फैलाने की साजिश रची गयी। दुमका में तो कॉलेज के छात्रों को माध्यम बनाया गया। सीएम ने कहा कि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने पर विपक्ष को समस्याओं का जवाब सुनने को मिलता है। ये लोग मैदान छोड़कर भाग जा रहे हैं। हम सशक्त विपक्ष चाहते हैं।
…इसीलिए चुनाव बाद दिखते हैं नये चेहरे
सीएम ने कहा कि जो भी विधायक चुन कर आते हैं, उनकी पहली जिम्मेदारी जनता और क्षेत्र के प्रति होती है। अगर वे अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं, तो लोग चुनाव के समय जवाब देते हैं। यही कारण है कि हर चुनाव के बाद अधिकांश नये चेहरे सदन में दिखते हैं। अगर जनप्रतिनिधि जिम्मेदारियों को नहीं समझेंगे, तो चुनाव के समय जनता सबक सिखला देती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन को इस तरह बाधित नहीं करना चाहिए। जनता सब कुछ समझ रही है।
चित भी मेरी, पट भी मेरी की नीति नहीं चलेगी
अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान विपक्ष के हंगामे पर रघुवर दास ने कहा कि विपक्ष की दोहरी नीति नहीं चलेगी। चित भी मेरी और पट भी मेरी, ऐसा बिल्कुल नहीं चलेगा। उन्होंने झामुमो की ओर इशारा करते हुए कहा कि आपके ही अधूरे काम को पूरा कर रहे हैं।
हमें सिखाने की जरूरत नहीं: हेमंत
प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री की बातों का जवाब देते हुए कहा कि झामुमो विपक्ष के रूप में अपनी भूमिका जानता है। हमें मुख्यमंत्री से सीख लेने की जरूरत नहीं है। सीएम हमें डिक्टेट ना करें। झामुमो जानता है उसकी भूमिका क्या है। हम राजनीतिक स्कूल मान कर ही आते हैं। इसे अखाड़ा कहें या स्कूल, ये तो शब्दों के चयन पर निर्भर है।
क्या कहा प्रदीप ने
हंगामे के कारण सदन स्थगित होने के बाद झाविमो विधायक प्रदीप यादव ने बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि झामुमो विपक्ष की भूमिका से न्याय नहीं कर रहा। सीएम और झामुमो मिलीभगत कर सदन को नहीं चलने दे रहे हैं। एक मुद्दे को लेकर सदन को रोज-रोज बाधित किया जा रहा है। यह झामुमो के गुरूर और घमंड को दर्शाता है।