रांची। झारखंड की ध्वस्त अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने में सरकार अभी से ही जुट गयी है। हालांकि खाली खजाने को भरना आसान काम नहीं है। हेमंत सरकार ने सरकारी खर्च में कटौती कर खजाने को संभालने की योजना बनायी है। पूर्व की सरकार ने झारखंड के खजाने को खाली कर रखा है, जबकि योजना मद में खर्च का प्रतिशत आधे के करीब है। इसी को लेकर सरकार श्वेत पत्र भी जारी करेगी। झारखंड सरकार पर इस वक्त 85 हजार 234 करोड़ का कर्ज है। वर्ष 2014 में जब भाजपा की सरकार बनी, उस समय झारखंड पर 37 हजार 593 करोड़ का कर्ज था। भाजपा के शासन में ही कर्ज का प्रतिशत तेजी से बढ़ा। इसे कम करना वर्तमान सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी। इसके लिए वर्तमान सरकार को राजस्व के नये रास्ते तलाशने होंगे। सरकार आम लोगों पर टैक्स भी नहीं लगा सकती। अधिकारी अभी से ही माथापच्ची कर रहे हैं कि आखिर इसकी भरपाई कैसे की जाये। बड़े अधिकारियों का कहना है कि डोभा निर्माण में करीब एक हजार करोड़ रुपये खर्च किये गये। पूरे झारखंड में अब इस डोभा का अता-पता नहीं है। डोभा निर्माण ने सरकारी खजाने पर बड़ी चोट पहुंचायी थी। इसके बाद बड़ा नुकसान सरकार द्वारा शराब बेचने के निर्णय से हुआ। पूर्व की सरकार ने शराब व्यवसाय को अपने हाथ में ले लिया था। इससे पहले टेंडर के जरिये शराब की बिक्री होती थी। इसमें करीब नौ सै करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। लक्ष्य 16 सौ करोड़ का है। इस लक्ष्य को छूना अब इस वित्तीय वर्ष में आसान नहीं है। अगला बजट फरवरी में ही पेश होगा। एक रुपये में रजिस्ट्री का फैसला भी खजाने पर भारी पड़ा। राजस्व वसूली में इस कारण भी लक्ष्य की प्राप्ति नहीं की जा सकी। एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान इसके कारण सरकारी खजाने को हुआ। खनन पट्टा और लीज की गलत नीति के कारण भी राजस्व वसूली का टारगेट पूरा नहीं हो पाया। भू राजस्व विभाग टारगेट से तीन सौ करोड़ पीछे है। जानकार बताते हैं कि कई ऐसी योजनाएं, जो सरजमीं पर उतरी नहीं, लेकिन खजाने को खाली कर गयीं। अब इन सबों से गठबंधन की सरकार को निपटना होगा। इसके लिए कौन से रास्ते निकाले जायेंगे, कैसे राजस्व वसूली के लक्ष्य को पूरा किया जायेगा, इस पर माथापच्ची शुरू कर दी गयी है।
वेतन भुगतान के पड़ने लगे लाले
राज्य के खजाने की मौजूदा हालत यह है कि वेतन भुगतान के लाले पड़ गये हैं। कंटीजेंसी और चेक से होनेवाला वेतन और मानदेय का भुगतान नहीं हो पा रहा है। पिछले कई महीनों से जुगाड़ कर वेतन का भुगतान हो रहा है। समय-समय पर ओवर ड्राफ्ट हो जाता है। ऋण और उधार लेकर किसी तरह ओवर ड्राफ्ट को कम किया जाता है। 23 दिसंबर को राज्य के खजाने में 19 सौ करोड़ रुपये थे। उस दिन खजाने से 70 करोड़ रुपये निकाले गये थे। एक जनवरी को केंद्र से करों की हिस्सेदारी मद में करीब 25 सौ करोड़ आये। तब जाकर वेतन, पेंशन और सूद अदायगी का भुगतान हुआ है। 19 दिसंबर को केवल 65 करोड़ रुपये थे। केंद्र सरकार से 18 सौ करोड़ का ऋण लेकर इस समय खजाने में 1925 करोड़ रुपए जुटाये गये।