रांची। राज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों में घटिया मोबाइल सप्लाई की जांच मुख्य सचिव करेंगे। गुरुवार को विधानसभा की कार्यवाही के दौरान स्पीकर दिनेश उरांव ने इस बाबत नियमन दिया। साथ ही कहा कि सीएस पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट चलते सत्र में दें। अध्यक्ष के नियमन के बाद सीएम ने कुछ कहने की इच्छा जतायी, लेकिन अध्यक्ष दिनेश उरांव ने साफ तौर से उन्हें कुछ भी कहने से मना कर दिया। कहा कि नहीं आप अब नहीं बोल सकते, बोलना था तो नियमन के पहले बोलते।
दरअसल, झाविमो के प्रदीप यादव ने खराब मोबाइल आपूर्ति करनेवाली कंपनी के खिलाफ कार्रवाई और प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की। कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार मुक्त झारखंड की बात करती है, तो इस मामले में क्यों नहीं प्राथमिकी दर्ज की जा रही है। कहा कि दो वर्ष पहले ही तीन करोड़ खर्च कर आंगनबाड़ी सेविकाओं को मोबाइल दिया गया था। उसमें से ज्यादातर मोबाइल खराब हो गये हैं और आधे मोबाइल बांटे ही नहीं गये। दो साल में तकनीक काफी बदल गयी और अब नयी तकनीक के मोबाइल की आवश्यकता है, इसलिए पुरानी कंपनी से राशि वसूली जाये और उस पर प्राथमिकी दर्ज किया जाये।
मोबाइल रिप्लेस करने का दिया गया है निर्देश
इससे पहले कल्याण मंत्री लुइस मरांडी ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा कि दो वर्ष पहले केंद्र सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्र की सेविकाओं को स्मार्टफोन उपलब्ध कराया था। उसे वितरित किया गया था, लेकिन कुछ खराब मोबाइल फोन अभी पड़े हुए हैं। मोबाइल फोन की खरीदारी भारत सरकार के माध्यम से की गयी थी। मोबाइल खराब हो जाने के बाद विभाग की ओर से संबंधित कंपनी को खराब मोबाइल को रिप्लेस करने का निर्देश दिया गया है। 10 दिनों के अंदर मोबाइल फोन रिप्लेस नहीं किये जाने पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
सीएम ने कहा: केंद्र को कार्रवाई के लिए लिखा जा रहा पत्र
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हस्तक्षेप करते हुए बताया कि मोबाइल फोन खरीदारी मामले में भारत सरकार से पत्राचार किया जा रहा है। कारण यह योजना केंद्र सरकार की है। इस कारण कार्रवाई के लिए केंद्र को पत्र लिखा जा रहा है। बताया कि राज्य सरकार ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह केंद्र से किया है। उन्होंने कहा कि खराब मोबाइल को रिप्लेस किया जायेगा और बाकी बचे मोबाइल की खरीद होगी।
नियमन वापस नहीं लिया जा सकता
सीएम के जवाब देने के बाद मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने फिर से कहा कि जब सीएम का जवाब मामले पर आ गया है, तो मुख्य सचिव की जांच का क्या मतलब। इस पर अध्यक्ष ने साफ तौर से राधाकृष्ण किशोर को कहा कि एक बार नियमन आ गया है, उसे वापस नहीं लिया जा सकता है।