नयी दिल्ली। केंद्र सरकार के कमजोर सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण विधेयक को लोकसभा ने मंगलवार को पास कर दिया। अब इसे बुधवार को राज्यसभा में पेश किया जायेगा, जहां सरकार की असली परीक्षा होगी। इस विधेयक को केंद्रीय सामाजिक अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने सदन में पेश किया। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था का लाभ इसाइयों और मुस्लिमों को भी मिलेगा। गरीब सवर्णों को आरक्षण का प्रावधान करनेवाले 124वें संविधान संशोधन विधेयक पर लोकसभा में शाम पांच बजे बहस शुरू हुई। लंबी चर्चा के बाद सदन ने इसे पारित कर दिया।
प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होने से पहले सत्ता पक्ष की ओर से सभी दलों से बातचीत की गयी। बड़े वोट बैंक से जुड़ा मुद्दा होने के कारण प्रमुख विपक्षी दलों ने संशोधन विधेयक का सीधे तौर पर विरोध नहीं किया। बसपा प्रमुख मायावती ने बिल के पक्ष में अपना खुला समर्थन तो दिया, लेकिन साथ ही भाजपा पर चुनावी स्टंट का तंज भी किया। सपा ने भी बिल का समर्थन किया।
मायावती ने किया खुला समर्थन
मायावती ने तंज के साथ बिल को संसद में समर्थन की बात कही। मायावती ने कहा कि देश में गरीब सवर्णों को भी आरक्षण की सुविधा देने की बसपा की वर्षों से लंबित मांग को आधे-अधूरे मन और अपरिपक्व तरीके से स्वीकार किया गया है। इसके बावजूद वह इसका स्वागत करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार यह फैसला पहले करती, तो बेहतर होता। समाजवादी पार्टी नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि ओबीसी के लिए भी आबादी के हिसाब से आरक्षण होना चाहिए था। सरकार इस लक्ष्मण रेखा (50% आरक्षण सीमा) को पार कर रही है, तो ओबीसी को उनकी आबादी के हिसाब से 54% आरक्षण होना चाहिए। इस संविधान संशोधन विधेयक को पारित कराने के लिए सत्ता पक्ष की ओर से पूरी तैयारी की गयी है। इसे राज्यसभा से भी पास कराने के लिए ऊपरी सदन का सत्र भी एक दिन, यानी नौ जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया।
प्राइवेट सेक्टर में हो 60 फीसदी आरक्षण : लोजपा
लोजपा के रामविलास पासवान ने कहा कि देश में एससी-एसटी से नफरत की जाती है। उन्होंने कहा कि सब चाहते हैं कि देश में शांति रहे। सरकारी नौकरी धीरे-धीरे कम हो रही है, लेकिन इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार नहीं है। प्राइवेट सेक्टर में भी 60 फीसदी आरक्षण होना चाहिए। भारतीय न्यायिक सेवा में भी आरक्षण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऊंची जाति के गरीबों के आरक्षण का फैसला सही है। हम सभी के समान अवसर की बात करते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि सवर्ण आर्थिक रूप से कमजोर हुए हैं। रामविलास ने कहा कि बिल में शब्द कम हैं, जबकि लाभ बहुत बड़े हैं। उन्होंने कहा कि सवर्ण को 10 प्रतिशत आरक्षण मिलने से खुशी है।
पिछड़ों को 85 फीसदी आरक्षण मिले : राजद
राजद के जयप्रकाश यादव ने कहा कि पिछड़ों को 85 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर 85 फीसदी आरक्षण नहीं मिला, तो सड़क से संसद तक लड़ेंगे। उन्होंने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह चुनाव के लिए शिकारी की तरह जाल बिछाया गया है। समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि अवसरों की समानता देश में जरूरी है। उन्होंने इस बिल का समर्थन करते हुए कहा कि आबादी के अनुपात में आरक्षण मिलना चाहिए।
खुले दिल से कीजिए समर्थन : जेटली
चर्चा के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जाति को बदलना संभव नहीं है। इसमें 50% का दायरा सामाजिक पिछड़ों के लिए है। संसद से 50% का दायरा बढ़ सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर समर्थन कर रहे हैं, तो खुले दिल से कीजिए। समर्थन के साथ शिकवा शिकायत न करें। उन्होंने कहा कि सभी जाति के आधार पर और इस बिल में आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया गया है। हर नागरिक को अवसर देने की जरूरत है। संविधान में सबकी समानता की बात कही गयी है। बिल से सभी की बराबरी का प्रयास किया गया है।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने सही कोशिशें नहीं कीं। सभी दलों ने घोषणापत्र में अनारक्षित आरक्षण की बात की थी। सवर्ण आरक्षण पर अब तक सही प्रयास नहीं हुए। चर्चा की शुरुआत करते हुए केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि सामान्य वर्ग के लोगों के लिए ऐतिहासिक फैसले की जरूरत है। इन्हें आरक्षण की जरूरत है। हमने जो किया वह आगे भी करेंगे। निजी संस्थानों में भी आरक्षण प्रस्तावित है। पीएम ने सबका साथ सबका विकास किया। गरीब सवर्णों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश की गयी है।