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    300 आतंकी ढेर करने वाली बटालियन के CO थे शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा, एक बार फिर मिला है वीरता पुरस्‍कार

    sonu kumarBy sonu kumarJanuary 27, 2021No Comments4 Mins Read
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    गणतंत्र दिवस के मौके पर उन रणबांकुरें के नामों का ऐलान किया गया जिन्‍होंने साल 2020 में देश की रक्षा के लिए अपना सब-कुछ झोंक दिया था. इनमें से ही एक नाम था कर्नल आशुतोष शर्मा का, जो मई 2020 में जम्‍मू कश्‍मीर के हंदवाड़ा में शहीद हो गए थे. कई घंटों तक चले इस एनकाउंटर की शुरुआत में जीत आतंकियों के हाथ में जाती नजर आ रही थी मगर सिर्फ एक शब्‍द ने पूरी कहानी को बदल कर रख दिया था. कर्नल आशुतोष 21 राष्‍ट्रीय राइफल्‍स के कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) थे. उन्‍हें दो बार वीरता पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया जा चुका था. एक बार फिर से उन्‍हें सम्‍मान मिला है लेकिन इस बार यह मरणोपरांत है और उनके परिवार वाले इस मौके पर उन्‍हें काफी मिस कर रहे हैं.

    कर्नल को आज भी याद करते हैं साथी

    शहीद कर्नल आशुतोष से मुलाकात कर चुके एक ऑफिसर ने बताया कि वह काफी हंसमुख इंसान थे. अपने जूनियर्स के बीच वह‍ आशू सर के नाम से मशहूर थे. कश्‍मीर में तैनात रहे एक ऑफिसर ने बताया कि साल 2018 में उन्‍हें कर्नल आशुतोष से मिलने और उनके साथ लंच करने का मौका मिला था. कर्नल आशुतोष से हुई वह मुलाकात उन्‍हें हमेशा याद रहेगी. इस ऑफिसर के मुताबिक कर्नल हमेशा जोश से भरे रहते थे और अपने साथियों को भी हमेशा कुछ नया करने के लिए प्रेरित करते थे.

    कर्नल आशुतोष को बचपन से ही आर्मी ज्‍वॉइन करने का सपना था. सेना के लिए यह उनका जुनून ही था कि उन्‍होंने 13 बार सेना में सेलेक्‍शन के लिए प्रयास किया. 13वें प्रयास में उन्‍हें सफलता मिली थी और तब जाकर आर्मी ऑफिसर बनने का उनका सपना पूरा हुआ था. साल 2018 और 2019 में लगातार उन्‍हें वीरता पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया था.

    काउंटर टेरर-ऑपरेशंस के माहिर

    कर्नल आशुतोष को काउंटर टेरर-ऑपरेशंस का मास्‍टर माना जाता था. कर्नल आशुतोष और उनकी टीम ने हंदवाड़ा एनकाउंटर में लश्‍कर-ए-तैयबा के टॉप कमांडर को ढेर करने में सफलता हासिल की थी. हंदवाड़ा एनकाउंटर से पहले उनका आखिरी व्‍हाट्सएप स्‍टेटस था, ‘हिम्‍मत को परखने की गुस्‍ताखी मत करना पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका है.’ उनकी आखिरी व्‍हाट्सएप डीपी एक बब्‍बर शेर की थी और वह वाकई एक शेर की तरह लड़े. कर्नल आशुतोष कीबटालियन को ‘ट्रिपल सेंचुरियंस’ यानी तिहरा शतक मारने वाली बटालियन कहते है क्‍योंकि इसके नाम पर 300 से ज्‍यादा आतंकियों को मारने का रिकॉर्ड है.

    एक घंटे तक रखा धीरज

    एनकाउंटर के दौरान कर्नल आशुतोष ने करीब एक घंटे तक धीरज रखा और तब तक इंतजार किया जब तक आतंकियों ने आखिरी गोली फायर नहीं कर ली. घंटे भर बाद एक घर में कुछ लोगों को बंधक बनाकर रखे आतंकियों को जवाब देने के लिए वह अपनी टीम के साथ आगे बढ़े. एनकाउंटर के दौरान कर्नल शर्मा के हाथ आतंकियों ने बांध दिए था. उनका भी छीन लिया था और इस वजह से बाहर खड़ी टीम उनके साथ कोई कॉन्‍टैक्‍ट नहीं कर पाई.

    एनकाउंटर की शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक कर्नल शर्मा और उनकी टीम से संपर्क करने की कई कोशिशें की गई थीं और सारे प्रयास विफल हो गए थे. चार घंटे बाद बाहर खड़ी टीम को सफलता मिली और कर्नल आशुतोष के फोन से जवाब आया, ‘अस्‍सलामवालेकुम.’ इस जवाब के साथ ही बाकी ऑफिसर्स ने जो फायरिंग रोक दी थी उसे दोबारा शुरू करने का ऑर्डर दिया.

    फोन पर आई कॉल ने पलटी बाजी

    बाहर इंतजार कर रहे पुलिस और सेना के ऑफिसर्स को पता लग गया था कि कर्नल का फोन आतंकियों के पास है और उन्‍हें बंधक बना लिया गया है. हंदवाड़ा एनकाउंटर 13 घंटे तक चला था और आतंकियों ने एक घर में पूरे परिवार को बंधक बना लिया था. कर्नल आशुतोष और उनकी टीम ने उस परिवार को तो घर से बाहर निकालने में कामयाबी हासिल की जिन्‍हें आतंकियों ने बंधक बनाया था, लेकिन आतंकियों ने उन्‍हें घेर लिया था.

    कर्नल आशुतोष की पूरी कोशिश थी कि किसी भी तरह से परिवार के किसी सदस्य को एक खरोंच तक न आने पाए. वह अपनी इस कोशिश में सफल भी हुए थे. 21 राष्‍ट्रीय राइफल्‍स को राजवार टाइगर्स के तौर पर भी जानते हैं क्‍योंकि इस बटालियन ने कई खतरनाक आतंकियों का सफाया हंदवाड़ा के राजवार के जंगलों में किया है. ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स के ऑफिसर्स और जवानों के साथ तैयार की गई है.

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