नई दिल्ली: मोदी सरकार ने राजधानी के लुटियंस जोन में कांग्रेस के कब्जे वाली चार में से तीन संपत्तियों को वापस लेने की कवायद शुरू कर दी है। कांग्रेस को 24 अकबर रोड स्थित मुख्यालय को खाली करने के लिए अक्टूबर तक का समय दिया जा सकता है। आवास एवं नगरीय मामलों के मंत्रालय ने कैबिनेट कमिटी ऑन अकॉमडेशन (सीसीए) के पास एक नोट भेजकर कांग्रेस को तुरंत तीन संपत्तियां 24 अकबर रोड जिसमें सेवा दल का कार्यालय है, 5 रायसीना रोड जिसमें युवा कांग्रेस का कार्यालय है और 109 चाणक्यपुरी से अपने कार्यालय हटाने को कहा है।
नोट में कहा गया है कि कांग्रेस को 24 अकबर रोड की प्रॉपर्टी खाली करने के लिए अक्टूबर तक का समय दिया जाएगा। यहां कांग्रेस का 1976 से मुख्यालय है। जनवरी 2015 में तत्कालीन अर्बन डिवेलपमेंट मिनिस्ट्री के तहत आने वाले डायरेक्टरेट ऑफ एस्टेट्स ने लुटियंस जोन में इन चारों प्रॉपर्टी का अलॉटमेंट रद्द करने का नोटिस भेजा था। राष्ट्रीय और राज्य स्तर के राजनीतिक दलों को जनरल पूल से सरकारी एकॉमोडेशन के अलॉटमेंट के नियमों के अनुसार, एक पार्टी को अपने कार्यालय के निर्माण के लिए तीन वर्ष का समय दिया जाता है।
इसके बाद बिल्डिंग को खाली करना होता है। कांग्रेस को पार्टी कार्यालय बनाने के लिए जून 2010 में 9-ए राउज एवेन्यू पर जमीन आवंटित की गई थी। सरकारी नीति के अनुसार, पार्टी को लीज पर मिले चार बंगले जून 2013 तक खाली करने थे। राउज एवेन्यू में कांग्रेस के मुख्यालय के लिए बिल्डिंग प्लान को अनुमति नहीं मिली है। पार्टी ने लीज की अवधि बढ़ाने की मांग की है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि कांग्रेस ने राउज एवेन्यू में अपने कार्यालय की इमारत को पूरा करने के लिए अवधि बढ़ाने की मांग की थी। पार्टी को इसके लिए अक्टूबर 2018 तक का समय दिया गया है। कांग्रेस ने सभी चार प्रॉपर्टीज की लीज की अवधि बढ़ाने की मांग की है, लेकिन उसे केवल 24 अकबर रोड के मुख्यालय के लिए यह अनुमति दी जाएगी। सीसीए के फैसला करने पर अन्य तीन प्रॉपर्टीज को खाली करना होगा।’ सीसीए के पास भेजे गए नोट में इन संपत्तियों के लिए वसूले जाने वाले किराए के विवादास्पद मुद्दे का हल निकालने को भी कहा गया है। डायरेक्टरेट के जनवरी 2015 में नोटिस भेजने के बाद से कांग्रेस से कोई किराया नहीं लिया गया है, क्योंकि पार्टी की दलील थी कि उससे मार्केट रेट नहीं बल्कि स्पेशल लाइसेंस फीस ली जानी चाहिए। किराए को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने के कारण डायरेक्टरेट ने पार्टी से किराया नहीं लिया है। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने किराए को लेकर एक नर्म रुख अपनाया है और नोट में कहा गया है कि जिन तीन संपत्तियों को खाली किया जाना है उनके लिए एक विशेष लाइसेंस फीस ली जानी चाहिए।