अजय शर्मा
रांची। अपराध जगत का बेताज बादशाह बनने की अमन श्रीवास्तव की ललक को पंख कुछ पुुलिस अफसरों ने लगाये। समय-समय पर इसका खुलासा भी हुआ। झारखंड पुलिस की कई एजेंसियों ने इसकी जांच भी की। लेकिन उस जांच रिपोर्ट को दाखिल दफ्तर कर दिया गया। पूर्व डीजीपी जीएस रथ ने सुशील श्रीवास्तव गिरोह और भोला पांडेय गिरोह को पोसनेवाले पुलिस अधिकारियों की सूची तैयार करवायी थी। विशेष शाखा और सीआइडी ने दो अलग-अलग रिपोर्ट दी। इस रिपोर्ट में तीन आइपीएस अधिकारी, पांच डीएसपी और 17 दारोगा तथा इंस्पेक्टर के नाम थे। रिपोर्ट को लेकर उस समय काफी हंगामा भी हुआ। बाद में सब कुछ शांत हो गया। धीरे-धीरे यह भी पता चला कि पुलिस बंटी हुई है। एक धड़ा सुशील श्रीवास्तव की हत्या के बाद अमन श्रीवास्तव को सपोर्ट कर रहा है, तो दूसरा भोला पांडेय गिरोह को। नतीजा यह हुआ कि कार्रवाई के नाम पर पुलिस सिर्फ छापेमारी करती रही। बाद में यह खुलासा भी हुआ कि अपराधियों द्वारा कोयलांचल में वसूली जानेवाली रंगदारी का बड़ा हिस्सा पुलिस अधिकारियों को मिलने लगा।
चतरा में श्रीवास्तव गिरोह से जुड़ा एक व्यक्ति रंगादरी के 35 लाख रुपये लेकर आ रहा था। उस समय के एएसपी ने उस पैसे को बरामद कर लिया। काफी हंगामा हुआ था। दो जिला के एसपी इस मामले में कूद पड़े थे। इसी गिरोह का शूटर अमन साव को हजारीबाग पुलिस में गिरफ्तार किया था। चार दिनों तक थाना हाजत में उसे रखा गया। एक आइपीएस अधिकारी के इशारे पर उसे भगा दिया गया था। बड़कागांव थाना प्रभारी मुकेश कुमार को इस मामले में सिर्फ दस दिनों के लिए निलंबित किया गया था। थाना प्रभारी का निलंबित करने और निलंबन मुक्त करने की पूरी प्रक्रिया पर डीजीपी के केएन चौबे ने ही सवाल खड़ा कर दिया था। खुद अमन साव जो गिरोह का शूटर है ने वीडियो जारी कर पुलिस की पोल खोल कर रख दी है। अभी झारखंड पुलिस आॅपरेशन अमन चला रही है। इसके 11 गुर्गे पकड़े गये, लेकिन गिरोह का सरगना पुलिस पकड़ से बाहर है। उसकी धर पकड़ के लिए राज्य के पांच डीएसपी अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी कर रहे हैं। छापामारी दल के गठन के बाद ही इस बात की चर्चा तेज हो गयी कि सरकार की नजर में बेहतर बनने के लिए यह सब कुछ किया जा रहा है। यह महज आइवाश है। सच तो यह है कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे सुशील श्रीवास्तव का बेटा अमन श्रीवास्तव जो अब गिरोह का सरगना है, वह कहां है, इसकी कोई खबर नहीं है। सब पानी में लाठी पीटने के समान है। जिन लोगों को पकड़ा गया, वे नामी अपराधी नहीं है। और न ही उनके नाम से कोयलांचल से रंगदारी वसूली जाती है। पकड़े गये लोग तो गुर्गे हैं। असल सरदार तो पुलिस का दोस्त है। यह भी साफ है कि सरदार पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ेगा। पिछली बार भी जब सरकार बदली, तो इस तरह की कार्रवाई हुई थी। कुछ पुलिस अधिकारी बताते हैं कि गिरोह के खिलाफ अभियान चलाने का मकसद कुछ और होता है।
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