रांची: झारखंड विधानसभा ने गुरुवार को बहुमत से प्रस्ताव पारित कर चार विधायकों को सस्पेंड कर दिया है। इसमें झामुमो विधायक अमित महतो, शशिभूषण सामद, पौलुस सुरीन और कांग्रेस के इरफान अंसारी शामिल हैं। विधायकों को 31 मार्च-2017 तक के लिए सस्पेंड कर दिया गया है। इस अवधि में वे वेतन, भत्ता सहित सभी सुविधाओं से वंचित रहेंगे। इन्हें शीतकालीन सत्र में सदन में हंगामा करने के कारण विधानसभा की सदाचार समिति की अनुशंसा के आधार पर सस्पेंड किया गया है। इन विधायकों ने 23 नवंबर-2016 को सदन में हंगामा किया था। एक्ट का विरोध करते हुए सारी मर्यादाएं लांघ दी थीं। सदन में सदाचार समिति के द्वारा लाया गया निलंबन प्रस्ताव बहुमत के साथ पास हुआ। सत्ता पक्ष के विधायकों ने मेज थपथपा कर फैसले का स्वागत किया।
सभापति बोले- संसदीय इतिहास को कलंकित किया : इस संबंध में झारखंड विधानसभा की सदाचार एवं विधायक निधि अनुश्रवण समिति के सभापति सत्येंद्रनाथ तिवारी के नाम से एक बयान जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि 23 नवंबर 2016 को कई सदस्यों ने अमर्यादित आचरण, असंसदीय भाषा का प्रयोग एवं विधानसभा अध्यक्ष पर स्प्रे का छिड़काव किया था। माइक एवं उपस्कर तोड़ कर सभाध्यक्ष पर उससे प्रहार किया था। सदाचार समिति के सभापति के अनुसार उन लोगों ने संसदीय इतिहास को कलंकित किया था।
झारखंड के चार विधायकों (अमित महतो, इरफान अंसारी, शशिभूषण सामद और पौलुस सुरीन) के निलंबन के फैसले पर झाविमो विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि लोकतंत्र के लिए आज का निर्णय काला धब्बा की तरह है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के इशारे पर सदाचार समिति ने यह निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा था कि इस बार सदन चलेगा, लेकिन सरकार विधानसभा नहीं चलने देना चाहती है। शुक्रवार से सदन के अंदर विपक्ष के विरोध का स्वर दिखेगा।
ऐसे तैयार हुआ कार्रवाई का खाका
इस संबंध में विधायक डॉ जीतू चरण राम ने हंगामा के दूसरे दिन 24 नवंबर को लिखित शिकायत की थी। विधायक डॉ जीतू चरण राम ने अपनी शिकायत विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव को सौंपी थी। स्पीकर ने इस शिकायत को सदाचार समिति को सौंप दिया था। समिति ने इन विधायकों को दो-दो बार अपना पक्ष रखने का मौका दिया। विधायकों ने अपने जवाब में कहा कि अशोभनीय आचरण के लिए उनके मन को कोई पश्चाताप नहीं है।
कांग्रेस विधायक ने भी दी सहमति
सदाचार कमेटी के अध्यक्ष सत्येंद्रनाथ तिवारी के अलावा भाजपा विधायक रामकुमार पाहन, शिवशंकर उरांव और हरिकृष्ण सिंह के अलावा कांग्रेस के विधायक देवेंद्र सिंह भी शामिल थे। देवेंद्र सिंह ने भी विधायकों को निलंबित करने के आदेश पर अपनी सहमति दी थी। इस तरह उनके समर्थन से उनकी ही पार्टी के विधायक निलंबित हो गये। विधानसभा परिसर में पत्रकारों के सवाल से देवेंद्र सिंह बुरी तरह से घिर गये। देवेंद्र ने कहा कि सदाचार समिति का सदस्य होने के नाते उन्होंने हस्ताक्षर किया।
विधायकों को अपना पक्ष रखने का तीन बार दिया गया था मौका : सत्येंद्रनाथ तिवारी
सदाचार कमेटी के अध्यक्ष सत्येंद्रनाथ तिवारी ने कहा कि चारों विधायकों ने 23 नवंबर 2016 को सदन की गरिमा को शर्मसार किया। सदन की गरिमा को तार-तार करनेवाले इन विधायकों को उनका पक्ष रखने का मौका दिया गया। समिति ने उन्हें तीन बार बुलाया, लेकिन उन्होंने समिति को हल्के में लिया। फिर से कोई लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश न करे, इसलिए कमेटी ने सर्वसम्मति से चारों विधायकों को सस्पेंड करने का फैसला लिया।
निलंबित होनेवाले विधायकों का ब्योरा
-शशिभूषण सामद : चक्रधरपुर से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं।
-पौलुस सुरीन : तोरपा से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं।
-अमित महतो : सिल्ली से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं।
-इरफान अंसारी : जामताड़ा से कांग्रेस के विधायक हैं।