रांची। गुरुवार से शुरू हो रहे झारखंड विधानसभा की बजट सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए स्पीकर दिनेश उरांव ने मंगलवार को बैठक बुलायी थी। बैठक में कांग्रेस को छोड़कर विपक्ष के सभी दलों के विधायक दल ने नेता नदारत रहे। यह पहला मौका नहीं है जब विधायक दल के नेताओं ने स्पीकर के बुलावे पर आयोजित बैठक को नजरअंदाज किया हो। इससे पहले शीतकालीन सत्र के समय भी यह देखा गया था कि स्पीकर ने सत्र के संचालन को लेकर बैठक बुलायी थी और विधायक दल के नेता शामिल नहीं हुए थे। मंगलवार की बैठक में मुख्यमंत्री रघुवर दास, संसदीय कार्य मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, आजसू विधायक दल के नेता चंद्रप्रकाश चौधरी और कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में विधायक सुखदेव भगत ही शामिल हुए। प्रमुख विपक्षी पार्टी झामुमो और झाविमो के नेता इस बैठक में शामिल नहीं हुए। एक निर्धारित परंपरा के तहत सदन को व्यवस्थित तरीके से चलाने को लेकर हर सत्र से पहले स्पीकर के द्वारा विधायक दल के नेताओं की बैठक बुलायी जाती है।

यह परंपरा संसद से लेकर सभी विधानसभा में है। झारखंड की बिडंबना है कि स्पीकर द्वारा बुलायी गयी बैठक को भी विधायक दल के नेता तरजीह नहीं देते। चिंता की बात यह है कि विधायकों के लिए विधानसभा मंदिर है। जनता की समस्याओं को रखने का सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा है। इसके बाद भी लगातार दल के नेताओं के द्वारा बैठक में शामिल नहीं होना एक तरह से विधानसभा का उपहास उड़ाने जैसा है। हालांकि संसदीय कार्य मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा नेताओं के बैठक में नहीं पहुंचने पर बचाव करते हुए कहते हैं कि पर्व होने के कारण नेताओं की उपस्थिति कम थी।
बजट सत्र से पहले विधायक दल की बैठक में प्रमुख विपक्षी दल जेएमएम और झाविमो के शामिल नहीं होने से कहीं न कहीं एक बार फिर सत्र के दौरान हंगामे की स्थिति बनने के आसार हैं। जेएमएम, जेवीएम और छोटे राजनीतिक दल की तरफ से किसी प्रतिनिधि के शामिल नहीं होने के सवाल पर संसदीय कार्य मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा है कि हेमंत सोरेन अपनी संघर्ष यात्रा के दौरान बाहर हैं। इस वजह से हो सकता है वह शामिल नहीं हो पाये।

वहीं अन्य विपक्षी दल के लोग पर्व त्योहार में व्यस्तता के कारण नहीं आ पाये। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि सत्र सुचारू रूप से नहीं चल पायेगा। बल्कि विपक्ष की ओर से कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत शामिल हुए। सभी के बीच सत्र को सुचारू रूप से सदन चलाये जाने पर सहमति बनी। उन्होंने कहा कि 17 जनवरी से आठ फरवरी तक सत्र का लंबा समय है। इसमें 15 कार्य दिवस होंगे और उसमें सभी को अपनी बातों को रखने का मौका मिलेगा।

वहीं कांग्रेस के विधायक सुखदेव भगत ने इस बैठक में शामिल होकर अपनी राय विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष रखी है। उन्होंने जेएमएम समेत अन्य विपक्षी दलों के प्रतिनिधि के नदारद होने के सवाल पर कहा कि सत्र से पहले विधायक दल के नेताओं की बैठक सत्र को सुचारू रूप से चलाये जाने के लिए बुलायी जाती है, ऐसे में इन्हें अपने प्रतिनिधि को भेजना चाहिए था।

2016 से नहीं चली सदन की कार्यवाही
वर्ष 2016 से लगातार झारखंड विधानसभा की कार्यवाही बाधित रही है। इन तीन वर्षों में बजट पारित हुए, दर्जनों विधेयक भी पारित हुए लेकिन जनता की समस्या सदन में नहीं आ पायी। कह सकते हैं कि जनता की सबसे बड़ी पंचायत में जनता की समस्या गौण रही। पिछले बजट सत्र को ही देखा जाये, तो पांच दिन पहले ही सदन की कार्यवाही समाप्त हो गयी। किसी भी विभाग के अनुदान मांगों पर सदन में चर्चा नहीं हो पायी।

जो स्थिति देखने को मिल रही है उसे देखकर यही लगता है कि इस बार भी बजट सत्र में सबकुछ होगा, नहीं हो पायेगी तो जनता की बातें। इसपर कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत ने दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले तीन वर्षों से जिस तरह से जनता के बातें सदन में नहीं आ रही हं उससे जनता का विश्वास लोकतंत्र के प्रति कमजोर होगा। उन्होंने कहा कि सदन में प्रश्नकाल को बाधित करना जनता की आवाज को गम करने जैसा है और इसपर लगाम लगे। कहा कि मेरे जैसे व्यक्ति का मानना है कि चर्चा से ही समस्या का समाधान हो सकता है और यह तभी होगा, जब सदन व्यवस्थित रहेगा। मालूम हो कि कई बार स्पीकर ने भी सदन में हंगामे को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है।

बैनर-पोस्टर लेकर आना सदन की गरिमा के खिलाफ : स्पीकर
बैठक में स्पीकर दिनेश उरांव ने कहा कि यह देखा जा रहा है कि विधायक सदन में बैनर-पोस्टर, स्लोगन, नारा लिखी हुई कमीज या टीशर्ट पहनकर आ जाते हैं। यह संसदीय परंपरा और सदन की गरिमा के खिलाफ है। इन विषयों पर सभी दलों के नेताओं को ध्यान रखना चाहिए ताकि सदन की गरिमा बनी रहे। इसी क्रम में कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत ने कहा कि संसदीय परंपरा के दायरे में मुद्दों को उठाना एवं दर्ज करना ठीक है। उन्होंने कहा कि यह देखा जा रहा है कि विधानसभा भवन के मुख्य द्वार पर विधायकों के धरना देने की परंपरा बन गयी है। यह भी उचित नहीं है। इसपर स्पीकर दिनेश उरांव और मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि इसे कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में लाया जाये, ताकि इसपर विस्तृत चर्चा हो सके।

पदाधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक
विधानसभा के बजट सत्र को लेकर स्पीकर दिनेश उरांव ने राज्य सरकार के पदाधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। उन्होंने पदाधिकारियों को सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने को कहा। साथ ही वाह्य व्यक्तियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का भी निर्देश दिया। स्पीकर ने अधिकारियों को हर हाल में अल्पसूचित और तारांकित प्रश्न के लिखित उत्तर एक दिन पहले सभा सचिवालय को उपलब्ध करने को कहा। मीडिया से बात करते हुए स्पीकर ने कहा कि औसतन 67 प्रतिशत प्रश्नों के उत्तर आॅनलाइन उपलब्ध हो रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि शत-प्रतिशत आॅनलाइन जवाब उपलब्ध करने की व्यवस्था की जाये। स्पीकर ने कहा कि लंबित आश्वासनों की संख्या 1731 है, लंबित शून्यकाल की संख्या 873, लंबित निवेदन की संख्या 352 एवं लंबित ध्यानाकर्षणों की संख्या 14 है। अधिकारी इसका निपटारा शीघ्र करें।

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