रांची। पांचवीं विधानसभा का पहला सत्र बुधवार को समाप्त हो गया। इसमें अनुपूरक बजट और राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया गया। धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बोले और खूब बोले। उन्होंने जिस बेबाकी से अपने संकल्प को दोहराया, कमियों की तरफ आइना दिखाया, वह विधानसभा में अब तक का सर्वश्रेष्ठ उद्गार कहा जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत राज्यपाल महोदय ने अपने अभिभाषण में सरकार की सोच एवं प्राथमिकताओं को संक्षेप रूप में सदन के माध्यम से जनता के सामने रखा। मुझे खुशी है कि झारखंड की जनता ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की गरीब जनता के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए हमें कुछ करने का एक अवसर दिया है। इस सदन के माध्यम से राज्य की सवा तीन करोड़ जनता को नमन करता हूं तथा इस विश्वास और भरोसे से उनके प्रति हार्दिक आभार प्रकट करता हूं।
मुख्यमंत्री ने कहा, पांच वर्षों तक विपक्ष का नेता रहना भी मेरे लिए एक सुखद और उपयोगी अनुभव रहा है। पिछले पांच वर्षों में मैं लगातार जनता के संपर्क में रहा। उनके दुख-दर्द को जाना और दुख-दर्द के कारणों को समझने का प्रयास भी किया। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मौलिक सुविधाओं और अधिकारों से जनता की दूरी ने मुझे यह एहसास कराया कि एक राजनेता के रूप में हम और हमारे राजनीतिक सहयोगी दुखद रूप से विफल रहे हैं। अपनी जनता से उनका अधिकार दिलाने का हमने वादा किया। जनता ने भी मेरी बातों पर भरोसा किया और अपना आशीर्वाद मुझे दिया है। आज स्पष्ट बहुमत के साथ गठबंधन की सरकार बनाने का अवसर मिला है। मैं यह दृढ़ता के साथ कहना चाहता हूं कि मैं यहां मुख्यमंत्री के रूप में नहीं, बल्कि शोषण के विरुद्ध संघर्ष और शहादत के प्रतीक चिह्न के रूप में खड़ा हूं।
हेमंत ने कहा, झारखंड आंदोलनकारियों के सपनों को साकार करने, झारखंडियों को उनका अधिकार दिलाने तथा वंचित, गरीबों, आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों, युवाओं और महिलाओं की उम्मीदों पर खरा उतरने की चुनौती सिर्फ सरकार के सामने ही नहीं, बल्कि इस सदन के सामने भी है।
सीएम ने कहा, सदन के सामने जन आकांक्षाओं पर खरा उतरने की भी चुनौती है। मैं गत विधानसभा लगातार कहता रहा हूं कि संख्या बल के आधार पर जन भावनाओं को नहीं रौंदा जाये, दबे-कुचले, वंचितों, गरीबों और आदिवासियों के अधिकारों को नहीं छिना जाये। उनके संवैधानिक सुरक्षा कवचों पर हमला नहीं किया जाये, लेकिन वह सुननेवाली सरकार नहीं थी।
हेमंत ने कहा, अब जनता ने एक सुननेवाली सरकार चुनी है। हम सबकी सुनेंगे। पक्ष का भी, विपक्ष का भी। आसन का भी, मीडिया का भी। विद्वानों का भी, सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी। युवाओं का भी, बुजुर्गों का भी। यह सुननेवाली सरकार है। मैं समाज के तमाम वर्गों से, राज्य और देश के तमाम नियामक संस्थाओं से, विद्वानों और गैर सरकारी संस्थाओं से, लोकतंत्र के प्रहरी मीडिया संस्थाओं स्वस्थ्य एवं सकारात्मक आलोचनाओं को आमंत्रित करता हूं।
मुख्यमंत्री ने कहा, मेरे लिए आलोचनाएं वो आइना होगी, जिसमें सरकार अपना चेहरा साफ-साफ देख सकेगी। लक्ष्यों से भटकाव को भांप सकेगी। अपनी गलतियों को समय रहते पहचान सकेगी और खुद में सुधार करेगी। मैं विचारों और आलोचनाओं के स्वच्छंद पक्षी को सत्ता के पिंजड़े में कैद नहीं करूंगा। जब कोई संघर्ष से तप कर निकलता है, तो वह एक बेशकीमती संपत्ति अर्जित करता है और वह है उसका आत्मबल। आज मैं पूरे आत्मबल के साथ सकारात्मक आलोचनाओं को स्वीकार करने तथा खुद में सुधार करने की इच्छाशक्ति के साथ सदन में खड़ा हूं।
हेमंत सोरेन ने कहा, मुझे खुशी है कि आज मैं जिस सदन के नेता के रूप में खड़ा हूं, उस सदन में राज्य के कई विद्वान और अनुभवी राजनेता माननीय सदस्य के रूप में मौजूद हैं। मैं गौरव के साथ कहता हूं कि यह सदन अनुभव और युवा ऊर्जा का अद्भुत संगम है और उनमें समन्वय करना मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। लेकिन अपने अनुभवी, योग्य एवं संवेदनशील सहयोगियों के आशीर्वाद, सहयोग और मार्गदर्शन से हमारी सरकार एक ऐसी लकीर खींच पाने में सफल होगी, जो गरीबों की तकदीर को नये तरीके से लिखेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, हमारी सरकार संरचना निर्माण आधारित विकास नहीं, बल्कि व्यक्ति निर्माण आधारित विकास मॉडल पर काम करेगी। संरचना निर्माण आधारित विकास का लाभ गरीबों की झोंपड़ियों तक नहीं पहुंचता। नेता और अफसर की तिजोरी को भरनेवाली विकास की धारा को हम समाप्त करेंगे। हमारी सरकार की विकास धारा जरूरतमंदों, गरीबों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के दिल और दिमाग दोनों को सींचेगी।
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