लखनऊ। अखिलेश यादव पर अवैध खनन और रीवर फ्रंट घोटाले पर शिकंजा कसने के बाद अब इडी ने मायावती को घेरे में लेना शुरू कर दिया है। ताजा घटनाक्रम में मायावती सरकार के कार्यकाल में कथित 14 अरब के स्मारक घोटाले में इडी ने बीएसपी चीफ के करीबियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। गुरुवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और एनसीआर के छह ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी हुई। इडी की टीम ने लखनऊ के गोमती नगर में इंजीनियरों, ठेकेदारों और स्मारक घोटाले से जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापा मारा।
सतर्कता अधिष्ठान ने 1400 करोड़ (14 अरब) के स्मारक घोटाले की जांच की थी। जांच के लिए विजिलेंस में सात इंस्पेक्टर की एक एसआइटी का भी गठन किया गया था। बताया जा रहा है कि विजिलेंस जांच की पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद ही इडी ने कार्रवाई शुरू की है।
आम चुनाव से पहले कसा शिकंजा
स्मारक घोटाले को लेकर मायावती पर शिकंजा कसने का संदेह पहले ही जताया गया था। पहले ही सूचना आयी थी कि चुनाव से पहले बीएसपी के दो पूर्व मंत्रियों और मायावती के करीबी रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा के जरिये मायावती पर शिकंजा कसा जा सकता है।
पिछली सरकार में हुई थी जांच : हालांकि जिस समाजवादी पार्टी के साथ बीएसपी सुप्रीमो ने हाथ मिलाया है। उसके ही कार्यकाल में स्मारक घोटाले की जांच विजिलेंस को सौंपी गयी थी। एसपी के ही कार्यकाल में स्मारक घोटाले में गोमती नगर में एफआइआर दर्ज करवायी गयी थी। हालांकि, शुरुआती तेजी के बाद मामले की जांच ठंडे बस्ते में चली गयी।
इडी ने भी साध रखी थी चुप्पी : इस मामले में इडी ने भी केस दर्ज किया लेकिन विजिलेंस की जांच आगे न बढ़ने के कारण आरोपियों के खिलाफ कोई चार्जशीट न होने के कारण इडी की जांच भी ठंडे बस्ते में चली गयी थी, विजिलेंस की जांच रिपोर्ट शासन को मिलने के बाद इडी की जांच में भी तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही थी।
मनी लांड्रिंग के मिले सबूत : विजिलेंस को जांच में स्मारक घोटाले के तहत मनी लांड्रिंग के सबूत मिले हैं। इन्हीं सबूतों को जुटाने के बाद इडी ने स्मारक घोटाले से जुड़ी फर्मों एवं निर्माण निगम इंजीनियरों समेत कइयों के ठिकाने खंगाले।
14 अरब के घोटाले का आरोप : इस मामले में हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी। इसमें अंबेडकर स्मारक परिवर्तन स्थल लखनऊ, मान्यवर कांशीराम स्मारक स्थल, गौतमबुद्ध उपवन, इको पार्क, नोएडा आंबेडकर पार्क, रामबाई आंबेडकर मैदान स्मृति उपवन के निर्माण में 14 अरब के घोटाले का आरोप लगाया गया था।