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    Home»Top Story»आरोप लगा रहे हैं तो सच्चाई जांच लीजिए : सीपी
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    आरोप लगा रहे हैं तो सच्चाई जांच लीजिए : सीपी

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJanuary 11, 2020No Comments3 Mins Read
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    सवाल : मोमेंटम झारखंड में पूर्व सीएम सहित तात्कालीन मुख्य सचिव सहित अन्य विभागीय सचिवों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एसीबी से जांच की मांग की है। इसपर आप क्या कहना चाहते हैं।
    जवाब : देखिये झारखंड सरकार रघुवर दास की नेतृत्व में थी, तो मोमेंटम झारखंड का आयोजन हुआ था। कई उद्योगपति आये थे। उनके राज में नये-नये उद्योग लगे। नये-नये इंफ्रस्ट्रक्चर लगे। पैसे आये। इस तरह की कवायद होती रही। अब इसकी जांच एसीबी से करायें या सीबीआइ से या रिटायर्ड जज से कराइये या वर्तमान जज से कराइये। ये नयी सरकार पर निर्भर करता है, जिन्हें जनता ने जनादेश दिया है। आरोप लगाने वाले आरोप लगाते ही हैं। आरोप में कितनी सच्चाई है, ये जांच में पता चल जायेगा। लेकिन किसी भी तरह पूर्ववर्ती सरकार को बदनाम करने की कवायद हो रही है, तो ये नहीं होना चाहिए। अगर प्रथम दृष्टया में किसी तरह की गड़बड़ी दिखती है, तो जांच होनी चाहिए। इसमें जो भी दोषी हैं, कार्रवाई होनी चाहिए।

    सवाल : नयी सरकार के पहले सत्र में विधानसभा के अंदर सत्ता पक्ष की ओर से आवाज उठी कि पूर्व की सरकार द्वारा जितनी भी योजनाएं चलायीं गयी है, सभी की जांच होनी चाहिए।
    जवाब : ये देखना वर्तमान सरकार का काम है। गठबंधन दल में झामुमो, राजद और कांग्रेस को जनादेश मिला है। प्राथमिकताएं कौन सी होंगी, ये तय करना नयी सरकार का काम है। यदि उन्हें लगता है जांच कराना ही प्राथमिकता है, तो जांच करा लें। उन्हें कौन रोक सकता है, सत्ता उनके हाथ में है। पांच साल तक जांच कराते रहे। ये सभी अधिकार राज्य सरकार के हाथ में है।

    सवाल : विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने विवादस्पद बयान देते हुए तबरेज अंसारी की हत्या में भाजपा और संघ का हाथ होने का आरोप लगाया। विधानसभा अध्यक्ष के कहने के बावजूद उन्होंने माफी नहीं मांगी। आप क्या कहेंगे?
    जवाब : अब अगर कोई माफी नहीं मांगे, तो फांसी तो नहीं दी जा सकती है। कोई भी माननीय सदस्य जब सदन के अंदर सवाल उठाते हैं, तो उनके पास प्रमाण होना चाहिए। देखिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या भाजपा इस तरह का काम नहीं करती है। आरोप लगाना गलत है। किसी रोज वे फेरा में पड़ जायेंगे, तो समझ में आ जायेगा। यही आरोप बाहर में लगाकर देखे, उन्हें समझ में आ जायेगा। मैं फिर कहता हूं कि किसी पर आरोप लगाने से पहले तथ्य होना चाहिए। ये संसदीय लोकतंत्र में आवश्यक है और प्रमाण की कॉपी अध्यक्ष को देना चाहिए, तब ये सही है और इसकी प्रामाणिकता होगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को यदि संगठन की दृष्टि से देखें तो यह सूर्य की तरह है और यह आरोप सूर्य की तरफ धूल फेंकने जैसा है। ऐसे आरोपों से संघ या संगठन घबराने वाला नहीं है।

    सवाल : भाजपा ने सदन के अंदर आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार कांगे्रस के दवाब में काम कर रही है?
    जवाब : देखिए आरोप-प्रत्यारोप तो लगते ही रहते हैं। लेकिन कहा गया है न कि पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं। महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण में ही दिख गया है। इसमें प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जिक्र किया गया था। यह सच है कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे। ये भी उतना ही कटु सत्य है कि अगर वो नहीं चाहते तो पीओके भी भारत का अभिन्न अंग होता और देश का बंटवारा भी नहीं होता।

    Check the truth if you are making allegations: C.P.
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