रांची: झारखंड के खेल एवं भूमि सुधार तथा राजस्व मंत्री अमर बाउरी की सूझबूझ से विधायकों-सांसदों से ठगी करनेवाले दो शातिरों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इनमें संजय तिवारी (फैजाबाद, उत्तर प्रदेश) और उसका सहयोगी गौरव शामिल है। दोनों की गिरफ्तारी दिल्ली क्राइम ब्रांच ने की है। शनिवार को झारखंड विधानसभा में सदन के बाहर मंत्री बाउरी ने पत्रकारों को बताया कि संजय तिवारी खुद को भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव बताकर दिल्ली स्थित झारखंड भवन में उनसे मिला था। दोनों ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का नाम यूपी चुनाव में मदद के लिए पार्टी फंड में राशि देने को कहा था। उन्होंने भाजपा नेता राम मोहन से मंत्री बाउरी की बात तक करायी थी।
ऐसे दबोचा गया दलालों को
इससे पूर्व जब वह गुजरात में थे तो उनके नंबर और पीए सुशांत के नंबर पर 20 जनवरी को फोन कर पार्टी के नाम पर उन्होंने पैसे मांगे थे। इसके बाद दिल्ली आने पर फिर उनसे फोन पर भाजपा नेता राम मोहन का नाम लेकर पैसे की मांग की गयी। इसके बाद उनका माथा ठनका। तब वह स्वयं राम मोहन से दिल्ली कार्यालय में मिले। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। इन फर्जी दलालों को पकड़वायें। फिर उनके पीए सुशांत ने झारखंड भवन के सीइओ से इसकी शिकायत की थी। सीइओ ने मामले को दिल्ली क्राइम ब्रांच को सौंपा था। इसके बाद जब फोन आया, तो मंत्री बाउरी ने उन्हें झारखंड भवन बुला लिया। तब तरुण नामक एक युवक झारखंड भवन पहुंचा, जहां क्राइम ब्रांच ने उसे गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उसकी गिरफ्तारी गुप्त रखी गयी। फिर जब फोन आया, तो मंत्री ने कहा कि उक्त युवक को दो लाख रुपये दे दिये गये हैं।
इसके बाद मंत्री वापस रांची लौट आये, लेकिन फिर 24 जनवरी को भी मंत्री को फोन कर जल्द से जल्द पैसा देने की मांग की गयी, तब कॉल ट्रेस के आधार पर दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने संजय और गौरव को को दबोच लिया।
नॉर्थ-ईस्ट के नेता ज्यादा बनते हैं शिकार
मंत्री बाउरी ने बताया कि ये दलाल नार्थ-इस्ट के नेताओं को ज्यादा शिकार बनाते हैं। गिरफ्तार संजय ने बताया कि उसने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती का भी स्टिंग किया था।
2005 से कर रहा ठगी
दिल्ली क्राइम ब्रांच से मिली जानकारी के मुताबिक संजय तिवारी और गौरव शातिर हैं और 2005 से ही ठगी कर पैसे बना रहे हैं। दोनों स्टिंग करने के अलावा बड़े नेताओं के नाम की धमकी देकर पार्टी फंड में पैसा देने के अलावा अन्य स्रोतों से भी पैसे की डिमांड करते थे। इसके शिकार हुए लोगों की फेहरिस्त लंबी बतायी जा रही है। दिल्ली क्राइम ब्रांच के खुलासे के बाद मामला साफ होगा।