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    Home»Top Story»सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के अमल पर लगाई रोक, गठित की 4 सदस्यीय कमेटी
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    सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के अमल पर लगाई रोक, गठित की 4 सदस्यीय कमेटी

    sonu kumarBy sonu kumarJanuary 12, 2021No Comments5 Mins Read
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    सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों पर विचार करने के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।

     

    सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है, उसमें साउथ एशिया इंटरनेशनल फूड पॉलिसी के डायरेक्टर प्रमोद कुमार जोशी, शेतकारी संगठन के अनिल घनवटे, भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान और कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी शामिल हैं। आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि किसान किसी कमेटी के सामने नहीं जाना चाहते हैं। सिर्फ कानूनों को रद्द करवाना चाहते हैं। किसानों को कॉरपोरेट हाथों में छोड़ देने की तैयारी की गई है। किसानों की जमीन छीन ली जाएगी। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि– हम अंतरिम आदेश में कहेंगे कि ज़मीन को लेकर कोई कांट्रेक्ट नहीं होगा। तब शर्मा ने कहा कि किसान कल मरने की बजाय आज मरने को तैयार हैं। 

     

    इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इसे जीवन-मौत के मामले की तरह नहीं देख रहे हैं। हमारे सामने कानून की वैधता का सवाल है। क़ानूनों के अमल को स्थगित रखना हमारे हाथ में है। लोग बाकी मसले कमेटी के सामने उठा सकते हैं। शर्मा ने कहा कि कोर्ट ही हम सबकी आखिरी उम्मीद है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि जो वकील हैं, उन्हें न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए। ऐसा नहीं हो सकता कि जब आदेश सही न लगे तो अस्वीकार करने लगें। तब शर्मा ने कहा कि मैंने पूर्व चीफ जस्टिस खेहर समेत कुछ नाम सुझाए हैं। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि बाकी लोग भी सुझाएं। हम विचार करेंगे।

     

    सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि सुनने में आ रहा है कि गणतंत्र दिवस कार्यक्रम को बाधित करने की तैयारी है। सवाल है कि लोग हल चाहते हैं या समस्या बनाए रखना चाहते हैं। अगर हल चाहते हैं तो यह नहीं कह सकते कि कमेटी के पास नहीं जाएंगे। तब शर्मा ने कहा कि किसान यह भी कह रहे हैं कि सब आ रहे हैं, प्रधानमंत्री बैठक में क्यों नहीं आते। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम प्रधानमंत्री को नहीं कहेंगे कि वह बैठक में आएं। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कृषि मंत्री बात कर रहे हैं। उनका विभाग है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कानून का अमल स्थगित करेंगे लेकिन अनिश्चित काल के लिए नहीं। हमारा मकसद सिर्फ सकारात्मक माहौल बनाना है। इस तरह की नकारात्मक बाते नहीं होनी चाहिए, जैसी मनोहर लाल शर्मा ने आज सुनवाई के शुरू में की।

     

    सुनवाई के दौरान भारतीय किसान यूनियन (भानू) के वकील ने कहा कि  बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं आंदोलन में हिस्सा नहीं लेंगे। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम आपके बयान को रिकॉर्ड पर ले रहे हैं। किसान संगठनों के वकील दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, कॉलिन गोंजाल्वेस के स्क्रीन पर नज़र नहीं आने पर चीफ जस्टिस ने कहा कि कल दवे ने कहा था कि सुनवाई टाली जाए। वह किसानों से बात करेंगे। आज कहां गए? साल्वे ने कहा कि दुर्भाग्य से लगता है कि लोग समाधान नहीं चाहते हैं। आप कमेटी बना दीजिए। जो जाना चाहते हैं जाएंगे। साल्वे ने कहा कि आंदोलन में वैंकूवर के संगठन सिख फ़ॉर जस्टिस के बैनर भी लहरा रहे हैं। यह संगठन अलग खालिस्तान चाहता है। कोर्ट की कार्रवाई से यह संकेत नहीं जाना चाहिए कि गलत लोगों को शह दी गई है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सिर्फ सकारात्मकता को शह दे रहे हैं।

     

    सुनवाई के दौरान आंदोलनकारियों का समर्थन कर रहे वकील विकास सिंह ने कहा कि लोगों को रामलीला मैदान में जगह मिलनी चाहिए। जहां मीडिया भी उन्हें देख सके। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि रैली के लिए प्रशासन को आवेदन दिया जाता है। पुलिस शर्तें रखती है। पालन न करने पर अनुमति रद्द करती है। क्या किसी ने आवेदन दिया। तब विकास सिंह ने कहा कि पता करना होगा। एएसजी पी एस नरसिम्हा ने कहा कि प्रतिबंधित संगठन भी आंदोलन में लगे हैं। चीफ जस्टिस ने अटार्नी जनरल से पूछा कि क्या आप इसकी पुष्टि करते हैं। तब अटार्नी जनरल ने कहा कि मैं पता करके बताऊंगा। चीफ जस्टिस ने अटार्नी जनरल से कहा कि आप कल तक इस पर हलफनामा दीजिए। इसका मतलब यह नहीं कि हम पूरे मामले पर आज आदेश नहीं देंगे। आदेश आज ही आएगा। आप इस पहलू पर कल तक जवाब दें।

     

    चीफ जस्टिस ने कहा कि हम गणतंत्र दिवस परेड बाधित करने की आशंका पर सॉलिसीटर जनरल की अर्ज़ी पर नोटिस जारी कर रहे हैं। इस पर 18 जनवरी को सुनवाई होगी। सभी पक्षों को याचिका की कॉपी दी जाए। सुनवाई के अंत में एक याचिकाकर्ता ने आंदोलन में कोरोना गाइडलाइंस के पालन की मांग की। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने आपकी बात नोट कर ली है। तुषार मेहता ने कहा कि कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं कि किसानों की ज़मीन छीन ली जाएगी। कांट्रेक्ट फार्मिंग में सिर्फ फसल का अनुबंध होगा। यह साफ किया गया है कि ज़मीन लेकर किसी कर्ज की वसूली नहीं होगी।

     

    कोर्ट ने 11 जनवरी को किसान आंदोलन पर केंद्र सरकार के रुख पर एतराज जताया था। कोर्ट ने कहा था कि अगर कानून के पालन पर रोक नहीं लगाई गई तो हम इस पर रोक लगा सकते हैं। इस मामले में याचिकाकर्ता ऋषभ शर्मा ने पिछले 9 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सड़क तुरंत खाली कराने की मांग की थी। हलफनामा में कहा गया था कि शाहीन बाग फैसले का पालन करवाया जाए। हलफनामा में कहा गया है कि किसानों के सड़क जाम से लाखों लोगों को परेशानी हो रही है। प्रदर्शन और रास्ता जाम की वजह से हर रोज करीब 3500 करोड़ रुपए का नुक़सान हो रहा है। इससे लोगों के आवागमन और आजीविका कमाने के मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है। हलफनामा में कहा गया है कि पंजाब में मोबाइल टावर तोड़े जा रहे हैं। किसानों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली करने की योजना बनाई है। 

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